वैसे तो हमारे देश की राजनीति में हाल के वर्षों में काफी परिवर्तन हुए हैं, कई मामलों में राजनेता और भी जिम्मेदार हुए हैं। सोशल मीडिया के कारण लोग भी जागरूक हो रहें हैं और सरकार तथा नेताओं से सीधे सवाल कर रहें हैं। हालांकि इसका यह मतलब कदापि नहीं हुआ की अब हमारी राजनीति साफ़-सुथरी और जवाबदेह हो गयी है, आज भी हमारी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीति में ऐसे लोग मौजूद हैं जो केवल स्वार्थपूर्ति के लिए राजनीति में हैं, लोगों की भलाई हो या ना हो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, उनको तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना है।
देश की राजनीति को बदल के रख देने का दावा करने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ के ‘आम नेता’ भी इससे अछूते नहीं हैं, संस्थापक अरविंद केजरीवाल के राजनीति को बदल के रख देने वाले नारे को उन्होंने इतनी गंभीरता से लिया की देश की राजनीति को और घिनोनी, गन्दी और अश्लील बनाने में लगे हुए हैं। सही है, बदलाव तो वो लेकर आये है हैं, भले नकारात्मक में लाये हों।
‘आप’ के नेता हर प्रकार के कांड करते हैं, घूसखोरी, छेड़खानी, धर्मग्रंथो का अपमान, धर्मगुरुओं पे आपत्तिजनक टिप्पणी इत्यादि, इत्यादि, बड़ी लंबी लिस्ट है इनके कारनामों की। वैसे ये बड़े इनोवेटिव लोग हैं, नये-नये तरीकों से खुद की इज्जत लुटवातें हैं और जनता का भरोसा तोड़ते हैं ।
कांड करने वालों की लिस्ट में सबसे नया नाम जुड़ा है दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल कल्याण मंत्री संदीप कुमार का या यूं कहें की ‘आप’ के ‘कामदेव’ संदीप कुमार का, इन महाशय की हाल ही में एक सीडी लीक हुई है जिसमें वो दो महिलाओं के साथ आपत्तिजनक अवस्था में दिखाई पड़ रहे हैं, महिलाओं का कहना है कि सबकुछ राशन कार्ड बनवाने के लिए किया गया ‘फेवर’ था।
ब्रह्माण्ड के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पंद्रह दिनों तक इस बात को दबाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। हम सब ने संदीप कुमार को खूब लताड़ा, पूरी आम आदमी पार्टी की सोशल मीडिया पे जोरदार खिल्ली उड़ाई गयी लेकिन हम भारतीय भूल बड़ी जल्दी जातें हैं और यह भूलने की बीमारी भी हमारी समस्यों का एक कारण है।
संदीप कुमार तो इस खेल का एक नया खिलाड़ी है, सेक्स स्कैंडल से जुड़े कितने मामले अभी तक प्रकाश में आ चुके हैं, कितने ही नेताओं के साख पर बट्टा लग चुका है लेकिन उन सबको अपनी कमजोर याददाश्त के कारण भूल गए। वो कहते हैं ना की हमाम में सब नंगे हैं तो यह बात यहाँ पे भी लागु होती है, क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस, हर पार्टी में हवस के ये पुजारी मौजूद हैं।
हाँ मानता हूँ की हमारे दिग्विजय सिंह जी सबके गुरु हैं मगर आईये आज उनके कुछ कुख्यात चेलों के कारनामों की यादें ताजा करतें हैं।
1. अभिषेक मनु सिंघवी– साल था 2012, उस समय कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता जोकि एक बड़े वकील भी थे, अपने सुप्रीम कोर्ट चैंबर में एक महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पाये गए थे। सिंघवी साहेब के ड्राईवर मुकेश कुमार लाल ने ही सारा भेद खोल दिया था, इससे हुई बदनामी और तत्कालीन विपक्षी पार्टी बीजेपी के दवाब के चलते सिंघवी को कांग्रेस प्रवक्ता पद से और कानून तथा न्याय कि संसदीय समिति जिसके वे सदस्य थे से भी इस्तीफा देना पड़ा था।
