TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    बंग्लादेश हिंदु पर अत्याचार

    सुवेंदु अधिकारी ने ममता को कहा “ममता खाला”, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर दिया तीखा बयान

    निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 400 से ज्यादा घरों को ध्वस्त कर दिया है

    कर्नाटक में बुलडोजर राजनीति तेज: बेंगलुरु में 400+ घर टूटे, मुस्लिम परिवारों का मुद्दा गरमाया

    जनरल आसिम मुनीर एक बार फिर गंभीर विवादों में फंस गए

    बुलेटप्रूफ जैकेट में दिखे फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, वायरल तस्वीर ने पाकिस्तान की फौजी ताकत के दावों पर खड़े किए सवाल

    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    बंग्लादेश हिंदु पर अत्याचार

    सुवेंदु अधिकारी ने ममता को कहा “ममता खाला”, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर दिया तीखा बयान

    निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 400 से ज्यादा घरों को ध्वस्त कर दिया है

    कर्नाटक में बुलडोजर राजनीति तेज: बेंगलुरु में 400+ घर टूटे, मुस्लिम परिवारों का मुद्दा गरमाया

    जनरल आसिम मुनीर एक बार फिर गंभीर विवादों में फंस गए

    बुलेटप्रूफ जैकेट में दिखे फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, वायरल तस्वीर ने पाकिस्तान की फौजी ताकत के दावों पर खड़े किए सवाल

    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

असली किसानो के ज़ख्मो पर नमक छिड़कती नकली किसानो की घटिया नौटंकी

Shivam Saxena द्वारा Shivam Saxena
24 April 2017
in समीक्षा
असली किसानो के ज़ख्मो पर नमक छिड़कती नकली किसानो की घटिया नौटंकी
Share on FacebookShare on X

जिस देश में 80% जनता कृषक हो वहाँ तो खेती की दशा कितनी उन्नत होनी चाहिए थी? पर खेती-किसानी की क्या दशा है, ये किसी से छुपी नही है। कोई भी ठोस या आमूलचूल परिवर्तन अबतक भारतीय खेती में नही किया गया। हरित क्रांति का भी सीमित फ़ायदा पंजाब, हरियाणा के ही किसानों को मिला वो भी बड़ी जोत वाले किसानों को। हालात ये हैं कि किसान कम होता जा रहा है और मज़दूर बढ़ता जा रहा है। ये जो हम यूपी-बिहार से दिल्ली-मुंबई आने वाली ट्रेनों में भीड़ देखते हैं, वो भीड़ जिसको देख हम नाक-भौंह सिकोड़ लेते हैं। वो जिन्हें जाहिल और गँवार कह कर घृणा के अस्थायी भाव का संचार हमारे अंदर हो जाता है ना, ये सब कभी छोटे-छोटे किसान ही हुआ करते थे। पर हमारी सरकारों और नीति-निर्माताओं की अदूरदर्शिता का परिणाम है जो आज इनकी ये हालत हुई है।

किसान की दुर्दशा भारत का इतिहास रही है। और सरकार की उपेक्षा की ये कहानी 1947 या 1757 से शुरू नही हुई, बल्कि ये तो 13वीं शताब्दी से ही भारत के काश्तकारों को उत्पीड़न झेलना पड़ा।
जबसे दिल्ली की गद्दी में ग़ुलाम वंश आसीन हुआ तभी से भारतीय किसानों का अंधयुग प्रारंभ हो गया। मूलतः ये विदेशी आक्रमणकारी ऐसे इलाक़ों से आए थे जहाँ खेती का कोई ख़ास योगदान वहाँ की अर्थव्यवस्था पर नही होता था।

