छत्तीसगढ़ में पुलिस और प्रशासन ने दिया सुकमा हमले का मुंह तोड़ जवाब

विलास बस्तर नक्सली

नक्सली नेता विलास का शव साभार: http://hindi.eenaduindia.com

अभी हाल के दिनों में नक्सलियों के लगातार हमले की वजह से छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र देशभर में सुर्ख़ियों में बना हुआ है। अभी फिर बस्तर से एक खबर आई है लेकिन यह खबर एक सुकून देने वाली है। बस्तर पुलिस की बड़ी कार्यवाही में एक नक्सली कमांडर को ढेर कर दिया गया है, साथ ही उसकी लाश को भी बरामद किया गया है। नक्सली कमांडर विलास जिसपर 16 लाख रुपये का इनाम था पुलिस के साथ चले मुठभेड़ में मारा गया, उसके पास से एके-47 भी बरामद किया गया है। आमतौर पर नक्सली अपने लोगों के मारे जाने पर उनकी लाशों को ले जाने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन पुलिस और सशस्त्र बलों का हमला इतना कड़ा था कि वह अपने कमांडर को छोड़कर ही भाग गए। इस हमले में नक्सली कमांडर विलास के साथ साथ 2 और नक्सलियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। मृतक नक्सली कमांडर पूर्वी बस्तर डीविज़िनल कमिटी का सदस्य भी था।

बस्तर पुलिस अधीक्षक आरिफ एच. शेख ने इस खबर की पुष्टि भी की। इनके मुताबिक सशस्त्र बलों के ऊपर नक्सलियों ने फिर से घात लगाकर हमला किया था जिसके बाद लगभग 1 से 2 घंटे चले इस मुठभेड़ में इस नक्सली कमांडर को मारा गया। पुलिस बल इस समय पूरी तैयारी के साथ था, किसी हमले के होने की सूचना मिलते ही सतर्कता के साथ पुलिस ने हुए हमले का मुँहतोड़ जवाब दिया। नक्सली कमांडर की मौत के बाद इसे बुर्कापल में हुए नक्सली हमले के बदले के साथ-साथ पुलिस की एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।

बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के दमन का कार्यक्रम काफी बड़े स्तर पर चल रहा है। नक्सलियों ने 2014 से किसी भी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया था या यूँ कहे कि शासन की चुस्ती की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया था। छिटपुट घटनाओं के छोड़ किसी भी बड़ी घटना के पहले नक्सलियों की सभी योजनाओं को असफल किया जा रहा था। बस्तर क्षेत्र में आईजी के रूप में बैठे शिवराम प्रसाद कल्लूरी के रहते पिछले 2 वर्षों में बस्तर क्षेत्र में काफी शांति स्थापित की गयी थी। लेकिन मानवाधिकार की आड़ में बेला भाटिया जैसे वामपंथियों ने आदिवासी शोषण जैसे झूठे और दिग्भ्रमित करने वाले मुद्दें उठाकर कल्लूरी साहब को बस्तर से हटवाया था, जिसके बाद फिर से नक्सलियों ने अपनी गतिविधि तेज कर ली थी।

शहरी नक्सलियों की मदद से ही इन उग्र वामपंथियों के हौसले बुलंद होते हैं। बेला भाटिया जैसे लोगो के नक्सली दमन का विरोध करने बाद ही तुरंत 50 दिनों के अंदर ही बस्तर संभाग के सुकमा क्षेत्र में ही 2 बड़े नक्सली हमले हुए थे जिसमें 40 से अधिक जवान शहीद हुए थे। जिसके बाद पुरे देश में राज्य और केंद्र सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था। लेकिन यह जवाबी कार्यवाही अब एक कड़ा सन्देश देते हुए नज़र आ रही है।

बस्तर में इनामी नक्सली कमांडर विलास को मार गिराने के बाद वहीं नक्सलियों पर दूसरी पकड़ की खबर झारखंड से आई है। 10 लाख का इनामी नक्सली राम सुंदर रामउर्फ़ अलोक जो कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से 1988 से जुड़ा था उसको पुलिस ने उसके घर से ही धर दबोचा है।

झारखंड पुलिस को सूचना मिली थी कि राम सुंदर राम अपने घर आया हुआ है तो पुलिस ने घेरेबंदी कर उसके घर पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया।

नक्सलियों के गिरफ़्तारी और मारे जाने के बाद हर बार मानवाधिकार और शहरी नक्सली इनकी पैरवी करने को तैयार रहते हैं। अब ज़रूरी है कि इन पैरोकारों को नज़रअंदाज़ कर सरकार इसी कड़ाई को बनाए रखे और नक्सलियों के दमन में तत्परता दिखाए।

16 लाख के इनामी नक्सली कमांडर विलास के मौत और 10 लाख के इनामी नक्सली के गिरफ़्तारी के बाद स्थिति सकारात्मक होती नज़र आ रही है। पुलिस की सतर्कता और मुस्तैदी अब और बढ़ेगी। केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सल समस्या से निपटने के लिए योजना पर कार्य आरम्भ भी कर दिया है। सरकार ने नक्सली इलाक़ों में चलाई जाने वाली योजनाओं को भी तेज गति से करने की प्रक्रिया पर जो दिया है। उग्र वामपंथ प्रभावित 44 जिलों की सड़को के निर्माण कार्य में तेजी लाने की व्यवस्था भी की है।

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