TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    पाकिस्तान को क्लीन चिट, 'पुलवामा व सिंदूर नाटक' और 'चुनाव आयोग को धमकी': राहुल के बयानों से गरमाई सियासत

    राहुल गांधी का ट्रिपल वार: पाकिस्तान को क्लीन चिट, पुलवामा-सिंदूर को बताया नाटक, EC को दी चेतावनी

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    पाकिस्तान को क्लीन चिट, 'पुलवामा व सिंदूर नाटक' और 'चुनाव आयोग को धमकी': राहुल के बयानों से गरमाई सियासत

    राहुल गांधी का ट्रिपल वार: पाकिस्तान को क्लीन चिट, पुलवामा-सिंदूर को बताया नाटक, EC को दी चेतावनी

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

क्यों अमेरिकी सैनिक लेफ्टिनेंट-कर्नल रंगराज और उनकी पलटन को “मैरून एंजेल” बुलाते थे?

Arif Mohammad द्वारा Arif Mohammad
24 January 2017
in इतिहास
भारतीय सेना रंगराज
Share on FacebookShare on X

लेफ्टिनेंट-कर्नल रंगराज और उनकी पलटन को “मैरून एंजेल” बुलाते थे?

1910 से ले के दूसरे विश्व युद्ध तक कोरिया(संयुक्त कोरिया) पर जापान का कब्ज़ा था। द्वितीय विश्व युद्ध जापान हार गया और परिणाम स्वरुप जापान को कोरिया के ऊपर अपना कब्ज़ा छोड़ना पड़ा।

http://afe.easia.columbia.edu/main_pop/kpct/kp_koreaimperialism.htm

संबंधितपोस्ट

NCERT के सिलेबस में फील्ड मार्शल मानेकशॉ, ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा जैसे वीरों की कहानी शामिल

राहुल गांधी का ट्रिपल वार: पाकिस्तान को क्लीन चिट, पुलवामा-सिंदूर को बताया नाटक, EC को दी चेतावनी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

और लोड करें

अब जीतने वाली शक्तियाँ थी संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ। दोनों ने मिल के कोरिया को आधा आधा बाँट लिया।कब्ज़ा करने की नीयत से नहीं पर ये सोच के की मिल के कोरिया के लिए एक सरकार का गठन करेंगे।साथ ही जो जापानी सैनिक इन इलाको में थे उनसे आत्मसमर्पण करवाना भी इस बंटवारे का उद्देश्य था। नार्थ कोरिया में मौजूद जापानी सैनिको ने सोवियत संघ के सामने हथियार डाले तो वही दक्षिण कोरिया में मौजूद जापानी सैनिको का समर्पण अमेरिका ने करवाया।

सरकार का गठन तो हो जाता पर दिक्कत यह थी की अमेरिका चाहता था की उसके पक्ष वाली सरकार बने और सोवियत संघ अपने पक्ष वाली सरकार चाहता था।अब जब तक यह तय नहीं होता की सरकार कैसे बने,तब तक के लिए कोरिया को अमेरिका और सोवियत संघ ने आपस में बाँट लिया। नार्थ याने की उत्तर क्षेत्र का दायित्व सोवियत संघ ने संभाला तो वही दक्षिण कोरिया के क्षेत्र में अमेरिका ने अपना प्रभुत्व जमाया। नार्थ और साउथ का फैसला “38th पैरेलल नार्थ” नाम की रेखा के आधार पर किया गया। इस रेखा के उत्तर के तरफ वाला कोरिया कहलाया नार्थ याने की उत्तर कोरिया और दक्षिण तरफ वाला हिस्सा कहलाया दक्षिण कोरिया।

सरकार इसी लिए भी नहीं बन पा रही थी क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका चाहता था की बनने वाली सरकार के मुखिया बने Syngman Rhee तो वही सोवियत संघ का समर्थन Kim II-sung के साथ था। kim II sung द्वितीय विश्व युद्ध के समय सोवियत संघ की सेना में मेजर के पद पे थे।

