क्या आपने कभी सार्वजनिक पार्कों में होने वाली अश्लीलता नहीं देखी है?

एंटी रोमियो स्कवॉड

उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी की सरकार बनते ही अपने पुरे फॉर्म में आ गयी हैं। तुष्टिकरण की राजनीति से अलग होकर अवैध बूचड़खानों को बंद कराने से लेकर सरकारी संस्थानों और कार्यालयों में साफ़-सफाई पर जोर देने देने जैसे फैसले बिना किसी कैबिनेट मीटिंग के बड़ी कड़ाई से लिये गए हैं। उत्तरप्रदेश में महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा हैं। इसी को ध्यान में रखते हुये “एंटी रोमियो स्कवॉड” बनाया गया हैं, जो सड़क पर खड़े या आवारागर्दी करते हुये मनचलों पर शिकंजा कसेगा।

यह “एंटी रोमियो स्कवॉड” जमीनी स्तर पर बहुत शानदार काम कर रहा हैं लेकिन मीडिया के स्वघोषित बुद्धिजीवी वर्ग और सोशल मीडिया में बैठे ठेकेदार रुपी पत्रकारों को अपने ‘लिबरल’ जीवन में यह एक ‘तालिबान’ का रूप लग रहा हैं। ‘अब कहाँ जायेंगे प्यार करने रोमियो और जूलियट?’, ‘क्या उत्तरप्रदेश तालिबान बन रहा हैं?’ इस तरह के हैडलाइन देकर मीडिया अपनी ओछी हरकतों को पेश कर रहा हैं। यदि एंटी रोमियो स्कवॉड ने गलती से 2-4 लोगों को पकड़ लिया तो क्या हुआ ? उसे सजा तो नहीं हुई ना ? दरअसल समस्या जमीनी स्तर पर बिल्कुल अलग दिखाई पड़ती हैं।

पहला स्थल :-

मैं मूल रूप से रायपुर का हूँ, छत्तीसगढ़ की राजधानी से। मेरे घर से लगभग 3 किमी की दूरी पर एक बड़ा सार्वजनिक उद्यान हैं। उस उद्यान में सुबह शाम बुजुर्गों के योगाभ्यास से लेकर महिलाओं-पुरषों के व्यायाम और बच्चों का खेलना-कूदना लगा रहता हैं। उद्यान में कुछ प्रेमी युगल शाम को आकर बैठते हैं। अब सार्वजनिक उद्यान हैं तो कोई भी आ सकता हैं, किसी मनाही थोड़ी हैं। असल समस्या यह हैं क़ि उद्यान के एक ओर छायादार वृक्षों के नीचे बैठे प्रेमी युगल अश्लीलता पर उतर आते हैं। बच्चों-बुजुर्गों-महिलाओं के सामने ही दिन ढलते ऐसी हरकतें शुरू हो जाती हैं। यह मैंने खुद देखा हैं।

दूसरा स्थल :-

मैं रायपुर से लगभग 120 किमी दूर बिलासपुर में रह कर पढ़ाई कर रहा हूँ। यहाँ एक ऊर्जा पार्क हैं। इस पार्क में बच्चें-बूढ़े-महिलाएं सभी सामान रूप से आते हैं। लेकिन इस उद्यान में शाम होते ही प्रेमी युगल और प्रेमी युगल के रूप में अन्य असामाजिक तत्व भी आते हैं। उद्यान में पेड़ों के नीचे जो अश्लीलता फैलाई जाती हैं वो बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं।

ये एंटी रोमियो स्कवॉड, समाज, मैं या आप किसी को मिलने से नहीं रोकना चाहते। एक सार्वजनिक स्थल पर प्यार के नाम पर अश्लीलता या होने वाले किसी हादसे को रोकना चाहते हैं। हम कितने ही खबर पढ़ते हैं क़ि किसी ने ‘दोस्ती की आड़ में बलात्कार कर दिया’, ‘धोके से बुलाकर बलात्कार कर दिया’, अब सोचिये उस सुनसान उद्यान में अँधेरे के वक़्त यदि अकेला देख कोई अमानवीय कृत्य होता हैं तो ये लिबरल बनी मीडिया और स्वघोषित बुद्धिजीवी वर्ग सरकार को कोसना शुरू कर देंगे। और यही अश्लीलता फ़ैलाने वालो को एंटी रोमियो स्कवॉड धर दबोचे तो वो कहते हैं क़ि ‘प्यार नहीं करने दे रहे’। अरे भाई प्यार करने से किसी ने नहीं रोका हैं लेकिन प्यार की आड़ में आप सार्वजनिक स्थलों पर अश्लीलता नहीं फैला सकते।

एंटी रोमियो स्कवॉड ने अबतक सैकड़ों मनचलों और छेड़खानी करने वालों को पकड़ा हैं। यदि 2-4 गलती हो गयी तो क्या हो गया ? बेहतर यह हैं क़ि महिला सुरक्षा के लिये एक सकारात्मक कदम उठाया गया हैं उसका समर्थन करें। महिलाओं की सुरक्षा के लिये कैंडल मार्च निकलने, आंदोलन करने, लेख लिखने, कैम्पेन करने या भाषण देने से कुछ नहीं होता, इसके लिये जमीनी स्तर पर कार्य करने होते हैं।

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