मदर टेरेसा – एक असंत को कैसे लिबरलों ने संत बना दिया!

मदर टेरेसा का यह है पूरा सच

मदर टेरेसा, ईसाई, हिंदू

कल की प्रमुख खबरों में से 1 थी की मदर टेरेसा को संत मान लिया गया हैं और सितम्बर महीने में उनको पोप संत की आधिकारिक पदवी देंगे। संत घोषित होने के लिए किसी भी नन या पादरी या कह ले की ईसाई संन्यासी को 2 चमत्कार के कृत्य करने होते हैं जिन्हें पोप सत्यापित करते हैं । हैरत की बात हैं की भारतीय मीडिया इस विषय पे बहुत प्रसन्न हैं। दोगलापन इसी से समझे की हिन्दू समाज के साधू संत को पानी पी-पी कर कोसने वाला मीडिया आज मदर टेरेसा के संत घोषित होने पर गाल बजाता नहीं थक रहा।

मदर टेरेसा के जीवन का दूसरा चमत्कार का कृत्य जिसके बारे में कुछ ऐसा पढ़ा मैंने की 1 महिला ने दावा किया की उसे मस्तिष्क में ट्यूमर हुआ,एक नहीं कई हुए। हताश ,निराश होकर 1 दिन वह टेरेसा की तस्वीर के सामने अपना दुखड़ा बयान करने लगी की तभी उस तस्वीर से दिव्या रौशनी निकली, महिला बेहोश हुई और जब वह होश में आई तो भली-चंगी थी। यदि ऐसा कोई दावा कोई साधू संत करदे तो उसके सभी उपासको को रूढ़िवादी,अंधविश्वासी साबित करने में मीडिया में होड़ मच जायेगी।

ख़ैर मदर टेरेसा के कारनामो की फेहरिस्त यही खत्म नहीं होती । सुसान शील्ड्स नाम की एक नन जोकि टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के लिए भी काम कर चुकी हैं ने दावा किया था की संसथान में मृत्यु के करीब मरीज़ों को अँधेरे में रख कर उनका धर्मपरिवर्तन किया जाता था । ऐसे मरीज़ जो लाइलाज थे और मौत के करीब होते उनसे प्रश्न किया जाता की क्या वह “स्वर्ग का टिकट पाना चाहेंगे?” जवाब हां होता तो उसे मरीज़ की रज़ामंदी मान कर उसका धर्मपरिवर्तन 1 गीला तौलिया उसके माथे पे रख कर कर दिया जाता और आवश्यक कथन मन में उच्चारित कर लिए जाते।

विश्वप्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका लांसेट के संपादक रोबर्ट फॉक्स ने भी 1991 में जब कलकत्ता स्थितित अस्पताल का दौर किया तो पाया की ना तो जो नन वह मरीज़ों की सेवा कर रही थी,उन्हें इसकी कोई व्यावसायिक ट्रेनिंग हासिल थी और न ही कोई उचित रख रखाव था।
मदर टेरेसा उन चुनिंदा लोगो की थी जिन्होंने 1975 की इंदिरा गांधी द्वारा लगायी गयी इमरजेंसी की सराहना की और समर्थन भी किया।

टेरेसा के साथ काम किये हुए, अरूप चैटर्जी ने अपनी डाक्यूमेंट्री में टेरेसा की फंडिंग के स्त्रोत पर कुछ आवश्यक प्रश्न खड़े किये । टेरेसा ने हैती के रूढ़िवादी तानाशाह द्वारा दिया गया राजकीय सम्मान सहर्ष स्वीकारा । यह वही तानाशाह था जिसने आकूत संपत्ति हैती की गरीब जनता का दोहन कर जमा करी और मदर टेरेसा गरीबो की मसीहा थी ।
ऐसा ही समर्थन अल्बानिया के तानाशाह एन्वेर होक्सह को भी अल्बानिया की जन्मी टेरेसा से प्राप्त हुआ और इनके समर्थन को एन्वेर ने भी अपनी तानाशाही के सत्यापन के लिए भी किया।

रोबर्ट मैक्सवेल जोकि 45 करोड़ पौंड का घोटाला कर चुका था, वह भी मदर टेरेसा के नामी देनदारों में से एक था जिसने उन्हें दिल खोल कर चंदा दिया।

टेरेसा के तलाक़, परिवार नियोजन और बच्चा गोद लेने पर विचार किसी भी दिशा से 1 संत जैसा नहीं दर्शाते। परिवार नियोजन के किसी भी साधन का टेरेसा ने दिल खोल कर विरोध किया। बच्चा गोद लेने पर भी टेरेसा का मत यही था कि 1 ईसाई गोद लिए बच्चे का अभिभावक तो हो सकता हैं, किन्तु माता-पिता नहीं।

टेरेसा जैसा कोई और संत यदि हिन्दू संप्रदाय से होता और उसकी पृष्ठभूमि वैसी होती जैसी टेरेसा की थी तो अब तक उसके संत होने का तो छोड़िये, भारत की लिबरल ब्रिगेड उसके पैदा होने पर ही सवाल उठा चुकी होती। जहा पुष्पक विमान कोरी कल्पना हैं वहा मस्तिष्क ट्यूमर का ऐसा इलाज अब सत्य माना जा चुका हैं।

ऐसी पाखंडी जमात की बुद्धि का स्तर क्या हैं इसका निर्णय आप खुद करे, और यदि किसे संत मानते हैं इसका निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम इस बात का निर्णय तो कर ही ले किसे संत नहीं मानना चाहिये।

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