अब इस बीच संयुक्त राष्ट्र याने की यूनाइटेड नेशन ने जल्द से जल्द कोरिया में चुनाव करवाने के लिए कहा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का प्रभाव ज्यादा था इसीलिए सोवियत संघ चुनाव के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था। इधर सोवियत संघ के इस रवैये के कारन यूनाइटेड नेशन और अमेरिका ने मिल के सिर्फ दक्षिण कोरिया में चुनाव करवा दिए May 1948 में। कुछ महीनो बाद सोवियत संघ ने उत्तरी भाग में चुनाव करवा दिए सितंबर में। अब सरकार बन चुकी थी दो और क्षेत्र था एक। दोनों चुनी हुई सरकार ही अपने आप को पूरे कोरिया की सरकार मानती थी। और यही कारण था की kim ll sung के नेतृत्व वाले उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट सरकार ने 1950 में दक्षिण कोरिया पे हमला कर दिया और आधे से ज्यादा दक्षिण कोरिया पे कब्ज़ा कर लिया। अब यहाँ पे दखल दिया संयुक्त राष्ट्र ने और संयुक्त राज्य अमेरिका ने। संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना,और संयुक्त राष्ट्र की सेना दक्षिण कोरिया के समर्थन में युद्ध के समर में उत्तर गयी। और इस सेना ने तेज़ी से उत्तर कोरिया को पीछे धकेलना शुरू कर दिया।

एक समय ऐसा आया जब kim ll Sung आत्म समर्पण को तैयार हो गए। और अब लग ही रहा था की शायद अब युद्ध का अंत हो जाएगा,तभी एक नया मोड़ आ गया। चीन ने अपनी सेना नार्थ कोरिया के समर्थन में उतार दिया।

चीन में उस समय नया नया माओ का कम्युनिस्ट शासन स्थापित हुआ था और शायद चीन ने इसी लिए उत्तर कोरिया के पक्ष में अपनी सेना उतारी क्योंकि चीन के हिसाब से अगर उत्तर कोरिया में अमेरिकी दखल बढ़ती तो अमेरिका की पहुँच चीन तक हो जाती क्योंकि चीन और उत्तर कोरिया की सीमा जुडी हुई है।

इसके बाद तो लड़ाई और ज्यादा भयानक हो गयी। तीन साल तक लड़ाई चली लोग मरते रहे,सैनिक अपनी जान देते रहे,दोनों पक्ष ही आत्म समर्पण को तैयार नहीं थे। तीन साल तक ये लड़ाई चली बिना किसी नतीजे के। बीस लाख से ज्यादा सैनिक और नागरिक मारे गए इस लड़ाई मे।

अब प्रश्न ये उठता है की जब ये सब हो रहा तब हमारे देश भारत का क्या रुख था? ये जानना इसीलिए जरुरी है क्योंकि इस युद्ध के बाद ही भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मन में गुट निरपेक्षता की बुनियाद तैयार हुईं । और दूसरी और सबसे मुख्य बात यह की उस वक़्त भारत संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी कौंसिल के नॉन परमानेंट मेंबर्स की सूचि में था। जब उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पे हमला कर दिया तो उसके विरोध में कुल तीन प्रस्ताव लाये गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक में। प्रस्ताव क्रमांक 82,83 और 84। प्रस्ताव क्रमांक 82 इस बारे में था की उत्तर कोरिया तुरंत अपने सैनिक वापस बुलाए और इस हमले को ख़त्म करे।

प्रस्ताव क्रमांक 83 उत्तर कोरिया के इस हमले को शांति भंग करने की कोशिश का दोषी ठहराने को ले के था।

सुरक्षा परिषद् अस्थायी सदस्य होने के नाते भारत ने इन दोनों प्रस्ताव का समर्थन किया। परंतु जब प्रस्ताव क्रमांक 84 लाया गया इस विषय में तो भारत ने वोट करने से मना कर दिया। यह प्रस्ताव क्रमांक  84 कोरिया में संयुक्त राष्ट्र की सेना भेजने के लिए था।

खैर ये प्रस्ताव पास हो गया और भारत को भी संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अपनी सेना भेजनी थी पर जवाहरलाल नेहरू ने मना कर दिया। भारत लेकिन भारतीय सेना की मेडिकल यूनिट भेजने को तैयार हो गया। भारत की तरफ से 60th para field ambulance unit भेजी  गयी। इस यूनिट के कमांडर थे lieutenant colonel ए.जी. रंगराज। जब Para यूनिट का ब्रिटिश राज में गठन हुआ तो lieutenant colonel रंगराज उस यूनिट का हिस्सा थे और वो ऐसे पहले भारतीय रंगराज थे जिन्होंने भारत में पैराशूट से छलांग लगाई थी। निश्चित रूप से इस अभयान का नेतृत्व करने के लिए वो सबसे उपयुक्त व्यक्ति थे। इस यूनिट में 346 भारतीय सैनिक थे जो की मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हुए थे। इनमे 4 युद्ध क्षेत्र के महारथी सर्जन भी थे।

