तो क्या योगी राज में मुसलमानों को डरने की आवश्यकता है?

योगी

उत्तरप्रदेश में अद्भुत विजय से भाजपा गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ जी को मुख्यमंत्री बनाकर ‘आरंभ हैं प्रचंड’ वाले मोड में आ चुकी हैं। योगी आदित्यनाथ जी भाजपा के फायर ब्रांड नेता हैं। जहाँ एक तरह मीडिया उन्हें विवादित छवि वाले नेता के रूप में पेश करता हैं वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर वो किसी हीरो से कम नहीं हैं। बोलने की शैली, काम करने का अंदाज और भगवा वस्त्रधारी सन्यासी जीवन उनकी पहचान हैं। लेकिन उनके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही कुछ मीडिया समूह के साथ साथ छद्म धर्मनिरपेक्षता के कुपढ़ प्रवर्तक इसे एक सांप्रदायिक फैसला बता रहे हैं। योगी जी के आने से पहले ही मुस्लिमों के मन में भय जगाने की कोशिश की जा रही हैं बिल्कुल उसी तरह जिस तरह मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के पहले की गयी थी।

योगी आदित्यनाथ जी 26 वर्ष की उम्र से सांसद हैं, लगातार 5 वीं बार। गोरखपुर क्षेत्र के साथ-साथ पुरे पूर्वांचल में जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ हैं। गोरखपुर में उनके पीठ में हिन्दू मुसलमान सभी अपन परेशानियां लेकर आते हैं। पीठ के दुकानों में अधिकतर दुकानें मुसलमानों की ही हैं। योगी जी के नेतृत्व में रहते गोरखपुर में एक भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुये हैं, ना ही किसी भी मुस्लिम के साथ दुर्व्यवहार किया गया हैं।

पूर्वांचल के बाद अब पुरे प्रदेश में योगी का युग शुरू हो गया है। एक तरफ जहां हिंदुओं में गजब का जोश है वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों का उत्साह भी देखने वाला है। गोरखपुर के घोषी पुरवा इलाके में मुस्लिम समाज के लोग ढोल और ताशों के साथ लोगों में गुलाब बाँट रहे हैं। महंत योगी आदित्यनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने से सभी गोरखपुर वासियों को काफी ख़ुशी और गर्व महसूस हो रहा है।

योगी जी के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर लखनऊ में भी शिया समुदाय के लोगों ने भी जबरदस्त ख़ुशी मनाई। सआदतगंज के दरगाह हजरत अब्बास पर शिया समर्थको ने साथ जमकर जश्न मनाया। साथ ही एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दी बधाई।

मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ समाज के लोगों का भला जरुर करेंगे साथ ही पूर्वांचल का तेजी से विकास होगा। उम्मीद है कि प्रदेश से गुंडाराज समाप्त होगा और महिलाओं की सुरक्षा बढ़ेगी।

योगी आदित्यनाथ जाति से राजपूत, कर्म से ब्राम्हण नाम से योगी और सबसे ऊपर एक सनातनी संत सन्यासी हैं। एक सनातनी संत या सन्यासी कभी अहिंसा का प्रवर्तक नहीं होता, वो सिर्फ ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे सुखीना भवन्तु’ को मानने और पालन करने वाला होता हैं।

तो किसी भी समुदाय के व्यक्ति को डरने की आवश्यकता ना पहले गोरखपुर में थी ना आज उत्तरप्रदेश में हैं।

आज तक मीडिया ने इनके बेबाक सच को भी विवादित बयान की तरह पेश किया हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ अपने मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही योगी जी ने कहा क़ि यूपी में ‘सबका साथ सबका विकास’ ही होगा। अपने शपथ समारोह और जश्न में किसी भी तरह के हुड़दंग पर कड़ा रूख लेते हुये इसके लिये भी उन्होंने समझाईश दी हैं।

मीडिया की नज़र में कभी अटल जी धर्मनिरपेक्ष हुआ करते थे और अडवाणी जी कट्टर। फिर 2014 में आडवाणी जी धर्मनिरपेक्ष हो गए और मोदी जी कट्टर। अब उनकी नज़र में मोदी जी धर्मनिरपेक्ष हैं और योगी जी कट्टर। तो मीडिया की बातो में आकर अपना फैसला मत कीजिये। उन्हें खुद नहीं पता होता क़ि कब किसके इशारे पर किधर फैसला करना हैं। अपने विवेक का इस्तमाल कीजिये। योगी जी एक संवैधानिक पद पर हैं उस पद की गरिमा का सम्मान करना आपका, हमारा और उनका कर्तव्य हैं। वो तो निर्वहन करेंगे ही आप और हम भी करे तो लोकतंत्र मजबूत होगा।

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