‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ का संकल्प मोदी जी ने अपने सरकार के शुरुआती दिनों में ही दे दिया था लेकिन शायद ही किसने सोचा होगा की 125 करोड़ के इस देश में भ्रष्टाचार, भ्रष्ट्र मंत्री और अफसरों पर लगाम लगाना किसी एक व्यक्ति के बस की बात थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मानो ठान रखा है की भ्रष्टाचार को हर स्तर से ख़त्म करना होगा और जिस तरह एक के बाद एक फैसले ले रहे है ऐसे लगता है मानो प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का का ब्लू प्रिंट तैयार कर रखा है। अरसा हो गया था किसी जन नेता की कथनी, करनी में तब्दील हुई हो। एक जमाना था मन से विश्वास उठने लगा था कि नेता भी ईमानदारी से काम कर सकते है। अफसर भी बिना घुस लिए फाइलों को पास कर सकते इस देश में? भारत में पूरी राजनैतिक बिरादरी को ही शंका की नजर से देखा जाता था? अविश्वास का माहौल था जनता और नेताओं के बीच। भ्रष्टाचार के मामले में हालात बद से बदतर थे। इस खाई को पाटने का काम किया है मोदी सरकार ने ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ के संकल्प का चरितार्थ प्रारंभ हो गया है और असर देखने को मिल रहा है। इसी की और पहला कदम था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त अंदाज में भ्रष्टाचारियों को चेतावनी दी थी कि न मैं खाऊंगा और न ही किसी को खाने दूंगा व ‘न चैन से बैठूंगा, न चैन से बैठने दूंगा’।
इसी शृंखला की अगली कड़ी में भ्रष्ट अफसरों का नंबर लगा है। देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मोदी सरकार सख्त हो गई है और जल्द ही भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकती है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए प्रत्येक मंत्रालय के सतर्कता विभाग को अपने-अपने विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों के दस्तावेज तैयार करने को कहा है। डोजियर बनते ही भ्रष्ट और अपने काम पर फोकस ना करने वाले अफसरों पर बड़ी कार्रवाई के आसार हैं। देश से भ्रष्टाचार खत्म करने का मकसद लेकर सत्ता में आई मोदी सरकार इसके खिलाफ एक बार फिर से सख्त हो गई है।
माना जा रहा है कि इन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ 15 अगस्त के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मोदी सरकार जल्द ही कुछ कड़े फैसले लेने का प्लान बना रही है।
गृह मंत्रालय अपने विभाग के अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर दस्तावेज तैयार कर रहा है। इसके अलावा मंत्रालयों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों ने विभिन्न विभागों सहित पैरा मिलिट्री फोर्स को भी यह लिखा है कि वे अपनी-अपनी लिस्ट 5 अगस्त तक किसी भी हाल में पूरी कर लें, ताकि आगे की कार्रवाई शुरू की जा सके। खबरों की मानें तो गृह मंत्रालय अपने विभाग के अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर दस्तावेज तैयार कर रहा है। भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों से संबंधित डोजियर शिकायत, जांच रिपोर्ट और अधिकारियों के आचरण, नैतिक विषमता, कर्तव्य की उपेक्षा पर आधारित होगी जिसमें इस बात का भी जिक्र होगा कि क्या उस अधिकारी के खिलाफ कभी बड़ा या मामूली जुर्माना लगाया गया था या फिर नहीं। विभागों की भ्रष्ट अधिकारियों की सूची बनते ही उसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया अधिकारियों के कार्यों और निर्णयों की जांच होगी कि क्या वे अपने आर्थिक लाभों के लिए सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि ऐसे अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले पदों पर पोस्ट नहीं किया जाए। भ्रष्ट अधिकारियों की सूची सीबीआई और सीवीसी को भी भेजी जाएगी, जो लिस्ट में शामिल अधिकारियों के आचरण की निगरानी करेंगे। ये लोग इस तरह के अधिकारियों पर कड़ी नजर तो रखेंगे ही और साथ ही साथ उन पर मुकद्दमा चलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे। इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर जुर्माना, नौकरी में डिमोशन या बर्खास्तगी सहित विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करेंगे।
