भारत ने हमेशा से इस बात पर ज़ोर दिया है की आतंकवाद इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन है। 2017 आधा ख़त्म हो चुका है, और अब तक करीब 676 आतंकी हमले दुनिया ने झेले है, जिसमें 4368 जानें गयी है, पर एक कथन इन सब में समान रूप से प्रचारित किया जाता रहा है, चाहे हो लन्दन का हमला हो या ब्रुसेल्स का या रूसी राजदूत के हत्या का, यही की आतंक का कोई मजहब नहीं होता।
और जब तक लश्कर ए तैयबा के एक ‘हिन्दू’ सदस्य, संदीप शर्मा, को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया, तब तक इस आतंकवाद का कोई मजहब नहीं था। अब ज़रा अखबार के पन्ने पलटिए, तो यह शीर्षक दिखेंगे:-
- एलईटी का हिन्दू सदस्य संदीप शर्मा पटियाला में रहता था। [टाइम्स ऑफ इंडिया]
- क्या जानते हैं हम एलईटी के हिन्दू आतंकवादी संदीप शर्मा के बारे में [द क्विंट]
- यूपी से पकड़ा गया हिन्दू आतंकवादी, भाई कहता है यदि सच है तो गोली मार दे उसे [हिंदुस्तान टाइम्स]
- लश्कर ए तैयबा का एक हिन्दू चेहरा है, उसका नाम है संदीप शर्मा [डीएनए इण्डिया]
इन सभी लेखों के अनुसार, एक हिन्दू आदमी संदीप शर्मा लश्कर ए तैयबा का सदस्य है, जो पहले से ही एक छंटा हुआ बदमाश है, जिसके नाम कई अपराध, जैसे बैंक लूटना, एटीएम उड़ाना, शस्त्र छीनना और कभी कभी दरोगा की हत्या भी करना इत्यादि शामिल है।
मीडिया ने इन्हें पहले लश्कर के प्रथम हिन्दू आतंकवादी के तौर पर चित्रित किया। इन्हें मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी बताया गया और यहाँ तक डीएनए के लेख ने ये भी कहा, ‘ये बात की एक हिन्दू जिहादियों की पलटन में घुस गया है इस बात का सूचक है की अब सुरक्षा एजेंसियों के लिए और मुश्किलें पैदा करेगा, क्योंकि अब इस्लामिक आतंकवादियों के बारे में पहचान करना अब और कठिन हो गया है।‘
बस, फिर क्या था, लगी बाकी लोग भी इस बहती गंगा में हाथ धोने, और सुप्त पड़ चुकी हिन्दू आतंकवाद की चिंगारी भड़काने।
पर जब सच सामने आया, तो पूरा पासा ही पलट गया। असल में यह आतंकवादी पिछले छह साल से इस्लाम के अनुयायी थे, और 2012 में इनहोने अपना धर्म परिवर्तन करा लिया, क्योंकि इन्हे एक कश्मीरी लड़की से प्रेम जो हो गया था।
आतंक में इनका कैरियर तब शुरू हुआ जब ये कुलगाम में सहीद अहमद से मिले, और फिर मुनिब और मुजफ्फर अहमद के साथ एक गैंग बनाई। फिर कुछ महीनों के आपराधिक गतिविधि के पश्चात इनकी मुलाक़ात हुई लश्कर आतंकी शूकार अहमद से, जिनसे अदिल/संदीप की लश्कर में भर्ती संभव हो पायी।
हम सब जानते हैं की आतंकवाद की दुकान कैसे चलती है। इनका ब्रह्मास्त्र है बहकाना, जिससे गैर मुस्लिम भी परिवर्तित हो जाते हैं, और एनआईए ने अब तक 52 आईएसआईएस कार्यकर्ताओं को धार दबोचा है, जिनमें से 15% से 20% परिवर्तित ईसाई या हिन्दू है।
पर जब मीडिया ने संदीप शर्मा पर हिन्दू धर्म से जुड़े होने का आरोप लगाया, तो कई राष्ट्रवादी फेस्बुक समुदाय जैसे ‘भक साला’ और ‘द फ्रस्त्रटेड इंडियन’ ने इस मुद्दे को उठाया और जनता को मीडिया के पापों से अवगत कराया।
सबसे चिंताजनक बात क्या है?
दरअसल भारतीय मीडिया निहायती हिन्दू विरोधी है, और इसी चक्कर में भारत विरोधी भी। सब जानते है की अधिकांश मीडिया [कुछ एक चैनलों को छोड़कर] इसी सिद्धान्त पर चलते हैं की ‘आतंक का कोई मजहब नहीं, पर अगर हिन्दू आतंकवाद हो तो अवश्य है’। अगर सच्चाई सामने नहीं आई होती, तो 2008 के अपने सफल अभियान की तरह ये फिर हिन्दू या भगवा आतंकवाद का राग अलापते।
ये सही वक़्र्त है भारत के वासियों ये जाने की जिन लोगों ने ‘नोट इन माइ नेम’ अभियान को चलाया था, वही लोग हमारे देश को बांटने पर तुले हुये हैं। अगर जुनैद एक मुसलमान होने के नाते मारा गया था, तो क्या अमरनाथ जाने वाले वो बदनसीब यात्री हिन्दू नहीं थे?
क्या अब हिन्दू होना एक गुनाह है?