युद्ध, लूट-मार, राजनीतिक अस्थिरता ही मध्य-पूर्व की जीवन-शैली हुआ करती थी। खेती और उपज की उपयोगिता भले ही उन शासकों को ज्ञात रही। पर कृषि-कार्यों में पड़ने वाली ज़रूरतों से वो अनभिज्ञ ही थे। उस पर भारतीय जन-समुदाय से ग़ुलाम-वंश और उसके उत्तराधिकारी वंशों का लगाव केवल उत्पीड़न तक ही सीमित रहा। हालाँकि इल्तुमिश ने इक्ता और ख़ालिसा में ज़मीन को बाँटा और भूमी की पैमाईश की व्यवस्था की। पर वो सभी प्रयोजन अधिकाधिक लगान वसूल कर राजसी शानो-शौक़त बढ़ा दरबार को फ़ारस के दरबार की तरह भव्य बनाने के लिए थे। लड़ाईयों के दौरान खड़ी फ़सल काट देने के फ़रमान सुनाए जाते थे, और मुआवज़ा तो दूर की कौड़ी था। हालाँकि अलाउद्दीन ख़िलजी ने कुछ सुधार ज़रूर किए पर वो भी सैन्य ज़रूरतों की पूर्ति के लिए। चूँकि सुल्तान से लेकर उसके सिपहसलार गैरिसन शहरों में रहा करते थे, जनता से कोई संवाद नही अतः खेती-किसानी के लिए कुछ परिवर्तन नही हो सका।

संबंधितपोस्ट

80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

नीतीश कुमार की ‘सब्जी क्रांति’: बिहार में खेती-किसानी का नया रास्ता

और लोड करें

उसके बाद 16वीं शताब्दी से भारत के भाग्यविधाता बने मुग़ल वही मुग़ल जिन्होंने हुमायूँ के मक़बरे से लेकर ताजमहल जैसे नायाब वास्तुकला के नमूने खड़े किए। और एक वंश के रूप में सबसे लम्बे समय तक भारत पर शासन किया। बस फ़र्क़ इतना हुआ कि इक्ते की जगह मनसब ने ले ली पर काश्तकारों की हालत सुधारने के लिए कोई प्रयास नही किया गया। शेरशाह सूरी का योगदान ज़रूर रहा कि खड़ी फ़सल काटना लगभग बंद हो गया और भूमी पर कर उसकी उत्पादक क्षमता के अनुरूप लगाया जाने लगा। खेती की फ़िक्र केवल मालवाजिब पाने के लिए थे। टोडरमल हो या मुज़फ्फर खाँ सभी की फ़िक्र राजस्व बढ़ाने को लेकर थी। खेती की कितनी चिंता मुग़ल बादशाहों को रही की पहली नहर की खुदाई महान सम्राट अकबर के काल में नही बल्कि शाहजहाँ के काल में हुई। मुग़लकाल के प्रशासन और सैन्य कुशलता की चाहे कितनी भी तारीफ़ भारतीय विद्वान(वामपंथी विद्वान) करें पर अगर उनसे कृषि के लिए मुग़लई योगदान के बारे में उनसे पूछ लीजिए तो यक़ीनन उनको सांप सूंघ जाएगा।

देसी राजे-रजवाड़ों की भी स्तिथि कमोबेश यही रही। वो अपनी लड़ाईयों में ही इतने व्यस्त रहे कि समय ही नही मिला, हालाँकि चोल और उसके बाद मलिक अंबर और मध्य में शिवा जी ने ज़रूर खेती के लिए नहर, ऋण आदि की व्यवस्था की परंतु 1679 में विस्तृत भू निरीक्षण के अगले वर्ष ही शिवाजी महाराज का देहांत हो गया।

