गृह मंत्रालय ने एक नई सोश्ल मीडिया नीति को अंतिम रूप दे दिया है, जो देशद्रोहियों के लिए दुस्वप्न है!

सोश्ल मीडिया

Image Courtesy: NDTV Khabar

हाल ही में प्रकाशित मीडिया रेपोर्टों के अनुसार गृह मंत्रालय आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ अपने युद्ध को अगले स्तर तक ले जाने को तैयार है। इसी उपलक्ष्य में केंद्र सरकार एक नई सोश्ल मीडिया नीति की घोषणा करेगी, जिसमें देशद्रोही कृत्यों पर लगाम लगाने के लिए सरकार सोश्ल मीडिया की गतिविधियों पर अपनी तीव्र दृष्टि डालती रहेगी। जब इसकी घोषणा और तैयारी दोनों पूरी हो जाएगी, तो ये अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम होगा, जो सोश्ल मीडिया पे व्याप्त शरारती एवं असामाजिक तत्वों और साथ ही साथ वर्चुअल दुनिया में व्याप्त आतंकवाद से लड़ने में देश की सहायता करेगा।

इन हालातों में ये जानना अत्यंत आवश्यक है, की कैसे सोश्ल मीडिया का आतंकवाद को पनाह देने, अलगाववाद को बढ़ावा देने और अन्य देशद्रोही गतिविधियों को हवा देने के लिए गलत इस्तेमाल किया गया है:-

सोश्ल मीडिया का ज़बरदस्त दुरुपयोग:-

पिछले एक दशक में सोश्ल मीडिया जिस तेज़ी से बढ़ रहा है, उसका कोई सानी अभी के लिए नहीं दिखता। राजनैतिक अभियानों से लेकर व्यावसायिक विज्ञापनों में इसकी रचनात्मकता का सर्वाधिक उपयोग किया गया है। हालांकि इसके दुरुपयोग भी कम नहीं हुये हैं। ऐसे कई सोश्ल मीडिया ब्लॉग हैं, जिनका इस्तेमाल देशद्रोही विचारधारा और गतिविधियों को फैलाने में खूब बढचढ़ कर किया गया है, जिसमें कई बार अपने ही देश के खिलाफ हथियार उठाने और तबाही मचाने के लिए उकसाया जाता है। क्योंकि इस पर वर्तमान सरकार ज़्यादा लगाम नहीं कसती है, इसीलिए सोश्ल मीडिया ऐसी जानकारी के प्रचार प्रसार का मंच बना है, जिसमें समाज के असामाजिक तत्वों को भड़काने और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की पूरी पूरी क्षमता नज़र आती है।

सोश्ल मीडिया का सर्वाधिक दुरुपयोग करता है दुर्दांत आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट, जो इसके जरिये अपने विषैली सोच का प्रचार कर युवाओं को बरगलाते हैं और कई देशों से आतंकियों को भर्ती भी करते हैं। इस चुनौती से भारत भी अंजान नहीं है, तभी तो गृह मंत्रालय ने पूर्व आईपीएस अफसर और इस विधा के महारथियों में से एक श्री अशोक प्रसाद को साइबर एवं सोश्ल मीडिया सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है। ये बात की सोश्ल मीडिया के जरिये आईएसआईएस भारतीय युवाओं का धर्म परिवर्तन करा उन्हे अपने गिरोह में भर्ती कराता है, सिर्फ मीडिया में चलने वाली बकैती नहीं है, बल्कि सरकार के लिए एक वाजिब मुसीबत भी है।

गृह मंत्रालय के अनुसार नीति बनाना इसलिए भी अवश्यंभावी है, क्योंकि ऐसा कई बार हुआ है की देश द्रोही तत्वों ने सोश्ल मीडिया के जरिये देश के संवेदनशील इलाकों में अफवाह फैलाकर हिंसा भड़काने का पुरजोर प्रयास किया है, जिसमें पाटीदार आंदोलन, गुजरात, मध्य प्रदेश किसान आंदोलन, एवं सहारनपुर दंगों में ऐसे तत्वों को आंशिक सफलता भी मिली थी।

लिब्रलों का विलाप भी सुनने के लिए तैयार रहें:-

सोश्ल मीडिया का दुरुपयोग कर आतंकवाद को बढ़ावा देना और हिंसा भड़काना निस्संदेह राष्ट्रिय एकता और अखंडता के लिए खतरा है। एक आदर्श दुनिया में हम आशा करते हैं की ऐसे फैसलों में समूचा राजनैतिक पटल एवं नागरिक समझ एकजुट होकर सामने आएगा और सरकार को एक उचित नीति बनाने में सहायता करेगा, पर वर्तमान में हम ऐसे देश में रहते हैं, जहां पर राजनीति में टिकने से तात्पर्य देश के बाहरी और अंदरूनी, दोनों तरह के शत्रुओं से संधि करना, खासकर जब केंद्र में राष्ट्रवादी सरकार हो, जिससे सरकार तुरंत गिरे और उनकी पार्टी सत्ता की कमान संभाल सके। हमें बीजेपी विरोधी दलों से किसी प्रकार के शिष्टाचार की आशा नहीं करनी चाहिए, पर इसकी उम्मीद अवश्य कर सकते हैं की ये अपने जेएनयू के ट्रेंड को चालू रखेगी। वही, आतंकियों की रक्षा करना, देशद्रोहियों और अलगाववादियों का अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर रक्षा करना इत्यादि।

निष्कर्ष:-

आतंक फैलाने की नयी प्रवृत्ति को उचित जवाब देने के लिए गृह मंत्रालय सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। सोश्ल मीडिया की प्रगति ने बरगलाए हुये छोरों को हर नुक्कड़ से भर्ती करने की स्वतन्त्रता दी है, वरना क्या वजह है पाकिस्तान को बार्डर पार कर आतंकियों की भर्ती करवाए, जो आराम से घर बैठे बैठे कम्प्युटर के जरिये कराया  जा सके? जम्मू और कश्मीर में हुये जीप कांड इस धंधे की एक बानगी भर है।

और तो और केंद्र को विपक्ष के बारे में कदापि चिंता नहीं करनी चाहिए , जो देश द्रोही और असमाजिक तत्वों का अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर बचाव करते हैं। सरकार को हरसंभव प्रयास के लिए तैयार रहना चाहिए, और आने वाली आलोचनाओं को ठेंगे पर रखना चाहिए, क्योंकि जी हुज़ूरी के दिन अब लद गए । जिनहे राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता है, उनके साथ केंद्र सरकार बातचीत के लिए तैयार हो सकती है, पर जो इन्हे अपने सूची में शामिल तक नहीं करते, उन्हे केंद्र सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि अब गृह मंत्री ‘कड़ी निंदा’ सिंह नहीं रहे।

Exit mobile version