रोहतक की निर्भया: जिसे पढ़ कर भी दिल दहल उठता है, इन हैवानों ने ऐसा किया कैसे

रोहतक बलात्कार निर्भया

Forensic experts and police investigating the murder on spot in Rohtak's IMT area. May 13, 2017: Express Photo

हरियाणा के रोहतक जिले से एक भयावह घटना की खबर आई है। एक ऐसी घटना जिसने दरिंदगी की हदें पार कर दी। पूरा देश कह रहा है कि यह दूसरी निर्भया है, लेकिन क्यों ? आखिर निर्भया बनने का मतलब इस देश में अब क्या रह गया है ? रोहतक में एक 23 वर्षीय लड़की की 6 लोगों ने अस्मत लूट कर उसकी निर्मम हत्या कर दी। और यह ना तो आम बलात्कार था ना ही आम हत्या। बलात्कारियों ने नपुंसक सोच और मर्दवादी होने के अहम् से यह दुष्कृत्य किया है। लड़की के गुप्तांगों में नुकीली चीजें डाल दी गयी, सर पर ईंटो-पत्थरों से वार किये गए, छाती चीर दी गयी थी, पूरा शारीर क्षत-विक्षत कर फेंक दिया गया था। उसके बाद भी उसकी लाश को सड़क के आवारा कुत्ते नोच-नोच के ख़राब कर चुके थे। इस घटना ने महिला सुरक्षा की पोल तो फिर से खोली ही है लेकिन समाज के एक बुरे चेहरे को भी दिखाया है।

जिसे पढ़ कर भी सिहरन हो उठती है, इन हैवानों ने ऐसा किया कैसे। ये समाज की विकृत मानसिकता ही तो हैे।

एक बार सोचिए कि 23 वर्ष की लड़की जिसे 6 लोग अगवा कर के ले जाते हैं, जिसमें से 5 उसकी जान-पहचान के ही हैं, उसकी आबरू से खेला जाता है, उसकी इज्जत सरेआम लूटी जाती है, भूखे-नंगे जैसे कुछ जाहिल लोग उसपर टूट पड़ते हैं और वो चीखती है, चिल्लाती है लेकिन कोई उसकी आवाज़ सुनने वाला नहीं। कोई उसे देखने वाला नहीं, आस पास सिर्फ और सिर्फ जानवर हैं जो उसे शिकार समझ उस पर टूट पड़े हैं। वो शांत हो जाती है, उसका जीवन बर्बाद किया जा चुका है फिर भी उन नपुंसकों का जी नहीं भरता, वो इंसान रुपी जानवर लोग उसके सर पर वार करते हैं, उसके सर की हड्डियां तोड़ देते हैं। उसके गुप्तांगों में नुकीली चीजे डालते हैं। लड़की की मौत से भी जब मन नहीं भरता तो उसकी छाती फाड़ देते हैं और सरे राह उसे फेंक देते हैं। हमसे तो यह सब कल्पना करते हुए भी हमारी रूह काँप जा रही है तो एक बार सोचिए कि उस लड़की ने अपनी आखिरी साँस लेने से पहले इन यातनाओं को कैसे सहा होगा।

मृतक लड़की के परिजनों ने बताया कि आरोपी सुमित लड़की से एकतरफा प्रेम करता था और पिछले कुछ समय से लड़की को परेशान भी कर रहा था। लड़की ने आरोपी के खिलाफ एक माह पूर्व ही एक मौखिक शिकायत भी दर्ज करायी थी। आरोपी लड़की से शादी का दबाव बना रहा था, लड़की के बार बार इंकार करने पर उस लड़के ने साजिश रचकर इस दुष्कृत्य को अंजाम दिया।

5 वर्ष पहले भी दिल्ली में कुछ इसी तरह का वाकया हुआ था, जिसे निर्भया काण्ड कहा जाता है। आज कहीं पर भी कुछ ऐसी दरिंदगी होती है तो उस घटना की यादें ताजा हो जाती है।

निर्भया के सभी वयस्क आरोपियों को फाँसी की सजा दी गयी है लेकिन इन सब के बाद भी आज रोहतक में दूसरी निर्भया क्यों ?

सबसे पहली बात तो यह है कि बलात्कार एक सामाजिक समस्या है ना कि राजनैतिक। इस मुद्दें को राजनैतिक तूल देना भी नहीं चाहिए। भारत में होने वाले बलात्कार में से अधिकांश मामलो में आरोपी जान पहचान का या कोई रिश्तेदार ही होता है। रोहतक वाले मामले में भी 6 में से 5 आरोपी लड़की के पहचान के ही थे। लड़की और आरोपी दोनों ही दलित समुदाय से हैं। अब किसी लड़की के साथ उसके पिता, भाई, रिश्तेदार, मित्र ही कुछ करते हैं तो इसे कैसे रोका जा सकता है ? इसमें तो सीधे सीधे उस मानसिकता का दोष है जो ऐसे कृत्य की सोच भी पनपने देते हैं। आज समाज में हर तरफ से खबरे आती हैं, कहीं कोई पिता तो कहीं कोई भाई तक अपने रिश्ते को कलंकित कर रहा है। इसमें आखिर किसका दोष है ? समाज को इसपर विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसी घटनाएं लगातार क्यों हो रही है।

अभी के रोहतक वाली घटना में आरोपी किसी ख़ास समुदाय से हैं जिस वजह से मीडिया ने भी लगभग इस खबर से किनारा किया हुआ है। लेकिन यह मुद्दा भी उठना चाहिए, यह ही क्यों देश में होने वाले सभी बलात्कार के मुद्दें उठने चाहिए, लेकिन राजनैतिक स्तर पर नहीं सामाजिक स्तर पर। आज समाज को आगे आकर इस पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए। आज छोटे कपड़ों से लेकर खान-पान और रहन सहन के तौर तरीके से लड़कियों को टोका जाता है, लेकिन समाज को अब लड़कों को टोकना चाहिए। जिस जगह, जिस परिस्थिति में कुछ भी गलत होता दिखे वहाँ लड़कियों को समझाईश देने की जगह लड़कों पर कड़ाई बरतनी चाहिए।

कल हम निर्भया के मामले में चुप थे, आज रोहतक के मामले में चुप हैं, हो सकता है जब हमारे साथ ऐसा हादसा हो तो दुनिया चुप रहे। तो ज़रूरत है अभी उठ कर आगे आने की। समाज को अपना दायित्व निभाने की। एक सकारत्मक बदलाव लाने की।

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