उसके बाद शुरू हुआ कम्पनीराज 1757 में प्लासी और 1761 में पानीपत के तीसरे युद्ध ने कम्पनी को भारत के शासन पर पकड़ मज़बूत कर दी। दिल्ली अब नाममात्र रही गयी असली खेल तो कम्पनी बहादुर खेल रही थी। ऐसा कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नही होगा कि चाय के बाग़ान हो या, नील की खेती, या फिर कपास के खेत सभी में भारतीय किसानों के ख़ून से सिंचाई की जाती थी। फिर पदार्पण हुआ महलवाड़ी, रैयतवाड़ी और ज़मींदारी प्रथा का। अब इनके बारे में मैं क्या ही लिखूँ, मुंशी प्रेमचंद की कोई एक कहानी पढ़ लीजिएगा | गोरे तो गोरे काले अंग्रेज़ों ने भी कोई कसर नही छोड़ी किसानों का ख़ून चूसने में। हालाँकि अंग्रेज़ी हुकूमत ने नहरें भी बनायी और आधुनिक यंत्र-तंत्र से भी भारत को परिचित करवाया पर सिर्फ़ अधिकाधिक लगान वसूलने के लिए। चंपारण हो या बारदोली, नील के बाग़ान हो या पाबना, तेभागा हो या तेलंगाना सभी जगह किसानों ने यथा संभव विद्रोह किया। भारत में ब्रिटिश शासन का इतिहास किसानों के ख़ून से लिखा गया।

दूसरों से क्या ही उम्मीद की जाती थे तो आख़िर विदेशी ही ना। पर 1947 में भारतीय सत्ता मिली ब्रिटिश हुकूमत के पसंदीदा ब्लू आईं बोय नेहरु जी को। अब इसे आप दुर्भाग्य ही कहिए की किसानों के देश की सत्ता बारदोली जैसे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सरदार की जगह अंग्रेज़ी तौर-तरीक़े से पले-बढ़े चाचा नेहरु के हाथ आयी।

ख़ैर नेहरु जी रूस से सीख कर पंचवर्षीय योजना भारत में लेकर आए। पहली पंचवर्षीय योजना लघु-उद्योग और कृषि को समर्पित थी। जिसका उद्देश्य खाद्यान्नों के मामले में कम से कम सम्भव अवधि में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। पर दूसरी पंचवर्षीय योजना पिछली के उलट भारी उद्योग और औद्योगिक उत्पादन के लिए थी। तो क्या पहली पंचवर्षीय योजना ने अपने लक्ष्य की प्राप्ति करली थी? जवाब अगर हाँ तो फिर ठीक है, और अगर नही है तो फिर ऐसा क्या हुआ कि चाचा नेहरु का पहली पंचवर्षीय योजना के बाद ही गांधी जी के कृषि और कुटीर उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था से विश्वास उठ गया। नेहरु जी एकतरफ़ ख़ुद को वैश्विक स्तर का नेता बनाने में जुटे हुए थे इधर हम अपनी ज़मीन, जवान खो रहे थे और कृषि से नेहरु जी का कितना लगाव था कि 65 में ही शास्त्री जी को देश से व्रत रखने की अपील करनी पड़ी।

और उसके बाद की सरकारों का कृषि के लिए योगदान हमको पता ही है। कृषि के उद्धार के नाम पर बस क़र्ज़माफ़ी ही एक रास्ता हमारे राजनेताओं को पता है। किसान को क़र्ज़माफ़ी तक आने की नौबत क्यूँ आती है ये सोचने की ज़हमत किसी महापुरुष ने अब तक नही उठायी। इंदिरा जी को आपातकाल, नसबंदी, रियासतों से फ़ुर्सत नही मिली, और राजीव जी कम्प्यूटर उठा कर विदेश से भारत में ला रहे थे। ग़ैर-कांग्रेसी सरकारें अपने आपसी झगड़े से ही बाहर नही आ पाती।