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि मोदी सरकार ईमानदार और काम करने वाले अधिकारियों को हर तरीके से प्रोत्साहित करेगी। उन्हें इनाम दिया जायेगा। इसके ठीक उलट, जो बार-बार चेतावनी के बावजूद खुद में बदलाव नहीं ला रहे हैं, उन्हें कानून की सीमा में इसका फल भुगतना ही होगा। सरकार भ्रष्टाचार और कामचोरी पर कोई समझौता नहीं करेगी।
प्रधानमंत्री ने सेक्रेटरी के साथ बैठक में जताई थी चिंता :
5 जून को पीएम मोदी ने सभी सेक्रेटरी के साथ बैठक की थी। इसमें मोदी ने भ्रष्टाचार के लंबित मामलों पर अपनी चिंता जताई थी। वहीं हाल में ही अफसरों के साथ हुई हर बैठक में पीएम ने ऐसे मामलों में कार्रवाई में में सुस्ती पर एतराज जताया है। रेलवे, पोस्टल, सप्लाई, समेत आधे दर्जन मंत्रालयों के भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत की लिस्ट पीएमओ भेजी गई। पीएम ने प्रगति समीक्षा बैठक में भी कहा था, ‘यह चिंता की बात है कि मंत्रालय स्तर पर शिकायत न सुनने के कारण लोग पीएमओ में शिकायत कर रहे हैं।’ मोदी ने पीएम बनने के बाद ब्यूरोक्रेसी रिफॉर्म को अपना सबसे बड़ा अजेंडा बताया था और रेड टेप की जगह रेड कार्पेंट की बात कही थी, लेकिन हाल में ब्यूरोक्रेसी के कारण काम में आ रही रुकावट की खबरों के बाद अब सरकार चिंतित है।
6 माह के भीतर नतीजे देने का दबाव :
सूत्रों के अनुसार, पीएमओ के निर्देश पर ही हाल ही में नियम बदलकर करप्शन के खिलाफ जांच को पूरा करने की समय सीमा 6 महीने की गई है। इसके लिए 50 साल पुराने कानूनों में बदलाव भी किया गया। अब इस बारे में औपचारिक आदेश निकलने के बाद सभी मंत्रालय और विभागों से 31 दिसंबर से पहले स्पष्ट नतीजे रखने को कहा गया है। नए नियम के तहत 6 महीने में करप्शन से जुड़े मामलों की जांच कर रिपोर्ट सौंपनी होगी। पीएमओ ने जब लंबित मामलों की समीक्षा की थी, तब पाया था कि कई मामलों की जांच 5 साल से चल रही है। जल्द ही अफसर स्तर के तंत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
नोटबंदी के बाद GST इसी श्रुंखला की अगली कड़ी थी जिससे तमाम वो लोग जो कर चोरी कर रहे थे उनपर लगाम कसने में सरकार को बड़ी सफलता हाथ लगी है वही विपक्ष तिलमिलाया है की इसका श्रेय लेकर मोदी सरकार आनेवाले चुनावों में नोटबंदी की तरह इसे भी ऐतिहासिक फैसला बता प्रंचड बहुमत हासिल न करे। इससे पहले नोटबंदी जैसा सराहनीय और साहसी कदम उठाकर भ्रष्टाचार पर एक हद तक लगाम लगाने की कोशिश की गयी थी जिसके लिए मोदी सरकार को विपक्ष ने घेरा था लेकिन इसके विपरीत मोदी सरकार जनता को नोटबंदी के फायदे गिनाने में सफल रही और इसके नतीजे तमाम छोटे बड़े चुनाव में दिखाई दिए। क्योंकि नोटबंदी के बाद पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में मोदी सरकार ने अपनी भ्रष्टाचार विरोधी निति से प्रचंड बहुमत हासिल किया है। जिस कारण पार्टी में विश्वास है की जनता उनके इस फैसले में उनके साथ है। इसी नतीजे को देखते हुए मोदी सरकार आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए किसी भी तरीके का कदम उठाने के लिए पीछे नहीं हटेगी। उम्मीद है कुछ और सराहनीय प्रयास मोदी सरकार द्वारा उठाये जा सकते है।