किस पार्टी के पास कितनी अघोषित आय

पार्टी आय

वर्तमान समय में देश का बच्चा के बात भली-भांति जानता है कि इस देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार इस देश कि राजनीति में है, बड़े से लेकर छोटे तक, तमाम नेताओं ने समय-समय पर जानता को बरगला कर अपना उल्लू सीधा किया है। भ्रष्टाचार का ऐसा माहौल बना हुआ था की पिछले साठ सालों से ना जाने हम कितने घोटालों के नाम सुन चुके हैं, हमारी उँगलियाँ गिनते-गिनते थक जाएँगी मगर घोटाले खत्म नहीं होंगे। पिछली सरकारों ने महज़ भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दिया बल्कि ये भी सुनिश्चित किया की उन्होंने जो जानता को लूट कर गाढ़ी कमाई की है उसपर किसी की नज़र ना पड़े, यही नहीं इन नेताओं और पार्टियों ने अपना काला धन छुपाने के लिए कानून में कुछ ऐसे उलटफेर किये की ये आराम से अपने भ्रष्टाचार के सबूतों को और अपनी गैरकानूनी फंडिंग को बड़े ही आराम से छुपा सकते हैं।

इस कानून की मदद से पार्टियों को यह छुट मिली हुई है की वे बीस हज़ार रूपये से ऊपर की फंडिंग बतलाने के लिए बाध्य नहीं हैं और आज के समय में यह कानून काले धन को सफ़ेद करने का एक बड़ा जरिया बन चूका है और देश में भ्रष्टाचार की जनक कांग्रेस पार्टी से लेकर भ्रष्टाचार के मैदान की नवीनतम खिलाडी ‘आम आदमी पार्टी’ इसका भरपूर इस्तेमाल कर रही है। हालाँकि कुछ संस्थाएं ऐसी हैं जो इन राजनेतिक पार्टियों द्वारा फैलाये गए मकरजाल को साफ़ करने का प्रयास कर रही हैं। उन्ही संस्थाओं में से एक है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, गुजरात की यह संस्था सरकारी और राजनेतिक संस्थाओं में पारदर्शिता लाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसी संस्था द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है की इन राजनेतिक पार्टियों की पिछले 11 सालों में हुई आय के 69% स्त्रोत अज्ञात हैं यानी की फंडिंग करने वाले की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गयी है। ये आंकड़ा बहुत बड़ा है परन्तु इस कानून के कारण इन पार्टियों पे कोई करवाई भी नहीं हो सकती है।

एडीआर ने कुल 48 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों की कमाई के आंकड़े जारी किये हैं, जिसमे कांग्रेस, बीजेपी और बसपा जैसी पार्टियाँ भी शामिल है। एडीआर के संस्थापकों में से एक त्रिलोचन शास्त्री ने मीडिया को बतलाया की 2004-05 से 2014-15 के बीच इन पार्टियों ने कुल 11,367 करोड़ की आय जमा की जिसमे से लगभग 7,833 करोड़ रुपयों का कोई हिसाब नहीं है बाकि के 31% इन पार्टियों ने पार्टी लेवी, सदस्यता शुल्क, बैंकों के ब्याज इत्यादि के जरिये कमाए। ये जो 69% का आंकड़ा है वो आयकर विभाग की जानकारी में है परन्तु नाम ना बतलाने की छुट के कारण पार्टियों ने स्त्रोत का जिक्र नहीं किया है। ऐसे में हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते की अगर समुचित तरीके से जाँच की जाए तो यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।

किस पार्टी की कितनी सम्पति-

राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे ज्यादा अघोषित आय कांग्रेस के पास है जोकि उसकी कुल कमाई का 83% है वहीं कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के पास कुल 65% आय अज्ञात स्त्रोतों से है।  कांग्रेस की कुल आय 3,982करोड़ है वहीं बीजेपी की 3,272करोड़ लेकिन बीजेपी ने सभी पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए लगभग अपनी पूरी आय का ब्यौरा दिया है वहीं कांग्रेस इस मामले में बीजेपी से काफी पीछे है। रिपोर्ट में यह भी बतलाया गया है की राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में पिछले 11 सालों में लगभग 313प्रतिशत का इजाफा हुआ है, 2004-05 में कुल कमाई 247करोड़ थी जो 2014-15 में बढ़कर 1131करोड़ हो गयी।

अब अगर क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें तो समाजवादी पार्टी की कुल 94% आय अज्ञात स्त्रोतों से है वहीं शिरोमणि अकाली दल की लगभग 86% आय अज्ञात स्त्रोतों से है। पीडीपी एक ऐसी पार्टी है जिसने 11वर्षों से अपनी आय की कोई जानकारी चुनाव आयोग और आयकर विभाग को दी ही नहीं है। रिपोर्ट की माने तो बसपा का दावा है की वो 20,000 के ऊपर की फंडिंग लेती ही नहीं है लेकिन उसने अपनी कमाई का कोई ब्यौरा नहीं दिया है इसलिए वह एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास सौ प्रतिशत अज्ञात स्त्रोतों से आय है। 11सालों के दौरान क्षेत्रीय पार्टियों की आय में 652प्रतिशत का भारी इजाफा हुआ है है यानी की जो कमाई 2004-05 में 37 करोड़ थी वही 2014-15 में बढ़कर 281करोड़ हो गयी है।

ये तो आम धारणा है की राजनैतिक पार्टियों की फंडिंग में जोरदार काला पैसा लगा हुआ होता है जो जनता का इनके प्रति विश्वास को और भी कम करता है और अगर इस तरह की फंडिंग की रिपोर्ट अगर जनता के सामने प्रस्तुत की जाती है तो जाहिर सी बात है की जानता में कोई अच्छा सन्देश नहीं जाने वाला है। आज केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा साहसिक फैसला लेकर जनता की वाह-वाही लूटी है तो फिर उसे चाहिये की वह राजनैतिक पार्टियों को को अपनी कमाई का ब्यौरा देने के लिए बाध्य करे और और हर पार्टी के खतों की ऑडिट कैग से करवाए तथा किसी भी प्रकार की अनियमियता पे करवाई भी हो, अगर मोदी सरकार ऐसा करने में कामयाब हो जाती है तभी भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया कोई भी कदम सार्थक कहलायेगा क्योंकि भ्रष्टाचार में लिप्त लोग कानून की इन कमजोर कड़ियों का फायदा उठा कर बच निकलते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ ये लड़ाई कमजोर पर जाती है।

http://www.business-standard.com/article/news-ians/sources-of-69-income-of-political-parties-untraceable-117012401416_1.html

http://indianexpress.com/article/india/69-per-cent-of-parties-income-sources-unknown-study-reports-4490261/

Exit mobile version