तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री, कलवकुंतला चन्द्रशेखर राव जब रविवार को एलबी स्टेडियम में आयोजित इफ्तार पार्टी में शरीक होने गए, तब उन्होने मुस्लिम समुदाय के लिए अनेक रियायतों की घोषणा की, और साथ ही साथ नौकरी में मुस्लिम कोटा 15% बढ़ाने के अपने विश्वप्रसिद्ध वचन को भी दोहराया। ये काफी दिलचस्प है की इतने सारे उपहार और रियायतें मुसलमानों को खुलेआम, और वो भी केंद्र सरकार के एक अहम मंत्री, बंदारु दत्तात्रेय एवं मुसलमानों के कथित मसीहा, असदुद्दीन ओवैसी के उपस्थिति में बांटने का जिम्मा उठाया।
ओवैसी, जो हमारे प्रधानमन्त्री को बेइज़्ज़त करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते, और जलिकत्तु के समर्थकों की तरह सारे मुसलमानों को एकत्रित हो देश की एकता को चोट पहुँचाने का आवाहन देने से न चूकने वाले, इस अवसर का मानो मन ही मन आनंद उठा रहे थे। इससे ज़्यादा अपमानजनक बात थी केन्द्रीय सरकार के श्रम मंत्री श्री दत्तात्रेय की उपस्थिति, जिससे केंद्र सरकार की सांप्रदायिकता विरोधी नीतियों को तगड़ा झटका लगा है।
सीएम केसीआर ने अपने भाषण की शुरुआत उम्मीद अनुसार ‘अस्सलाम वालेकुम’ से की, और अपनी मातृभाषा तेलुगू के बजाए पूरा भाषण उर्दू में सुनाया।
खुद देखिये, सीएम साहब ने अपने भाषण में क्या क्या कहा:-
“सिर्फ उपहारों, रियायतों और सब्सिडियों से मुसलमानों की तरक्की संभव नहीं है। आबादी के अनुसार मुसलमानों को उनका हर क्षेत्र में उचित हिस्सा ज़रूर मिलना चाहिए। हमारी सरकार ने इन सुधारों पर अमल करना शुरू भी कर दिया है , और हमारे पार्टी के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे, जिससे मुसलमानों की हर क्षेत्र में हिस्सेदारी भविष्य में भी बढ़ती रहे।”
भाईसाब, ये तो कुछ भी नहीं है। इनहोने तो 1 उपमुख्यमंत्री, 5 कार्पोरेशन के अध्यक्ष, 4 विधान परिषद के सदस्यों एवं 2 उप मेयर के पदों को मुसलमानों से भरने के लिए बड़ी बेशर्मी से अपनी खुद की पीठ थपथपाई। उन्होने तो यहाँ तक कह दिया की तेलंगाना के समस्त विषविद्यालयों के उप कुलपतियों के पद मुसलमानों से भरे जाएंगे। भाई, इस अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का कोई अंत भी है की नहीं? इनके सामने तो ममता और लालू, यहाँ तक केजरीवाल भी सद्भावना की जीती जागती मूर्ति लगने लगे।
उसी दिन थोड़ा पहले नामपल्ली में 20 करोड़ की लागत से बने अनीस उल घरबा बिल्डिंग परिसर का इनहोने उदघाटन कराया, जो नामपल्ली में 4000 स्क्वेयर यार्ड्स की भूमि पर बनाया जाएगा, जिसका दान खुद सीएम ने राज्य कोष से 20 करोड़ रुपये के महादान के अलावा कराया था। ये फैसला सड़क के चौड़ा करने की परियोजना में अनीस उल घरबा संगठन के महज 141 स्क्वेयर यार्ड की भूमि के नुकसान के एवज में दिया गया था।
पार्टी में उपस्थित नेताओं को केसीआर ने एक बार फिर याद दिलाया, की उनकी सरकार 204 से ज़्यादा अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल का पालन करती है, जो राष्ट्रीय स्तर पर अजीब ही सही, पर अनोखी उपलब्धि है। उन्होने तो यह भी कहा:-