नवम्बर,1950 

नवम्बर,1950 को भारतीय 60 पैरा यूनिट कोरिया के रण में उतरती है। इसी दौरान एक वर्णनीय बात होती है। UN  की सेना जहा रुकी होती है वहाँ हमला करते हुए चीनी सैनिक आ पहुँचते  हैऔर UN की तरफ से  60th para को अपनी पोजीशन छोड़ने को कहा जाता है। और दुर्भाग्य यह की इस यूनिट के पास यातायात का कोई साधन उपलब्ध नहीं था और इसका मतलब यह था की उनके अपने सभी मेडिकल उपकरण वही छोड़ने पड़ते। पर इस वक़्त भारतीय दल ने अभूतपूर्व शौर्य दिखलाया और साथ ही अपनी अभूतपूर्व सूझ बुझ भी। 60th para ने अपने पास एक पुराना भांप से चलने वाला  इंजन ढूंढ निकाला। कमांण्डर रंगराज ने बकेट ब्रिगेड बनाई जो इंजन के बायलर में लगातार पानी देने का काम करती रही। दो सैनिको ने ट्रैन चलाया और पुरे उपकरण सहित मेडिकल टीम वहां से निकल गयी। यह अप्रत्याशित इसी लिए है क्योंकि न किसी मेडिकल कॉलेज में न ही किसी आर्मी कॉलेज में ट्रैन चलना सीखाया जाता है। और उस यूनिट के एक भी सदस्य ने इससे पहले कभी ट्रैन नहीं चलाया था। यह है भारतीय सेना का शौर्य और हमारी सेना का उत्कृष्ट इतिहास जिसके बारे में पढ़ के,सुन के ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

और पढ़े : आज से ठीक एक सौ साठ साल पहले, हमारे देश ने ना बोलना सीखा था

जो काम लेफ्टिनेंट-कर्नल रंगराज और 60 para ने कर दिखाया था वह लगभग असंभव था। पर असंभव को संभव कर दिखाना ही तो भारतीय सेना की पहचान है।

बाद में lieutenant colonel रंगराज ने कहा की,”हमारे उपकरण उत्कृष्ट किस्म के थे,वह वहाँ छूट जाते तो उनकी यूनिट युद्ध में किसी किस्म की मदद करने लायक नहीं रह पाती।” पर यह भारतीय सेना के शौर्य का अंत नहीं आरम्भ था।

मार्च,1951

मार्च 1951 को 4000 US सैनिको से सुसज्जित US army 187 parachute regiment combat team ने आपरेशन टॉम हॉक शुरू किया।उन्हें हवा के रास्ते युद्ध क्षेत्र तक पहुँचना था।  इस आपरेशन के लिए उन्हें para medical team की आवश्यकता थी। भारतीय दल से ज्यादा उपयुक्त कोई नहीं था इस काम के लिए और कमांडर रंगराज ने खुद से कहा की उनकी यूनिट  तैयार है इस मिशन के लिए।अमरीकी फौज के साथ बारह भारतीय दल के लोग गए इस आपरेशन के लिए । इन बारह लोगो में खुद कमांडर रंगराज भी थे। हवा से सिओल से 25 मील दूर उतरने वाली फौज के साथ कूदने वाले ये भारतीय दल के बारह लोग भी थे।

बाद में एक US कमांडर ने कहा की,”मैं भारतीय दल की क्षमता देख के हैरान हूँ,इस छोटे से दल ने लगभग 103 ऑपरेशन्स में हिस्सा लिया और आपरेशन टॉम हॉक में लगभग 50 ऐसे अमरीकी सैनिक थे  जिनका जीवन भारतीय दल का ऋणी है। ”

सितंबर,1951 

भारतीय दल को कामनवेल्थ ट्रूप के साथ जोड़ दिया गया। छह दिन की लड़ाई में भारतीय दल ने 448 घायल सैनिको का इलाज किया।

अक्टूबर,1951 

भारी गोलीबारी के बीच भारतीय दल ने 150 घायल सैनिको को युद्ध क्षेत्र से निकाला।

UN के जितने भी दल कोरिया में रहे कोई भी एक साल से ज्यादा नहीं रह पाया। मगर भारतीय 60th para वहाँ चार साल तक रही। चार साल में इस  यूनिट ने 1000 सर्जरी की। 2 लाख घायलो का उपचार किया। कोरियायी डॉक्टरों और नर्स को प्रशिक्षण दिया।कोरिया में काम करते हुए भारतीय 60th para को “मैरून एंजेल” के नाम से लोग पुकारने लगे थे।

इस यूनिट को दो महावीर चक्र और सात वीर चक्र से सम्मानित किया गया। आपरेशन टॉम हॉक में शामिल बारह भारतीय सैनिको को अमेरिका का “US पैराशूट विंग ” सम्मान दिया गया।

ब्रिटैन के युद्ध और नीति के मंत्री ने ब्रिटैन के हाउस ऑफ़ लार्ड में सबके सामने इस यूनिट की प्रशंसा की। भारत आने पे भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ  द्वारा इस यूनिट को “प्रेजिडेंट ट्रॉफी” से सम्मानित किया गया,10 मार्च 1955 में। भारत के इतिहास में उससे पहले और उसके बाद ये सम्मान कभी किसी को नहीं दिया गया।

साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने इसी लिए विशेष रूप से 2010 में कहा की भारत की कोरियाई युद्ध में की हुई मदद और कमांडर रंगराज  और उनकी 60th para का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता।

अब विचार योग्य बात ये है की इस युद्ध से भारत ने क्या पाया और क्या खोया,भारत ने अपनी सेना नहीं भेजी इस कारण से अमरीका भारत से दूर हुआ और उसने पाकिस्तान से नजदीकी और ज्यादा बढ़ाई । एक विदेशी अख़बार ने लिखा की एशिया में हार या जीत एक व्यक्ति जवाहर लाल नेहरू की सोच से ही तय होती है। इस युद्ध में सेना न भेजने के कारण अंतरराष्ट्रीय  मंचो में जवाहर लाल का कद  बहुत बढ़ गया और शायद इसी के कारण जवाहर लाल के मन में पंचशील और गुट निरपेक्षता के बीज ने जन्म लिया। हालाँकि अमरीकी अखबार का नेहरू की प्रशंसा  के पीछे एक कारण चीन की सत्ता में काबिज़ माओ को नीचा दिखाना भी हो सकता है पर इस तारीफ ने नेहरू के दिमाग में गुट निरपेक्षता के बीज को सदा के लिए रोप दिया।

और पढ़े : क्रांति की अपनी एक अलग परिभाषा थी भगत सिंह की

अंत में युद्ध समाप्त हुआ और तय ये हुआ की जो जहाँ था वो वही रहेगा। यानी के 38th parallel ही दोबारा से उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सीमा रेखा बन गयी। और संयुक्त कोरिया हमेशा के लिए दो भागो में बँट गया। http://www.history.com/this-day-in-history/armistice-ends-the-korean-war

अन्य आवश्यक लिंक्स:- http://www.koreanwar.org/html/units/un/india.htm
http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-features/tp-metroplus/medical-aid-from-the-skies/article3202106.ece
https://kapyongkorea.wordpress.com/2012/06/12/the-mash-heros-youve-never-heard-of/

Tags: Indian ArmyKorean War
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

वैसे क्या गलत बोला मनमोहन वैद्य जी ने?

अगली पोस्ट

आम आदमी पार्टी का एक और कथित घोटाला, इस बार आरोप सीधे केजरीवाल पर

संबंधित पोस्ट

सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’
इतिहास

सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

3 August 2025

आज 3 अगस्त है, इसलिए यह लेख एक ऐसे महान व्यक्तित्व के जन्म दिवस पर लिखा जा रहा हैं, जिनके लिए लोगों द्वारा व्यक्त की...

विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर
इतिहास

विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

26 July 2025

देशभक्ति को बढ़ावा देने और स्थानीय नायकों की स्मृति को संजोने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार अपने सरकारी स्कूलों का नाम कारगिल युद्ध में शहीद...

अब तक आजाद नहीं हो सकीं आजाद की अस्थ्यिां, पांच दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश
इतिहास

आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

23 July 2025

एक ऐसे अमर स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने देश को आजाद करने की कसम तो खाई ही, खुद भी आजाद ही रहे, अंतिम समय तक। लेकिन, यह...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

himalayan fragility exposed. Dharali: Not Just A Cloudburst?

himalayan fragility exposed. Dharali: Not Just A Cloudburst?

00:20:21

India’s Project-18 Warship Will Crush China’s Indo-Pacific Dreams

00:05:52

PRALAY MISSILE: Know about India’s 5,000 kg Beast That Can Evade Any Radar

00:05:52

Is Congress Against Migrants? Chidambaram Calls Biharis 'Illegal Voters'

00:07:49

Gandhi Family Losing Grip allies Disown Rahul’s Trump-Style Attack on Indian Economy

00:06:28
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited