याद है वो घटना, जिसे मई 2017 में बड़े बड़े मीडिया संगठनों ने बड़े चाव से प्रकाशित किया था, जिसमें एक ‘बलात्कारी स्वामी’ के गुप्तांग को एक साहसी महिला ने काट दिया था? अब उसमें एक नया मोड आया है, जिससे पूरी कहानी ही पलट गयी है।
जिस घटना का हिन्दू विरोधी मीडिया ने राई का पहाड़ बना दिया, बिना किसी तथ्य को सुनिश्चित किए ही लोगों को परोस दिया गया। शीर्षक तो और भड़काऊ थे:-
“केरल की कानून की विद्यार्थी ने काटे एक स्वामी के गुप्तांग ” – NDTV
“बलात्कार से थकी केरल की महिला ने लगभग काट दिया एक स्वामी का गुप्तांग’ – The Indian Express
“चौव्वन वर्षीय बलात्कारी साधू के गुप्तांग काटे एक कन्या ने” – Business-standard.com
ऊपर सिर्फ इन वाहियाद अर्धसत्यों की एक झलकी है, जिसे स्थापित मीडिया गृहों ने फैलाया, और हम द क्विंट, स्क्रोल.इन जैसे नमूनों के गोबर समान लेखों को छू भी नहीं रहे हैं।
ये लेख 20 मई 2017 को सामने आए, और इनहोने आते ही सोशल मीडिया में आँधी मचा दी। इन संगठनों द्वारा फैलाये गए कृत्रिम विचारधारा ने इस बात को सुनिश्चित किया की लोग सिर्फ दो मुद्दों पर बहस करें:-
- एक युवा लड़की ने एक आदमी के गुप्तांग काट दिये, जिसने कथित रूप से उसका बलात्कार किया – यह विचारधारा अति नारीवादी सेनाओं को काफी सूट करती।
- एक वीर लड़की ने एक ‘स्वामी’ के गुप्तांग काट दिये, जिसने उसका बलात्कार करने की कोशिश की थी – यह विचार वामपंथी, साम्यवाद समर्थक, एवं भारतीय नास्तिकों के लिए उपयुक्त था।
इससे ज़्यादा अपमानजनक बात क्या हो सकती है की खुद केरल के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर मीडिया से मुखातिब भी हुये, और इसपर वाहवाही लूटने की कोशिश भी की। कम्यूनिज़्म के डूबते जहाज के कप्तान पिनाराई विजयन से जब इस मुद्दे पर पूछा गया, तो वो खिलखिलाकर बोले, ‘और क्या एक्शन चाहिए?’ ये बयान न सिर्फ लड़की के लिए अपमानजनक था [जो तब पीड़ित थी], बल्कि उस स्वामी के लिए भी , जिसे बिना उचित जांच पड़ताल के एक राज्य के मुख्यमंत्री ने दोषी और बलात्कारी करार दे दिया। ऐसे वीरता की प्रशंसा करना, बिना तथ्यों को सामने रखे, ही ऐसी समस्याओं को जन्म देता है।
निस्संदेह, यही आसाराम के केस की तरह यदि लड़की के साथ वाकई में उस कथित स्वामी ने दुष्कर्म किया था, तो वो इस सज़ा का हकदार था। पर इसी उद्देश्य से अगर भारतीय मीडिया पर दृष्टि डाले, तो उनका मुख्य लक्ष्य है : ‘एजेंडा ऊंचा रहे हमारा’ , अर्थात इनकी कभी न खत्म होने वाली अनगिनत झूठ प्रचार प्रसारित करने की भूख, जिनका मुख्य उद्देश्य है आबादी के बहुमत की आस्था का अपमान करना। इस बार भी एक ऐसे ही आपराधिक घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया है, जिसका परिणाम साफ है : इस घटना की परतें खोली जानी अभी बाकी है।
पहले इस कहानी में यह था की वीर लड़की ने उस स्वामी के गुप्तांग काट दिये, जिसने उसका कई साल तक बलात्कार किया। पर नए मोड़ में उसी ‘वीर’ लड़की ने कहा की उससे ये बयान ज़बरदस्ती दिलवाए गए हैं। हैं? मतलब उस स्वामी के साथ जो कुछ भी हुआ, वो महज एक जहरीले एजेंडा को हवा देने के लिए था?
