शंकरबिघा नरसंहार: एक गांव की रात, टूटे हुए गवाह और बिखरता न्याय
जनवरी 1999 की वह ठंडी रात थी। औरंगाबाद ज़िले के अरवल अनुमंडल के छोटे-से गांव शंकरबिघा में लोग सामान्य दिनचर्या के बाद सो ...
जनवरी 1999 की वह ठंडी रात थी। औरंगाबाद ज़िले के अरवल अनुमंडल के छोटे-से गांव शंकरबिघा में लोग सामान्य दिनचर्या के बाद सो ...
जुलाई की उमस भरी शाम थी। बक्सर ज़िले के सहार थाना क्षेत्र का छोटा-सा गाँव बथानी टोला हमेशा की तरह अपनी धीमी रफ़्तार ...
दुनिया का इतिहास अक्सर विजेताओं के शब्दों में लिखा गया है। लेकिन कभी-कभी, अगर हम गहराई से देखें तो इस इतिहास की तहों ...
बिहार के औरंगाबाद ज़िले की सोनई नदी के किनारे बसा एक छोटा सा गांव—लक्ष्मणपुर बाथे। आज यह नाम भारतीय राजनीति और न्याय व्यवस्था ...
बंगाल फ़ाइल्स केवल एक फ़िल्म नहीं है, यह सत्य, स्मृति और न्याय की लड़ाई है। एक ऐसा पुनर्निदेशन जो दशकों तक दबाए गए ...
वर्तमान समय में, दलित, पिछड़े और सवर्ण को मुद्दा बनाकर राजनीति करना राजनीतिक दलों की आदत बन गई है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री ...
मुग़ल कौन थे, क्या थे और कैसे थे यह हमारे देश में अभी भी विवाद का विषय बना हुआ है? यह विवाद अज्ञानता ...
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