बचपन में मेरे पिताजी जब मुझे पढ़ाने बैठते थे तो मैं अंग्रेजी वर्णमाला में ए टू ज़ेड लिख देती थी, मगर हिन्दी में क, ख, ग लिखने में मुझे बड़ी बोरियत होती थी। वजह पूछने पर मैंने बताया कि – हिंदी के अक्षर सब टेढ़े – मेढ़े लगते हैं, लिखने का मन नहीं करता।
ख़ैर, इसका तात्पर्य ये कभी नहीं हुआ की जीवन में अंग्रेज़ी भाषा सीखने के चक्कर में मैंने हिंदी को पीछे छोड़ दिया हो। बल्कि, सदा ही मेरी हिन्दी मेरे सभी सहपाठियों से अच्छी ही रही।
लब्बोलुआब ये है कि अंग्रेज़ी भाषा सीखने का तात्पर्य यह नहीं है कि आप हिन्दी की अवहेलना कर रहे हैं। या फिर यूँ कहें कि अंग्रेज़ी भाषा पाश्चात्य की देन है भई, इसे अपनाकर हमारा हिंदुत्व कम हो जायेगा।
अंग्रेज़ी भाषा एक पुल है, एक सूत्र भाषा है जिसके महत्व के बखान के लिए ज़्यादा कहने की ज़रूरत नहीं है।
योगी आदित्यनाथ। एक भगवाधारी, एक कट्टर हिन्दू और हिंदुत्व को बढ़ावा देने वाला पुरुष, जो एक हिन्दू मठ का मठाधीश हो, सौभाग्य से आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उनके मुख से अंग्रेज़ी भाषा के लिए कुछ ऐसा निकला जो लिबरल्स और एलीट को हज़म ही नहीं हो रहा है। अब कैसे न तारीफ़ करें मुख्यमंत्री के इस कदम की? योगी आदित्यनाथ जैसा एक संत छवि वाला कट्टर हिन्दू इतना प्रोग्रेसिव कैसे सोच सकता है, माय गुडनेस।
हुआ यूँ कि योगी आदित्यनाथ ने गत दिनों एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए अपने एक इंटरव्यू के दौरान ये कहा कि – ” बच्चों को अंग्रेज़ी भाषा सीखने के लिए छठी कक्षा तक इंतज़ार न करना पड़े इसलिए हमने नर्सरी क्लास से ही सरकारी स्कूलों में अंग्रेज़ी भाषा का शिक्षण शुरू किया है। तीसरी कक्षा से उन्हें संस्कृत पढ़ाया जाना चाहिए और दसवीं कक्षा से उन्हें अपनी पसंद की विदेशी भाषा सीखने का विकल्प होना चाहिए। इससे यदि कोई उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी या जापान चाहता है तो उसे उस भाषा में तीन महीने का कोर्स करना होगा, जिसकी आवश्यकता नहीं होगी।”
योगी आदित्यनाथ जी ने यह भी कहा कि – “हमें ऐसी आधुनिक शिक्षा देनी है जो राष्ट्रवाद से भी जुड़ी हो।
योगी आदित्यनाथ जबसे मुख्यमंत्री बने हैं, तबसे हैरान करना बंद ही नहीं कर रहे हैं। लोग सोच रहे थे की योगी आदित्यनाथ के सहारे उत्तर प्रदेश में बीजेपी, संघ परिवार का एजेंडा लागू करेगी, लेकिन मुख्यमंत्री ने नर्सरी से अंग्रेज़ी भाषा शुरू करवा के संघ को बड़ा झटका दिया है।
संघ को अंग्रेज़ी से कितना बैर है ये सब जानते हैं। पिछले वर्ष आरएसएस से जुड़े छात्र शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास को एक पत्र लिख कर मांग की थी कि- शिक्षा के माध्यम के तौर पर अंग्रेज़ी भाषा सभी स्तरों से हटाई जाये।
साल के शुरुआत में ही गोवा से संघ से जुड़े एक दूसरे समूह, भारतीय भाषा सुरक्षा मंच ने मांग की थी कि- राज्य सरकारें अंग्रेज़ी भाषा के माध्यमिक विद्यालयों को दिए जाने वाले अनुदान वापस ले ले और इसके बजाय प्रमुख स्थानीय भाषा को बढ़ावा दे।
योगी आदित्यनाथ ने यह कदम उठाकर यह दिखाया है कि पार्टी राष्ट्रीयता की दिशा में कैसे आगे बढ़ सकती है। उनकी यह सोच उन लिबरल्स के गाल पर एक ऐसा तमाचा है जो उसके निशान तक नहीं छुपा पाएंगे। योगी आदित्यनाथ एक अलग शख़्सियत के स्वामी है और एक सख़्त इंसान है। इसलिए एक बात तो तय है कि वो किसी से दब के काम करने वालो में से नहीं है।
यदि वो गौ-रक्षकों और हिंदुत्व की आड़ में आपराधिक गतिविधियों में शामिल दूसरे समूहों को एक जैसा सन्देश देने में कामयाब रहते हैं तो उनका ये कदम भी दूसरी भाजपा सरकारों के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा।
जैसा की उन्होंने कहा था –
“सत्ता योगियों के लिए, भोगियों के लिए नहीं”