केजरीवाल ट्विटर पर सबके मज़े लेते थे, आज वास्तविक जीवन में किसी ने उनके मज़े लिए, लम्बा बिल फटा

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अरसे बाद समाचार-पत्र में केजरीवाल जी से संबंधित खबर पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ … हृदय प्रफुल्लित हो गया , नहीं तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे युगपुरुष जी राजनीतिक परिदृश्य से पूर्णतः विलुप्त हो चुके हैं और मुझे भी राजनीतिक विषयों में कुछ ख़ास रूचि नहीं हो रही थी । और खबर भी ऐसी कि मेरे जैसे मोदी-भक्तों की ख़ुशी का ठिकाना न रहा ।

समाचार एजेंसियों के मुताबिक़ केंद्रीय वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा केजरीवाल जी के विरुद्ध दायर किये गए आपराधिक मानहानि के मुकदमे में केजरीवाल जी का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने केजरीवाल जी का साथ छोड़ दिया है और अब वो उनका केस नहीं लड़ेंगे ।

गौरतलब हो कि कुछ वर्षों पूर्व ताबड़तोड़ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के हर व्यक्ति पर बिना साक्ष्य के कीचड़ उछालने वाले अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप ही युगपुरुष जी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता (तत्कालीन) पर सार्वजनिक रूप से बिना किसी प्रमाण के भ्रष्टाचार के निराधार आरोप लगा दिए थे , इन आरोपों से आहत होकर जवाबी कार्रवाई में अरुण जेटली ने अविलंब ही केजरीवाल जी तथा आप के 6 नेताओं के विरुद्ध 10 करोड़ का आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया ।

ताज़ा ताज़ा मिल रहे मीडिया कवरेज से उत्प्रेरित होकर केजरीवाल जी ने आरोप तो लगा दिए लेकिन जब न्यायालय का नोटिस आया तो उनके हाथ-पाँव फूल गए। आनन-फानन में देश के सबसे प्रतिष्ठित (लेकिन विश्वासघाती ) वकील राम जेठमलानी को अपना पक्ष रखने के लिए नियुक्त कर लिया ।

अब जेठमलानी तो जेठमलानी ठहरे , जो किसी के सगा ना हुए, वो केजरीवाल जी के साथ पूरी निष्ठा से वफादारी निभाए , ऐसी कल्पना करना ही सबसे बड़ी मूर्खता का प्रमाण है । खैर , कुछ अरसे तक तो न्यायलय की कार्यवाही नियमित रूप से चली, लेकिन फिर जेठमलानी और केजरीवाल जी के बीच में केस लड़ने की फीस को लेकर मनमुटाव उत्पन्न होने लगे । वकील तो वकील ही होता है, चाहे छोटा हो या बड़ा, धनराशि के मामले में एक चवन्नी नहीं छोड़ता । तभी केजरीवाल जी ने सोचा कि दिल्ली के सरकारी खजाने की चाबी तो मेरे हाथों में ही है , क्यों ना जनता के पैसे से ही जेठमलानी की फीस जमा कर दी जाये । बाकायदा इसके लिए उन्होंने गुप्त तरीके से उपराज्यपाल को खत लिखकर अनुमति भी मांगी , लेकिन भाजपा नेताओं को भनक लगते ही मामला सार्वजनिक हो गया और जनता की गाढ़ी कमाई का अपने हित के लिए दुरुपयोग करने के आरोप में केजरीवाल जी की खूब किरकिरी हुई । उसके अतिरिक्त दिल्ली के राजकोष की धनराशि से दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी का प्रचार करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायलय ने पहले ही ‘आम आदमी पार्टी’ पर 98 करोड़ रूपये का जुर्माना ठोंक दिया था ।

अब ताज़ा खबर ये है कि जेटली द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे की सुनवाई के दौरान न्यायलय में केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने केंद्रीय रक्षा तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए अपमानजनक अभद्र शब्दों का प्रयोग किया । जब जेटली जी ने जेठमलानी से पूछा कि क्या आपने इन शब्दों का प्रयोग अपने मुवक्किल के दिशा-निर्देशों पर किया है तो जेठमलानी ने स्वीकारात्मक प्रतिक्रिया दी । इसके बाद जेटली जी ने केजरीवाल पर 10 करोड़ के आपराधिक मानहानि का एक और मुक़दमा ठोंक दिया ।

उधर न्यायलय में शपथ-पत्र देकर केजरीवाल जी ने साफ़ तौर पर इस आरोप का खंडन कर दिया कि उन्होंने जेठमलानी को जेटली के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग करने का आदेश दिया था ।

इस बात से जेठमलानी भड़क गए और उन्होंने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मुक़दमे से संबंधित निजी वार्ता के दौरान अरुण जेटली के लिए इससे भी अधिक भद्दे अपशब्दों तथा घृणास्पद भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया तथा शीघ्रातिशीघ्र अपने 2 करोड़ की फीस का भुगतान करने के लिए कहा ।

बहरहाल जेठमलानी तो केजरीवाल जी को बीच मंझधार में छोड़ कर चले गए हैं और इधर युगपुरुष जी पर 20 करोड़ के मानहानि की तलवार लटक रही है, अगर मुक़दमा हारे तो जेटली को 20 करोड़ रूपये देने होंगे ..

इसको कहते हैं – ‘जैसे को तैसा’

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