स्वामी के डिफेंस में लड़ रहे अधिवक्ता को लिखे एक पत्र में लड़की ने कुबूल किया, ‘मेरे खिलाफ स्वामीजी ने कोई यौन शोषण नहीं किया है। न उस वक़्त, जब मैं नाबालिग थी, और न ही उस वक़्त, जब मैं 18 की हो गयी थी। स्वामी जी पर लगाए गए आरोप झूठ है, और पुलिस के लोगों द्वारा डाले गए है।“ इसी चिट्ठी में लड़की ने ये भी कहा है की इसी स्वामी ने इन्हे कानून की पढ़ाई करने को प्रेरित भी किया था?
लड़की ने ये भी कहा है की ये सारा खेल अय्यपादास नाम के एक आदमी ने रचा था, जिनहोने उसे इस स्वामी के खिलाफ खड़ा कर दिया था, यह बरगलाते हुये की गंगेशनन्द तीर्थपदा उर्फ हरी स्वामी [यानि की उक्त स्वामी जी] उसके माँ बाप से पैसे लूट रहा था, वो भी उसके पिता से उसके वेतन प्रमाण पत्र लेकर, और फिर ये भी बताया की यह अय्यपादास ही थे जिनहोने स्वामी जी के गुप्तांग काटने के लिए उसे चॉपर पकड़ाया था।
अब ये तो साफ नहीं है की वो लड़की तब झूठ बोल रही थी की अब, पर ये साफ है इन तथ्यों से की यह अब खोलकर बंद करने वाला केस बिलकुल नहीं है। इस केस की दोबारा से जांच होनी चाहिए और दोनों पक्षों को बराबरी से अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए [अगर वाकई में दूसरा पक्ष बना है तो]
इस चिट्ठी के सामने लाने के बावजूद स्वामी जी को जमानत देने से मना कर दिया है। अभियोगी वकीलों ने हालांकि लड़की की ब्रेन मैपिंग और पोलीग्राफ टेस्ट की रजामंदी ज़रूर दी है, पर नोटिस के बाद अभी भी उसके रजामंदी की कोर्ट प्रतीक्षा कर रहा है।
अगर स्वामी निर्दोष साबित होते है, तो हिन्दू संतों को जानबूझकर बेइज़्ज़त करने के इस नापाक इरादे को धूमिल करना अवश्यंभावी है। इसी से इन मीडिया वालों की रोज़ी रोटी चलती है, अधपके झूठ को सच में मिलाकर लोगों को परोसके यह अपने आप को 21वीं सदी के भारत के तारणहार समझते हैं। वक़्त आ गया है की इनके इस एजेंडा से हम सभी परिचित हो, और इस एजेंडा का जड़ से सर्वनाश करें।
ध्यान रखिए: यह लेख सिर्फ और सिर्फ दिये गए तथ्यों और स्त्रोत के लिंक के आधार पर लिखा गया है। न हम यहाँ लड़की की बेइज्जती कर रहे हैं, और न ही हम स्वामी की रक्षा कर रहे है। सिर्फ वामपंथी मीडिया के झूठ का पर्दाफाश कर, इनके हिन्दू धर्म और हिंदुओं के खिलाफ विषैली सोच को सामने लाना और सच दिखाना हमारा लेख लिखने का एकमात्र मक़सद है।
अगर ये ईमानदारी से लेख लिखते, ‘तो स्वामी के गुप्तांग कट गए’ और ‘बलात्कारी स्वामी’ जैसी उपमाएँ देकर ये तथ्यों से मुंह न मोड़ते।
10 जनपथ और लुटयेंस दिल्ली में बैठे अपने आकाओं को खुश करने के लिए ये पत्रकार किस हद तक जा रहे हैं, और हमारी संप्रभुता के लिए ये किस प्रकार का खतरा बन रहे हैं, ये इन्हे अभी नहीं, पर बाद में अवश्य पता चलेगा, जब इनके कर्मों का लेखा जोखा लेकर जनता इन्ही से इनके पापों का हिसाब मांगेगी।