मणिपुर में भाजपा सरकार के शपथ लेने के साथ ही उत्तर-पूर्व भारत में भाजपा दूसरे राज्य में सत्ता पाने में सफल रही है। इस कामयाबी की इबारत चंद दिनों में ही नहीं लिखी गयी है बल्कि इसके पीछे जी-तोड़ मेहनत छिपी हुयी है।
इसकी सबसे पहले शुरुवात हुयी नार्थ ईस्ट में रेलवे के विस्तार से, जो कि नार्थ ईस्ट को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक ऐतिहासिक कदम था और अभी क्रियान्वित भी है| दूसरी शुरुवात भाजपा द्वारा लोकसभा चुनावों को जीतने के बाद, अरुणाचल प्रदेश से किरण रिजीजू को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाकर की गयी, जिसमें रिजीजू को नार्थ ईस्ट की आवाज बनाकर पेश किया गया और जिसे रिजिजू ने बखूबी निभाया भी| भाजपा अपनी रणनीति के अंतर्गत नार्थ ईस्ट के लोगों में पार्टी के प्रति एक सकारात्मक भाव जगाने में कामयाब रही और रणनीति के ही अंतर्गत भाजपा नार्थ ईस्ट के लोगों को “अति महत्वपूर्ण” प्रचारित करने में सफल रही| जिसका सीधा सीधा लाभ उन्हें असम के चुनावों में देखने को मिला और फलस्वरूप भाजपा, नार्थईस्ट के पहले किले में बहुमत के साथ सेंध लगाने में सफल रही|
अगर आपने नार्थ ईस्ट के चुनावों का गंभीरता से विश्लेषण किया होगा तो पाया होगा कि ज्यादातर राज्यों में पूर्ववर्ती सरकारें कांग्रेस की रहीं है या अभी भी हैं|
नार्थ ईस्ट की जनता का भाजपा के प्रति झुकाव दर्शाता है कि प्रधानमंत्री जी की विकासशील योजनाओं से वे खासा प्रभावित हैं और बदलाव की बाँट जोह रहे हैं| इससे अलग भाजपा में उन्हें राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व का मौका भी मिल रहा है|
वर्तमान में देखें तो हम पाते है कि देश के उत्तर पूर्वी राज्य अभी तक मुख्यधारा में पूरी तरह से जुड़ नहीं पायें हैं| कारण यह नहीं है कि वे जुड़ना नहीं चाहते अपितु कारण यह है कि समुचित संसाधन उन राज्यों तक पहुँच नहीं पाए है या अन्य शब्दों में कहूँ तो राजनैतिक संगठनों द्वारा पहुचने नहीं दिए गए हैं| मुख्यधारा से कटे होने कि वजह से वे भारत की नब्ज एवं विविधता को पूरी तरह से पहचान नहीं पाए हैं परन्तु “परिवर्तन संसार का नियम है” और जिसका प्रभाव आप उत्तर पूर्वी राज्यों में हो रहे चुनावों में देख ही रहे होंगे|
नार्थ ईस्ट राज्यों का इतिहास और संस्कृति, भारत के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति में स्वर्णिम अध्याय जोड़ता रहा है और अभी भी जोड़ रहा है| ये राज्य देश को समय समय पर अपनी प्रतिभाओं का परिचय कराते रहे हैं|
अगर मणिपुर की बात करें तो भाजपा के पदचिन्ह इस राज्य में पड़ चुके हैं| भाजपा राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी सरकार बनाने में सफल रही| सरकार बनाने की साथ ही इन राज्यों में टिकना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। फिलहाल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को राज्य स्तरीय नेतृत्व के साथ मिलकर नार्थ ईस्ट के भविष्य का खाका तैयार करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि स्वयं को स्थापित करने के लिए आपको लोगों के दिलों की गहराईयों तक पहुचना होता है।