“मेरा मक़सद 133000 से ज़्यादा मुस्लिम लड़कों को उचित शिक्षा देना है। इन गुरुकुलों में शिक्षा का स्तर कान्वेंट स्कूलों के स्तर के बराबर होगा। सरकार हर विद्यार्थी पर 125000 रुपये खर्च कर रही है और एससी/एसटी के विद्यार्थियों को दिये जाने वाले अनुदान और आरक्षण के बराबर सुविधाएं दी जाएगी। जो भी बाहर पढ़ना चाहते है, उन्हे सरकार पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद भी देगी। अब तक इस योजना के तहत 595 विद्यार्थियों को फायदा पहुंचा है, और अल्पसंख्यक स्टडी सर्कल्स में यूपीएससी के परीक्षाओं के लिए 100 मुस्लिम विद्यार्थियों को उचित ट्रेनिंग भी दी जा रही है।“
सच बोलूँ, तो कभी ऐसा सुना की हमारे हिन्दू या बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के ऐसे गरीब बच्चों को भी ऐसी सुविधाएं दी गयी हों? नहीं न, क्योंकि इनके लिए इनका जहरीला एजेंडा सर्वोपरि है।
अनीस उल घरबा बिल्डिंग काम्प्लेक्स
अब अगर आयें अनीस उल घरबा के बिल्डिंग परिसर पे, तो इसमें 318 लड़कियां, 168 लड़कों को अलग अलग ठहराने की व्यवस्था कराई जाएगी। कुल परिसर का दायरा 153340 स्क्वेयर फीट है, जिसमें 164 फोर व्हीलेर्स और टू व्हीलेर्स के पार्किंग की उचित व्यवस्था भी है। ग्राउंड फ्लोर और पहला फ्लोर व्यावसायिक खरीददारी के लिए है। इसी परिसर में एक सभागार भी है, जिसमें 300 सीटों की व्यवस्था है। ऊपर की मंज़िलों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग हॉस्टल के कमरों की व्यवस्था कराई जाएगी, और साथ ही साथ प्रार्थना कक्ष भी बनवाए जाएंगे।
ये तुष्टिकरण 2014 में सत्ता में घुसते ही केसीआर ने शुरू कर दी थी। इस खेल की शुरुआत ही उन्होने इस संवाद से की:-
“तेलंगाना सरकार यहाँ आपकी सेवा करने के लिए उपस्थित है।”
केसीआर ने पहले 7 मंज़िला वक्फ बोर्ड की बिल्डिंग पर बिल्डिंग कर माफ कराया। फिर उन्होने 1000 करोड़ रुपये मुसलमान कल्याण को दान किए, और हर मुस्लिम लड़की के निकाह के लिए 50000 रुपये की निधि अलग रखी। अब आगे कल के बड़े बड़े वादे और 12% मुस्लिम कोटा का प्रस्ताव रखा गया है।
तेलंगाना में भाजपा इनके ज़रूरत से ज़्यादा मुसलमानों की चापलूसी का उचित पर्दाफाश कर रही है, जो अब समझदारी के बिलकुल परे हैं। इनकी चाटुकारिता चुनाव को मद्देनजर रखते हुये सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए है, राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था जाये तेल लेने।
मुसलमानों में भी कुछ लोग इसे चुनाव के उपलक्ष्य में अति तुष्टिकरण की नीति से जोड़ रहे हैं। वहीं तेलंगाना हिन्दू हर बार की तरह अब हाथ पर हाथ धरने को तैयार नहीं है। इस नौटंकी को न ही यहाँ के मूल निवासी कपिल शर्मा शो की तरह देख रहे हैं, और न ही इसे हल्के में लेने वाले हैं। ओवैसी की पार्टी का हिंसक रजाकारों [जिनहोने विभाजन के वक़्त हैदराबाद में कत्लेआम मचा रखा था] से जुड़ा काला इतिहास इनसे छुपा नहीं है, और केसीआर की इन नौटंकियों को झेलने के मूड में कतई नहीं है। अब करारा जवाब झेलने को तैयार रहे केसीआर!
केसीआर ने खुद ही अपना पर्दाफाश कराया, जब उन्होने 16 सितमबर को हुये स्वतन्त्रता दिवस [जब सरदार पटेल ने सैन्य कारवाई कराई थी] से मुंह मोड़ा था, जबकि कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों ने इसका जश्न मनाया था। ये साफ था की ओवैसी खानदान को खुश रखने के लिए केसीआर किसी भी हद्द तक गिरने को तैयार थे।
केसीआर का नौकरी में मुसलमानों के लिए 12% का कोटा वैधानिक रूप से न सिर्फ अवैध है, बल्कि धार्मिक भेदभाव को भी बढ़ावा देता है, जो टीआरएस और केसीआर दोनों के लिए आने वाले दिनों में घटक सिद्ध हो सकता है।
( Input courtesy ‘Namaste Telangana’ news portal )