इतना सब लिखने का प्रयोजन ये था कि कुछ दिनों से देख-पढ़ रहा हूँ तमिलनाड़ू से आए हमारे किसान अनशन पर बैठे हैं। साथ में अपने मृत साथियों के कंकाल भी लाए हैं। कभी सड़क पर डाल कर चावल-सांभर खा कर रोष प्रकट करते हैं तो कभी सांप खाते हैं तो कभी चूहे। कभी मोदी का मुखौटा पहन एक-दूसरे को कोड़े मारते हैं। आज तो देख के मैं चकित रह गया कि वो स्वमूत्र पीने को विवश हो गए ताकि सरकार उनकी बात सुन सके। वामपंथी और लिबरल जमात को एक और मौक़ा मिल गया है केंद्र सरकार को घेरने का। भारतीय वामपंथियों के साथ सबसे बड़ी दिक़्क़त ये हैं कि इनके हित केवल समस्याएँ गिनवाने से जुड़े हैं, उनके समाधान से नही। वरना कम से कम इतने सालों के वामपंथी शासन के बाद पश्चिम बंगाल भारत में सबसे ज़्यादा मज़दूर निर्यात करने वाला राज्य ना होता। अगर मुझ जैसा एक लड़का इतना विश्लेषण कर सकता है तो क्या कोई वामपंथी प्रबुद्ध वर्ग का विद्वान ये नही सोच पाया।

ख़ैर अपना मुद्दा ये वामपंथी जमात नही बल्कि वो तमिल किसान हैं जो जंतर-मंतर पर बैठे हैं। मुझे वास्तव में नही पता उनकी असल परेशानी क्या है और भाजपा तमिलनाड़ू में कभी विपक्ष में भी नही रही, सरकार में आना तो दूर की बात है। केंद्र में सरकार बने भी तीन साल ही हुए हैं। ये भी तर्कसंगत नही कि सूखे के लिए सरकार ज़िम्मेदार हो। हाँ हो सकता है ये किसान उपेक्षित महसूस कर रहे हों, ये भी हो सकता है कि प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित प्रदर्शन हो, हो सकता है उनकी माँगे तर्कसम्मत हो पर कुछ सवाल हैं जिनके जवाब तो मिलना दूर बल्कि ख़ुद सवाल ही सवालों के घेरे में है, आइए थोड़ी सरसरी नज़र डालते हैं,

1- अगर माँग सूखे की है तो इसमें केंद्र सरकार का क्या दोष? क्या दिल्ली से सरकार बारिश होने या ना होने के निर्देश देती है?
2- अगर माँग सूखे की समस्या के निदान के लिए समुचित उपाय ना करने का है तो यह केंद्र का मुद्दा नही है।
3- अगर विरोध ऋण माफ़ी को लेकर है तो वह भी केंद्र के अधिकार क्षेत्र से बाहर का विषय है।
4- ऐसा क्या है कि तमिल के किसान तमिल नेताओं से बराबर संपर्क में रहते हुए भी उनके सामने अपनी माँग नही रख सकते या रखना नही चाहते? संदेह का विषय है
5- बाक़ी ये वाला पोइंट ऑब्ज़र्वेशन है, कि एक सा ड्रेस कोड, संयमित व्यवहार, नपा-तुला कोर्डिंनेशन, विरोध के लिए चुना स्थान, संगठित आयोजन इस विरोध को एक सुनियोजित आयोजन की तरह देखने पर मजबूर करता है।

हाँ एक और ग़ौर करने वाली बात इस विरोध के लिए मुखर आवाज़ उठाने वाले किसानों की इस दशा का जिम्मेदार मोदी को मानकर सरकार सरकार को संवैधानिक मूल्यों का हत्यारा भी बता रहे हैं तो मैं जिनको नही पता उनको बता देता हूँ, जिनको पता है उनको याद दिला देता हूँ, कि संघीय ढाँचे को बनाए रखने के लिए तीन सूचियाँ होती हैं

1 – संघ सूची 2 – राज्य सूची 3 – समवर्ती सूची।

कृषि और सिंचाई दोनो ही राज्य सूची के विषय हैं। केंद्र सरकार का नही, हाल ही में उत्तर प्रदेश के ऋण माफ़ करने के सवाल पर केंद्र की तरफ़ से स्पष्ट किया गया था कि यह विषय केंद्र सरकार का नही है। तमिलनाडू में भाजपा ना इस समय सरकार में है और ना पूर्व में कभी रही है। और तो और तमिलनाडु का कोई दल भी एन॰डी॰ए॰ का घटक नही है। ऐसे में दोष केंद्र सरकार पर डालना ?

