लखनऊ में मंगलवार को लगभग 12 घंटे तक चले गोलीबारी के मुठभेड़ में एक आतंकी को मार गिराया गया। आतंकी का नाम सैफुल्लाह था। आतंकी एक घर के अंदर था और उसे बंकर की तरह इस्तमाल कर रहा था। ATS और पुलिस कर्मियों पर उसने 60 राउंड गोलियां भी फायर की। आँसू गैस, मिर्च बम छोड़ने और गोलीबारी करने पर भी वह आतंकी सरेंडर करने को राजी नहीं हुआ और गोलियां चलाता रहा, सैफुल्लाह को ज़िंदा पकड़ने के लिये ATS ने भरपूर कोशिश की लेकिन वह मारा गया।
पुलिस पर 60 राउंड से ज्यादा फायरिंग, बम, बन्दूक, ISIS का झंडा, भारतीय रेल का नक्शा, 8 मोबाइल, अलग-अलग सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, नगद रूपए, गोलियां और साथ ही आगे की योजनाओं की सूची। ये सब होने के बाद आप इसे आतंकी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ? यही कहा हैं इस आतंकी के पिता ने। जिससे आतंकियों को क्रन्तिकारी और शहीद मानने वाले सभी लोगों को सीख लेनी चाहिये।
दरअसल पुलिस के साथ मुठभेड़ में मार गिराए गए आतंकवादी सैफुल्लाह के पिता सरताज ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है।
अपने बेटे को ‘गद्दार’ करार देते हुए उन्होंने कहा है कि ‘सैफुल्लाह ने देश हित में काम नहीं किया हैं, हम उससे नाराज़ हैं, देशद्रोही के शव को हम नहीं लेंगे।’ सरताज ने जो आज बात कही हैं वो ना सिर्फ प्रशंसनीय हैं बल्कि समाज के एक तबके के लिये सीख हैं जो इन आतंकियों को हीरो समझते हैं।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष के कुछ नेता, कुछ विशेष मीडिया समूह के साथ साथ सोशल मीडिया में बैठे नयी हिंदी के पत्रकारों के लिये यह एक ‘कथित’ और ‘संदिग्ध’ आतंकी था। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक समूह ने इसे आतंकी ना मानकर ‘युवा आदमी’ और एक अख़बार ने तो इसे मात्र एक ‘आम आदमी’ मान लिया हैं। जब आतंकी के पिता ने स्वयं उसे ‘देशद्रोही’ और आतंकी समझ उसे अपनाने से इंकार कर दिया तो इन्हें क्या समस्या हैं ? इन्हें अपनी इंटेलिजेंस पर भरोसा नहीं या पुलिस पर भरोसा नहीं ? इनकी सांत्वना हमेशा देशविरोधी तत्वों के साथ ही क्यों होती हैं ? पुलिस जवान पर फायरिंग करना, बम रखना, गोलियां, ISIS का झंडा रखना, क्या ये सीधा आतंकी नहीं हैं ? ‘संदिग्ध’ आतंकी कैसे ? 2 दिन पहले भी कश्मीर में एक आतंकी के जनाजे में हजारों की भीड़ उमड़ी थी, इन विशेष बुद्धिजीवीयों की सोच उस भीड़ से कम नहीं समझा जा सकती, क्योंकि दोनों की नज़र में आतंकी, ‘आतंकी’ नहीं हैं। कश्मीर में यदि उस आतंकी के पिता ने भी सरताज जैसा काम किया होता तो भारत विरोधी तत्वों को समर्थन नहीं मिलता।
सरताज जैसे पिताओं से सबक लेकर अब ‘अफज़ल’ और ‘याकूब’ जैसे को अपना हीरो और आदर्श मानने और उनके समर्थन में भारत के टुकड़े चाहने वालों के भी माता-पिता को सोचना चाहिए। जिस दिन सभी देशविरोधी तत्वों को उनके माता पिता अपनाना बंद कर देंगे, समाज अपनाना बंद कर देगा उस दिन वो देश का विरोध करना बंद कर देंगे।
फ़िलहाल सरताज जी ने प्रशंसनीय काम कर अपने देशभक्ति का परिचय दिया हैं। और हम उम्मीद करते हैं क़ि इस बात से सबक लेकर कुछ कदम देश हित में सकारात्मकता के साथ उठे।
Inka samarthan karne walo ko bade ijjat k sath isolate kr dena chahiye … Puri socity se