क्यों झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर ने लगायी नितीश बाबू को झाड़ ?

नितीश रघुवर झारखण्ड

Image sources: IndianExpress, Firstpost

अक्सर हमने देखा होगा, हमारे अड़ोस-पड़ोस में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके घरों में रोज कलह होती है, परिवारजनों के बीच मनमुटाव रहता है मगर फिर भी वो दूसरों के घरों की बातों पे टिपण्णी देते हैं, हर समस्या पर अपनी राय देते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही एक कहावत अस्तित्व में आई,जिनके खुद के घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के घरों पे पत्थर नहीं फेंका करते।” आजकल कुछ यही हाल चल रहा है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का, नीतीश कुमार की सरकार के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी हुई हैं, बिहार के कई इलाकों में बाढ़ आई हुई है या फिर आने की संभावना है, कुछ क्षेत्र सूखाग्रस्त भी हैं, क्राइम रेट में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है, शाहबुद्दीन के कारण सरकार की परेशानी बढ़ गयी है, महागठबंधन के भीतर भी खूब उथल-पुथल चल रही है। कुल मिलाकर पुरे बिहार में तरह-तरह की समस्याएं मुहं बाये खड़ी हैं मगर नितीश कुमार अपनी शराबबंदी का झंडा बुलंद करने में लगे हुए हैं और इन्हें बिहार से अधिक बाकी प्रदेशों खासकर पड़ोसी राज्यों की चिंता सताने लगी है। अपनी इसी चिंता के कारण वो बार-बार यूपी और झारखंड के चक्कर लगाते रहते हैं।

नीतीश जी जहाँ जाते हैं शराबबंदी की चर्चा तो करते ही हैं मगर इस बार झारखंड जाकर वो लीक से हट के कुछ बोल गए, उन्होंने कह दिया की झारखण्ड सरकार को ‘कुर्मी’ जाती को आदिवासी जनजाति का दर्जा दे देना चाहिए।

बस इस बार झारखंड के सीएम रघुवर दास भड़क गए और साफ़-साफ़ शब्दों में नीतीश कुमार को कह दिया की वह झारखण्ड की राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा ना करें, जाकर बिहार को संभाले। रघुवर जी ने आगे यह भी जोड़ दिया की एक शाहबुद्दीन के निकलने से बिहार में लॉ एंड आर्डर की बिगड़ी स्तिथि तो नीतीश कुमार से संभल नहीं रही है और बिहार में उनकी तुलना झारखण्ड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा से की जा रही है, ऐसे में उन्हें दूसरे राज्यों के मसले में टांग अड़ाने के बजाय बिहार पे ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

रघुवर जी, आपकी सभी बातें सही है मगर नितीश जी को समझ में नहीं आएगी क्योंकि उन्होंने अपनी आँखें बंद कर रखी हैं, वो गहरी नींद में हैं, नींद में ही पीएम बनने के सपने देख रहे हैं और अंट-शंट बड़बड़ाते हैं।

गलती नितीश की भी नहीं है इनकी संगत ही बिगड़ गयी है, वो कहावत है ना ‘संगत से गुण आवत हैं, संगत से गुण जावत हैं’ तो इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आपको नीतीश कुमार के रूप में मिल सकता है। पहले नीतीश बीजेपी के साथ थे उस समय वे विकास की बात करते थे, अपनी गलती स्वीकारते थे, कभी-कभी बड़ी गलती होने पे इस्तीफे भी दे चुके हैं, कुल मिला के एक आदर्शवादी व्यक्ति थे, विकास की बातें करते थे और विकास के लिए सदैव अग्रसर रहते थे। वक्त बदला, अब नीतीश ने लालू से हाथ मिला लिया, कांग्रेस इनको समर्थन दे रही है, इनके दोस्त अरविंद और ममता हैं, अब नीतीश जी नफरत भरे बयान देते हैं, अपराधियों को जेल से छुड़वाते हैं, अपने राज्य को भगवान भरोसे छोड़कर दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार करते हैं, बिलकुल अपने मित्र अरविंद केजरीवाल की तरह, हर बात के लिए बीजेपी को दोषी बताते हैं, जोकि इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि केजरीवाल जी इनके काफी अच्छे मित्र हैं।

रघुवर जी, आप एक बात में नीतीश जी को कमतर आंक गए, आपने कहा कि वे झारखण्ड में अपनी राजनीति चमकाने के लिए एक हाशिये पे आ चुके नेता का सहारा ले रहे हैं, आप शायद भूल गए की नितीश कुमार का पिछला रिकॉर्ड यही कहता है कि बिहार में उनकी सत्ता में वापसी हाशिये पे जा चुके नेताओं की घटिया राजनीति के कारण ही हुई है। मेरे कहने का मतलब यही है कि कुर्सी के लिए अब नीतीश कुमार किसी भी हद तक गिर सकते हैं, एक बिहारी होने के नाते एक वक्त था जब मैं नीतीश को प्रदेश की शान मानता था, आज मैं उन्हें प्रदेश का कलंक मानता हूँ। मुझे कभी भी विश्वास नहीं था बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज( अब एनआईटी पटना ) का होनहार छात्र एक दिन अनपढ़-गवार नेताओं की शैली अपना लेगा। ये तो नितीश कुमार के पतन की शुरुआत है।

वैसे नीतीश कुमार ने झारखंड में ‘कुर्मीयों’ को आदिवासी समुदाय में शामिल करने की पैरवी की है इसलिए मैं उनसे यह पूछना चाहूंगा कि वे बिहार में ऐसा क्यों नहीं करते? उनके ही एक सहयोगी लालू ने बिहार को दो टुकड़ों में बांटा और अब नीतीश दोनों जगह अपनी ‘सोशल इंजिनीरिंग’ की जुगत भिड़ाने में लगे हुए हैं। वैसे नितीश जी निश्चिन्त रहिये झारखण्ड के लोग हम बिहारियों से ज्यादा समझदार हैं इसलिए तो वहां आजतक आरजेडी-जेडयू की सरकार नहीं बनी। थोड़ी सी बात आपकी शराबबंदी की कर लूँ, नीतीश जी, आप बंगाल में शराबबंदी के खिलाफ मुहिम क्यों नहीं चलाते? सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों या जहाँ चुनाव होने वाले हैं वहीं शराबबंदी करवाने क्यों जाते हैं?

नीतीश जी पीएम बनने के सपने बाद में देखिएगा, पहले बिहार आइये अपनी कुर्सी बचाइए, आपकी कुर्सी पे ग्रहण लग गया है। जल्दी कुछ नहीं करियेगा तो फिर ना घर के रह जाइयेगा ना घाट के।

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