पर कुछ भी हो हैं तो वो किसान आंदोलन ही, हैं तो हमारे ही देश के किसान ना, और हो सकता कि वास्तव में अपनी बात सरकार तक पहुँचाने को विवश हों। तो सरकार से एक नागरिक होने के नाते आग्रह तो कर ही सकते हैं कि सरकार की तरफ़ से एक शिष्टमंडल उन किसानों की समस्या सुनने और समझने के लिए भेजा जाए। क्या इतना समय प्रधानमंत्री नही निकाल पा रहे। मेन्स्ट्रीम मीडिया से किसी ख़बर के तथ्यों की पड़ताल की उम्मीद रखना घोषित मूर्खता है। और हाँ अगर वास्तव में देश के किसानों को पेशाब पीना पड़ रहा है तो ये देश का दुर्भाग्य है।

“जब कभी बिकता है बाज़ार में मज़दूर का गोश्त,
शाह-राहों पे ग़रीबों का लहू बहता है।
आग सी सीने में रह रह के उबलती है न पूछ,
अपने दिल पर मुझे क़ाबू ही नहीं रहता है।”- फ़ैज़

Tags: किसानकिसान आंदोलनजंतर मंतरतमिलनाडु
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

जेनेरिक दवाओं के माध्यम से काफी पैसे बचाए जा सकते हैं, पर क्या ये सुरक्षित हैं?

अगली पोस्ट

सत्रह साल में सत्रह सौ मौके मिले नक्सली उन्मूलन के, लेकिन छत्तीसगढ़ वहीं का वहीं

संबंधित पोस्ट

‘The journey within’: श्रीखंड कैलाश से आत्मबोध तक की यात्रा
समीक्षा

‘The journey within’: श्रीखंड कैलाश से आत्मबोध तक की यात्रा

20 December 2025

जीवन स्वयं एक यात्रा है, उतार-चढ़ाव से भरी, अनुभवों से सजी और निरंतर आगे बढ़ती हुई। किंतु यात्रा केवल स्थानों के बीच की भौतिक गति...

Luxury Sedan Showdown: Price and Maintenance Comparison of a Used Audi A4 vs. Other 2nd Hand Audi Cars
समीक्षा

Luxury Sedan Showdown: Price and Maintenance Comparison of a Used Audi A4 vs. Other 2nd Hand Audi Cars

18 December 2025

In the high-stakes world of luxury sedans, the Audi A4 has long been the "thinking person’s choice." It doesn't scream for attention like a BMW...

जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’
समीक्षा

जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’

15 December 2025

अंग्रेजी भाषा में कहा जाता है कि ‘डेमोग्राफी इज डेमोक्रेसी’। किसी भी देश में लोकतंत्र रहेगा या नहीं रहेगा ये इस बात पर निर्भर करता...

और लोड करें

टिप्पणियाँ 2

  1. Karthik says:
    9 years पहले

    Please go through this article and see why TN State govt is unable to waive farmer loans as did by UP government.
    Central Government is responsible for the draught in Tamil Nadu
    Go through the facts published here with statistical figures! —> https://thewire.in/126320/federalism-vs-14th-finance-commission/
    It is because, the 14th Finance Commission punishes TN to a great extant by collecting a lot of taxes and the centre isn’t giving back any.
    It is because of this reason, that centre is responsible for the drought situation in Tamil Nadu and especially this central govt which constituted the 14th FFC.

    Reply
  2. Arjun says:
    9 years पहले

    Please translate it…. Pleeaassee

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited