गुजरात के आगामी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जीतेगी या नही ये प्रश्न पूछना उतना ही बेमानी है जितना के ये पूछना के क्या कल भी सूरज पूर्व से ही उगेगा। सच पूछो तो गुजरात में सरकार का समानार्थी शब्द ही भाजपा बन चुकी है। और हो भी क्यों ना, प्रधान मंत्री बनने से पूर्व नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उनके द्वारा राज्य का किया गया विकास सदृश्य है। चाहे वाइब्रेंट गुजरात हो या फिर पर्यटन को बढ़ावा देना, औद्योगिक प्रगति हो या पिछड़े इलाको का उत्थान, गुजरात ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है। गुजरात को एक जुझारू राज्य की छवि से निकाल के एक प्रगत राज्य बनाया। लेकिन अब जब भाजपा उन राज्यो में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है जिनमें कभी ये माना जाता था के भाजपा की सरकार आ ही नही सकती चाहे उत्तर पूर्वी राज्य आसाम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश हो या मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू और कश्मीर। ऐसे में ये देखना होगा के भाजपा अपने गढ़ याने गुजरात में कितने ज्यादा मार्जिन से जीतती है। गुजरात चुनाव से पहले आइये इसके कुछ पहलुओ पे ध्यान देते है।
सबसे पहले भाजपा की वर्तमान स्थिति के हिसाब से इस समय गुजरात में भाजपा के अनुमानित तौर पर 90 लाख से अधिक कार्यकर्ता काम कर रहे है। गुजरात की आबादी है 6 करोड़ है, मतलब गुजरात का हर छठवाँ व्यक्ति भाजपा कार्यकर्ता है, या यूँ कहे कि अगर हम माने के एक परिवार में 6 लोग है तो औसतन प्रत्येक परीवार में एक भाजपा कार्यकर्ता है। भाजपा के लिए आगामी गुजरात चुनाव में यह एक बहुत ही बड़ा रोल अदा करेगा।
भाजपा की दूसरी विशेषता है “अमित शाह” जिन्हें आधुनिक राजनीती का चाणक्य भी कहा जा सकता है, जिन्होंने 2014 के आम चुनाव और हाल ही में हुये उत्तरप्रदेश चुनाव में अपना लोहा मनवाया, जिस अमित शाह ने उत्तरप्रदेश जैसे राज्य जहाँ भाजपा का अस्तित्व ना के बराबर था वहाँ भाजपा की सरकार अकल्पनीय मतों और सीटो के साथ बनवा दी, वो गुजरात में याने अपने गढ़ में क्या नही कर सकते ? गुजरात चुनाव के लिए इस बार उन्होंने मिशन 150 का लक्ष्य रखा है।
गुजरात में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता भी भाजपा के लिए एक मायने रखने वाली बात है, नरेंद्र मोदी गुजरात में वैसे ही लोकप्रिय नेता थे अब प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी लोकप्रियता कई गुना बढ़ गयी है। वैसे देखा जाये तो फ़िलहाल इस गुजरात चुनाव में भाजपा की सत्ता के लिए किसी से टक्कर ही नहीं है। भाजपा के सत्ता का रास्ता काफी साफ है। हालांकि आनंदी बेन के कार्यकाल में गुजरात में कुछ खास हो नहीं रहा था पर अब विजय रूपानी के पद सम्हालते ही गाड़ी फिर से पटरी पे आ गयी है।
ये तो बात हो गयी भारतीय जनता पार्टी की अब आईये देखते है उनके विरोधियो के बारे में। गुजरात चुनाव में भाजपा के दो प्रमुख विरोधी है “कांग्रेस” और “आप”। पहले देखते है कांग्रेस के बारे में। कांग्रेस की स्थिति देश और राज्य में वो नहीं रही जो 2012 के वक़्त थी। उस वक़्त कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी, कई राज्यो में भी उनकी सरकार थी, पर 2012 के बाद कांग्रेस लगातार हारती गयी है, बिहार और पंजाब छोड़ दे तो कोई बड़ा राज्य नही जीत पायी है। बिहार में भी उनकी भागीदारी न के बराबर है और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल को विरोधी लहर का सामना करना पड़ा, और क्योंकि भाजपा का साथ पंजाब में बस नाममात्र ही था तो कांग्रेस को किसी खास विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। और एक बात यह कि पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा चहेरा था जो गुजरात चुनाव के लिए नहीं है, साथ ही गुजरात चुनाव में भाजपा के खिलाफ विरोधी लहर का तो सवाल ही नहीं उठता। गुजरात कांग्रेस के नेताओ में आपसी मतभेद है वो अलग। कांग्रेस के खिलाफ गुजरातियो का एक भावनात्मक पहलु भी है, सरदार वल्लभभाई पटेल से ले कर नरेंद्र मोदी तक कांग्रेस इनके प्रति हमेशा ही नकारात्मक रही है। इन सब बातो का संज्ञान लेते हुये ये प्रतीत होता है कि आगामी गुजरात चुनाव में कांग्रेस की 2012 से भी कम सीटे आ सकती है।
अब बात करते है गुजरात की दूसरे विरोधी के बारे में जो की स्वघोषित है। जी हाँ मैं आम आदमी पार्टी की ही बात कर रहा हूँ। सच पूछा जाये तो ये पार्टी एक बुलबुला है जो सिर्फ सतही तौर पे ही आपको दिखाई देती है। अंदर बस हवा भरी है। इसका प्रत्यक्ष रूप हमें हाल ही में हुये पंजाब और गोवा चुनाव में आता है। पंजाब में आप को शिरोमणि अकाली दल की विरोधी लहर का फायदा तो मिला लेकिन रिकॉर्ड मतों से जितने का दावा करने वाली पार्टी वहाँ सरकार नही बना पायी। गोवा में तो और बुरी हालत थी, गोवा में आप ने 90 प्रतिशत से ज्यादा सीटे जीतने की बात कही थी, लेकिन उनके लगभग सभी उम्मीदवारो की वहाँ जमानत तक जब्त हो गयी।
हार्दिक पटेल जैसे कुछ लोग है जिन्होंने राज्य में अशांति फैलाकर सरकार की छवि ख़राब करने की कोशिश की। लेकिन उनकी खुद की हरकतों ने उन्ही की पोल खोल दी। पटेल समुदाय भी ऐसे लोगो की बातो में आने वाला नहीं दिखा।
गुजरात में नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री बहुत काम किया है। हर वर्ग को खुश करने का प्रयास किया है। किसानो को 56 पैसा प्रति यूनिट के हिसाब से 24 घंटे बिजली दी, औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया, सूखाग्रस्त जगहों तक नर्मदा का पानी पहुँचाया, सोलर एनर्जी को एक मुख्य स्त्रोत बनाया, यहाँ तक के सोलर एनर्जी के उपकरण खेत खलिहानों में लगाके किसानो द्वारा 5 रु प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली भी खरीदी। ये सब बाते गुजरात की जनता इतने जल्दी नहीं भूल सकती। इस बार का गुजरात चुनाव भी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ने की संभावना है इसलिए मेरा मानना है के भाजपा आगामी गुजरात चुनाव सिर्फ जीतेगी नहीं बल्कि एक बड़े अंतर के साथ जीतेगी।