एनडीए सरकार के तीन सालों में एक बात तो साफ है, मीडिया के प्रपंचों को रोकने में भाजपा को कोई सफलता नहीं मिली है। हर बार, बारंबार, इनहोने मीडिया में फैले इनके खिलाफ विष को हटाने के लिए अपने ही समर्थकों को बेइज्जती से दरकिनार किया है। और हर बार की तरह, जब बीजेपी समर्थक #नॉटइनमाइनेम के आडंबर को धूल में मिलाने में लगे हुये थे, नरेंद्र मोदी इस आडंबर को ही सच साबित करने में लग गए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, और सरकार की गतिविधियों को देखके लगता है की ये आखरी बार भी नहीं होगा।
गौ रक्षा के नाम पर गुंडई कर रहे असामाजिक तत्वों के खिलाफ अपने बयान में इनहोने महात्मा गांधी और उनके आदर्शवाद को याद किया, और फिर गौ रक्षकों की भर्त्स्ना भी की। एक बार ऐसे अवसर पर राजनैतिक विवशता को समझा भी जा सकता है, पर सिर्फ गौ रक्षकों की भर्त्स्ना करना और गौ तस्करों के विरुद्ध एक शब्द भी न बोलना तो इनके दोगलेपन को जगजाहिर करता है। अपने भर्त्स्ना भाषण में परसों नरेंद्र मोदी जी ने तीन बड़ी और मूलभूत गलतियाँ की।
सबसे पहले गौरक्षा के नाम पर हिंसा कानून और व्यवस्था का मुद्दा है, और भर्त्स्ना करने के बजाए पीएम मोदी जी को देश में कानून और व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास करना चाहिए।
फिर दूसरी बात। गौ रक्षकों की भर्त्स्ना कर गौ तस्करों पर चुप्पी साधना हमारे देश के ईमानदार किसानों के साथ विश्वासघात है, जिनहे पुलिस में गौ चोरी की शिकायत लिखाने के बावजूद गाय वापस नहीं मिलती। जब तक अवैध बूचड्खानों और गऊचोरों पर कानून का डंडा नहीं चलाया जाता, जो किसानों की रोज़ी रोटी पर भांजी मारते हुये गायों की तस्करी करते हैं। जब तक सरकार इन अपराधियों पर लगाम नहीं कसती, गऊ रक्षा के नाम पर लोग कानून को अपने हाथ में लेते ही रहेंगे।
तीसरी बात, इस वक़्त पर नरेंद्र मोदी की गांधी भक्ति कुछ पकाऊ हो चली है। इनके जितनी भी उपलब्धियां रही हो, इस बात से इनके कट्टर समर्थक भी नहीं मुंह मोड सकते की गांधी गलतियों का पिटारा थे, जिनहोने कदम कदम पर देशवासियों को, विशेषकर हिंदुओं को धोखे पे धोखे दिये हैं। और ये हमसे तो नहीं समझा जाता की ऐसी भी क्या राजनैतिक दुविधा है की गांधी का किसी भी कार्य के लिए नाम लेना आवश्यक है, जिससे कोई भी फायदा नहीं होने वाला।
और चौथी बात, ट्विटर पर नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की कि भारत अहिंसा का देश है। जो सरासर झूठ है। भारत कभी भी अहिंसक देश रहा ही नही, हमने ऐसे वीरों और वीरांगनाओं को जन्म दिया है जिनहोने कदम कदम पर धर्म के लिए अपनी आहुती दी और अपने कार्यों से देश कि गरिमा बनाए रखी, फिर चाहे वो बप्पा रावल हों, या शिवाजी महाराज हों, या महाराणा प्रताप हों, या फिर श्री कृष्णदेव राय हों, या फिर लचित बोरफुकन, या फिर गुरु गोबिन्द सिंह ही क्यों न हों। गांधी को दैव बना उनके आदर्शों की पूजा करना और अहिंसा को देश की नींव बताना इस देश के धर्म और इसके सिद्धांतों का अपमान होगा। जब तक हम अपने असली वीरों की पहचान न करे, और उनके गुणगान न करे, तब तक हम अपने दुश्मनों से जीतने में गलतियाँ करते रहेंगे, और वो हमें बर्बाद करते रहेंगे।
ये #नॉटइनमाइनेम अभियान तो ज़ाहिर था की उनही लोगों ने रचा है, जिनके लिए हिन्दू धर्म और भारत के प्रति घनघोर नफरत इनके मस्तिष्कों में सींचित है। जो आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता का नारा चिंघाड़ते हैं, वही चील्पकौवा हिन्दू आतंकवाद पर प्लाकार्ड उठा उसकी भर्त्स्ना करते हैं, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। जो इस्लामिक आतंकवाद का बचाव करते फिरते हैं, वो निस्संकोच हिंदुओं की आस्था और उनके भावनाओं से घिनौना खेल खेलते हैं। ये अभियान देशद्रोहियों, ढोंगियों और मोदी विरोधियों के जमघट से कुछ ज़्यादा था। इनका असल इरादा तो हिन्दू आतंकवाद बनाकर यूरोप की तरह भारत में भी इस्लाम को एक मुफ्त प्रवेश देने का है, जिससे वे भारत की अस्मिता को ही इस दुनिया से मिटा दे।
अगर इस विष को ऐसे ही रहने दिया जाता, तो यह अभियान असहिष्णुता अभियान से भी बुरी तरह मज़ाक का पात्र बनता और खुद ही जनता की दृष्टि से धूमिल हो जाता। पर नरेंद्र मोदी ने तो अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारते हुये गऊ रक्षकों की भर्त्स्ना करने आगे आ गए, बिना यह देखे की हिंदुओं और अन्य समुदायों को इस्लामिक जिहाद के नाम पर क्या क्या झेलना पड़ता है। इस तरह तो मोदी साहब हिन्दू विरोधी ब्रिगेड की मंशाएँ पूरी करते दिख रहें है! इसमें अपने समर्थकों को दरकिनार कर अपने दुश्मनों को ही बारूद दिलवाने में सफल हुये हैं मोदी जी, वही लोग, जो मोदी को बर्बाद करना चाहते हैं लोकतन्त्र की रक्षा के नाम पर। और जिन लोगों की खुशामद करने के लिए इनहोने ये वाक्य बोले हैं, उनका तो पता नहीं, पर अपनों का भरोसा ज़रूर खो रहे हैं मोदी जी।
मोदी जी को यह याद रखना चाहिए की धर्म की रक्षा करना उनका सर्वप्रथम कर्तव्य है। धर्मो रक्षति रक्षित: और यही नहीं, जो धर्म को छोडते हैं, धर्म भी उन्हे छोड़ देता है। अगर नरेंद्र मोदी को अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करनी है, तो उन्हे अपने समर्थकों पर ध्यान देना ही होगा।