2. गोपाल कांडा– ये महोदय भी 2012 में फंसे थे, ये तत्कालीन हरियाणा सरकार में गृह मंत्री और साथ में MDLR एयरलाइन्स के एमडी भी थे, इन्ही की एयरलाइन में काम करने वाली एयर होस्टेस ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में साफ-साफ गोपाल कांडा पे यौन-शोषण का आरोप लगाया। कांडा को इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन साल 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले से बरी कर दिया।
3. महिपाल मदेरणा– पुरे देश को हिला कर रख देने वाले भवंरी देवी प्रकरण से राजस्थान की राजनीति में हुई उथल-पुथल ने इसके मुख्य आरोपी महिपाल मदेरणा सहित कई बड़े-बड़े मंत्रियों की कुर्सियां छीन ली। असल में एक महिला जोकि पेशे से नर्स थी बहुत दिनों से लापता थी, भवंरी के पति ने सीधे-सीधे तत्कालीन जल संसाधन मंत्री मदेरणा पर आरोप लगाया की उसकी पत्नी को मदेरणा ने गायब करवाया है। विवाद बढ़ने के बाद इसकी जाँच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई और जब सीबीआई ने मदेरणा में शिकंजा कसा तो इस पुरे सेक्स रैकेट की असलियत लोगों के सामने आ गयी। जाँच का सार यही था कि भंवरी देवी राजनीति में शीर्ष पर पहुँचने के चक्कर में महिपाल के फैलाये जाल में फँस गयी थी।
4. एनडी तिवारी– एनडी तिवारी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे, वे यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं मगर इन सबके बावजूद भी बदनाम होकर उन्होंने खूब नाम कमाया। इस लिस्ट में यह एक ऐसा नेता है जिनका आपत्तिजनक हरकतों में बार-बार नाम आया है। इनके चरित्र को सबसे गहरा दाग उस समय लगा जब वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे, तिवारी जी को राज्यभवन में एक महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पाया गया था। विवाद इतना बढ़ा की इनकी राज्यपाल की कुर्सी चली गयी। वैसे एनडी तिवारी एक बार लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान अपने से बहुत कम उम्र की लड़की के साथ नाचते हुए भी देखे गए थे।
5. अरमानी त्रिपाठी– उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और बसपा के नेता अरमानी त्रिपाठी को तो उम्रकैद की सजा हुई है क्योंकि इन्होंने एक कवियत्री मधुमिता शुक्ला को गोलियों से इसलिए भुनवा दिया क्योंकि वह गर्भपात करवाने के लिए तैयार नहीं थी। मधुमिता और अरमानी के अवैध सम्बंध थे और उसकी हत्या ने समूचे उत्तय प्रदेश में हलचल मचा के रख दी थी।
6. संजय जोशी– साल 2005 में जब भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ बना रही थी तो उसके महासचिव संजय जोशी ने पार्टी को कलंकित करने वाला काम कर दिया। संजय जोशी का भी नाम एक सेक्स स्कैंडल में उछला था, संजय भाजपा नेता होने के साथ ही संघ के स्वयंसेवक भी थे इसलिए उनकी खूब बदनामी हुई। भाजपा ने उस समय उनसे किनारा कर लिया, बाद में इनकी पार्टी में वापसी तो हो गयी लेकिन वो अपनी खोई साख कभी वापिस नहीं पा सके।
ये तो कुछ बड़े नाम थे लेकिन ऐसे कुकर्म की राजनीति में इतने चेहरे बेनकाब हो चुके हैं कि आपकी उंगलियां थक जाएँगी लेकिन नाम नहीं खत्म होंगे। हर साल एक-दो नाम इस तरह की कुकर्मों में लिप्त हुए पाये जाते हैं और खूब हंगामा भी मचता है, हाय-तौबा होती है मगर फिर हम भूल जाते हैं। भूल जाने को बुराई नहीं है बुराई तो इसमें है की इनका बहिष्कार नहीं किया जाता है। खैर, वो तो जनता ही जाने की वैसे किस प्रकार के नेता पसंद है और वो उन्हें वे कैसे कार्य करते हुए देखना चाहती है।