वीवीआईपी से लाल बत्ती छीनने के बाद पीएम मोदी ने उन्हे जड़ा एक और करारा तमाचा

सुरक्षा श्रेणी

जिस मोदी सरकार को हाल में वीआईपी और वीवीआईपी की सूची बढ़ाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था, उसी ने गृह मंत्रालय के दृष्टि में आने वाले तकरीबन 42 लोगों के सुरक्षा क्षेत्र को कम किया है। ये कदम स्वागत योग्य है, क्योंकि रक्षा बजट, जो पहले से ही कई कर्ज़ों के बोझ तले दबा है, उसमें इन खास लोगों की सुरक्षा पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।

इस पदावनत सुरक्षा सूची में काँग्रेस पार्टी के 15 नेता आते हैं, जिनमें प्रमुख हैं शशि थरूर, एके एंटनी [पूर्व रक्षा मंत्री], अजय माकन इत्यादि। इन्हे ज़ेड से वाई सुरक्षा श्रेणी में पटक दिया गया है।

ज़ेड+ सुरक्षा श्रेणी में 36 रक्षक मिलते हैं

ज़ेड सुरक्षा श्रेणी में 22 रक्षक मिलते हैं

वाई सुरक्षा श्रेणी  में 11 रक्षक मिलते हैं

एक्स सुरक्षा श्रेणी में सिर्फ 2 रक्षक मिलते हैं।

ये सुरक्षा श्रेणी  धमकियों की धारणा एवं मूल्यांकन के अलग अलग स्तरों के हिसाब से इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसरों, गृह सचिव और गृह मंत्री की हामी के पश्चात उपलब्ध कराते हैं। हालांकि इस सुविधा का नेताओं ने अपनी रसूख बढ़ाने के लिए बारंबार दुरुपयोग करने से बाज़ नहीं आए हैं।

ये हास्यास्पद है, की जो राजनेता हमारे देश के जवानों और सैनिकों को गरियाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते, और आज़ादी गिरोह के तलवे चाटने में स्वर्ग देखते हैं, अंत में इन्ही सेवकों पे अपनी सुरक्षा के लिए निर्भर रहते हैं, जिनका काम है इस देश के हर वासी की रक्षा करना, चाहे वो देशभक्त हो या देशद्रोही!

कुछ प्रमुख नाम, जिन्हें एनएसजी या वीआईपी या वीवीआईपी सुरक्षा प्रदान की जाती है, वो हैं:-

फारूक और ओमर अब्दुल्लाह, जिन्हें ज़ेड+ श्रेणी की सुरक्षा मिलती है:- वजह है इस्लामिक आतंकवादियों से खतरा! भाई, किसको बेवकूफ़ समझा है?

एम करुणानिधि को भी इन्ही कारणों से ज़ेड+ सुरक्षा दी जाती है, ये अलग बात है, की दुश्मन वो लिट्टे गिरोह, जो इनके सानिध्य में फला फूला था, और जो आज नष्ट हो चुका है!

योगी के अवनति के निर्णय से पहले मुलायम सिंह यादव को भी ज़ेड+ सुरक्षा दी जाती थी। कारण था की इन्हे दलित उग्रवादियों से खतरा है?  जो गुंडाराज और मुल्लावाद के प्रणेता थे, उन्हे कल के छोकरों से डर लगता है? वाह भाई, जय हो मुलायम सिंह जी की! और यही कारण से अखिलेश दादा को भी सुरक्षा दी जाती थी।

मायावती की सुरक्षा श्रेणी की भी अवनति हुई है, जिसे रखने का प्रथम उद्देश्य था यादव समुदाय से उन्हे खतरा।

पर लालू प्रसाद को किस्से डर है, जो उन्हे ज़ेड+ सुरक्षा दी जा रही है, ये तो भगवान ही जाने!

अजीब बात है की नीता अंबानी, जो खुद की सुरक्षा फौज खड़ी कर सकती है, उन्हे भी सरकार से ज़ेड+ की सुरक्षा श्रेणी मिलती है, और पता नहीं किस उद्देश्य से दी जाती है।

2015 के एक ज़ी न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लगभग 25 नेताओं पर मासिक खर्चा ही 10,88,53,460.75 रुपये आता है, जो उनकी सुरक्षा में खासकर लगाया जाता है, गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार।

हाल ही में इसी सुरक्षा श्रेणी का अभिन्न हिस्सा रहे डीएसपी मोहम्मद अय्युब पंडित, जिन्हें अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फारूक की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था, की बर्बरतापूर्वक हत्या के पश्चात तो ऐसे अहसान फरामोशों को एक भी दिन राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए, और इस हत्या से ऐसे रक्षकों की रक्षा करने की प्रणाली का निर्माण और भी अहम हो जाता है।

हमारे देश का सबसे उचत्तम सुरक्षा श्रेणी सिर्फ उन्ही लोगों की रक्षा के लिए होना चाहिए जो अपने देशवासियों की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण कर दे, न की उन गद्दारों को, जो इस देश के संसाधन भी डकारें, इस देश के दुश्मनों की मदद भी करे, और सुरक्षा के नाम पर इसी देश के जनता का मेहनत से कमाया गया धन भी खा जाये। जिनकी रक्षा सिर्फ इसलिए की जा रही है, क्योंकि उनके पुरखे किसी वक़्त मारे गए थे, इनके वर्तमान धमकियों का मूल्यांकन कर इन्हे सुरक्षा देनी चाहिए, और किसी प्रकार का विशेष व्यवहार नहीं होना चाहिए।

150 माननीयों की सुरक्षा श्रेणी की अवनति या हटाने का कदम जो यूपी की प्रशासन ने उठाया है, वो निस्संदेह सराहनीय है, और गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए इस कदम ने तो चार चाँद लगा दिये हैं, जिससे उनकी जनता के हित में फैसले लेने की प्रतिबद्धता दिखती है, और वंश के गुलामों को एक करारा तमाचा भी जड़ती है।

सबसे महत्वपूर्ण बात है की इस कदम का व्यापक असर पड़ेगा वर्गीकृत सुरक्षा कर्मियों के प्रोत्साहन पे, जिन्हें काफी मेहनत के बाद ऐसे उच्च पद मिलते हैं, पर जिसकी गरिमा ऐसे नेता मिट्टी में मिलाते हैं, जिनके लिए इस देश और इसके वासियों का कोई महत्व, कोई अस्तित्व नहीं।

Exit mobile version