शर्मनाक: भारत का पूर्व उपराष्ट्रपति एक जिहादी संगठन के समारोह में क्या कर रहा था?

पीएफआई हामिद अंसारी

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने केरल के कोझिकोड में हुए एक समारोह में भाग किया था। इस कार्यक्रम का सह-आयोजन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) की महिला शाखा ‘राष्ट्रीय महिला मोर्चा’ (एन डब्ल्यू ऍफ़) ने किया था।

ऐसा संगठन जिस पर युवाओं को इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल करवाने के आरोप हैं उस पीएफआई के कार्यक्रम में हामिद अंसारी के भाग लेने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ी आपत्ति जताई है और साथ ही हामिद अंसारी से माफ़ी की मांग की है।

तो पीएफआई ऐसा कौन सा संगठन है जिसकी वजह से बीजेपी ने हामिद अंसारी से माफ़ी की मांग की है ? आइये देखते हैं पीएफआई है क्या और क्या करता है ?

पीएफआई केरल स्थित एक लोकप्रिय मुस्लिम फ्रंट है। यह संगठन केरल के नारत जिले में एक आतंकी शिविर चला रहा था। 23 अप्रैल 2013 को पुलिस ने शिविर में छापेमारी कर 21 लोगो को हिरासत में लिया था। छापेमारी के दौरान इस शिविर से कई घातक हथियार और बम बरामद हुए थे। एक मानव रूपी डमी भी बरामद किया गया था जिसमें हथियारों से लक्ष्य भेदने का अभ्यास किया जाता था। गिरफ्तार किये गए लोगों के इंडियन मुजाहिदीन और अन्य वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध थे। 2005 में कोच्चि के पास कलमसेरी में एक बस को जलाने और 2006 में एक-दो बम विस्फोट करने के अलावा केरल के अन्य आतंकी गतिविधियों में पीएफआई के गिरफ्तार हुए लोग शामिल थे। पिछले ही वर्ष एनआईए न्यायालय ने इन 21 पीएफआई सदस्यों को विभिन्न घृणित अपराधों और आतंकी गतिविधियों में दोषी पाया है।

पीएफआई का एक दूषित और हिंसक इतिहास रहा है। 2001 में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और सांप्रदायिक नफ़रत फ़ैलाने की वजह से प्रतिबंध लगाए गए इस्लामिक आतंकी संगठन ‘स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया’ (सिमी) के साथ भी पीएफआई का सीधा सम्बन्ध था। पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रहमान सिमी के राष्ट्रीय सचिव थे वहीं पीएफआई के प्रदेश सचिव सिमी के भी प्रदेश सचिव थे।

पीएफआई कथित तौर पर विभिन्न सांप्रदायिक, आपराधिक और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। पीएफआई की कुछ गतिविधियां –

★ पीएफआई पर हिन्दू राजनीतिक चेहरे प्रशांत पुजारी, डी एस कटप्पा, मंजुनाथ, शरद मदिउला जैसे अन्य लोगो के हत्या में शामिल होने का आरोप है।

★ सांप्रदायिक जहर फ़ैलाने वाले अतिवादी डॉ जाकिर नाइक और ओवैसी के समर्थन में पीएफआई के 100 से अधिक कार्यकर्ताओं ने साहेबगंज में विरोध रैली आयोजित की थी। इसके अलावा पटना में भी पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाते हुए जाकिर नाइक के समर्थन में रैली निकाली थी।

★ 2012 में असम दंगों के बाद उत्तर पूर्वी राज्य के लोगों के खिलाफ बड़े स्तर पर एसएमएस अभियान चलाया था।

★ 2012 में पीएफआई कार्यकर्ता ने पल्लिकुन्नु के निकट एबीवीपी कार्यकर्ता एन. सचिन गोपाल की हत्या की थी।

★ 2010 में एनआईए की एक विशेष अदालत ने पीएफआई के 13 कार्यकर्ताओं को प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ की हथेली काटने के जुर्म में दोषी पाया था।

★ आरएसएस कार्यकर्ता रुदेश के हत्या के आरोप में एनआईए ने 5 पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की है जिसमें बंगलौर जिले के पीएफआई अध्यक्ष अज़ीम शरीफ भी शामिल है।

पीएफआई एक इस्लामिक खलीफा का समर्थक संगठन है। पीएफआई सिमी की तरह भारत सरकार से प्रतिबंधित तो नहीं है लेकिन वो ऐसा ही एक कट्टरपंथी समूह है जो भारत में आईएसआईएस के अँधेरे परछाई को भारत में फैलाने के लिए स्वाभाविक और संभावित रूप से सहयोग कर रहा है। इस संगठन की कट्टरपंथी मानसिकता ने अपने सदस्यों को पूरी दुनिया के खिलाफ पवित्र युद्ध में आईएसआईएस में शामिल होने के लिए बढ़ावा देता है। एनआईए की जाँच में यह बात भी सामने आई है कि पीएफआई और आईएसआईएस के बीच संबंध अधिक मजबूत हो रहें हैं।

★ 2 अक्टूबर 2016 को एनआईए ने केरल में एक आईएसआईएस मोड्यूल का पर्दाफाश किया था, जिसे अंसारल खलीफा के नाम से जाना जाता है। जसीम एन के, रामशद एन के, स्वाज मुहम्मद, मानसीद बिन मुहम्मद, पी सफवान और अबू बशीर यह 6 व्यक्ति थे जिन्हें एनआईए ने गिरफ्तार किया था। मानसीद लोगो को ऑनलाइन आईएस से जोड़ने का प्रभारी था। पी सफवान दैनिक मलयाली अखबार तेजस का ग्राफिक डिसायनर था, जो कि पीएफआई के मुखपत्र की तरह था। सफवान और मानसीद दोनों पीएफआई और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के कार्यकर्ता थे।

★ एनआईए ने सजीर मंगलाचारी अब्दुल्ला नामक एक और व्यक्ति की तलाश शुरू की जिसने 6 व्यक्तियों को भर्ती किया था। अब्दुल्ला ने उसी 22 लापता लोगो को भर्ती करवाया था जिनका जिक्र इस लेख में ऊपर हुआ है। इस समूह में 8 नाबालिक लोग भी थे। अब्दुल्ला ने 21 लोगो को अफगानिस्तान भेजा तथा 22वें व्यक्ति मानसीद बिन मुहम्मद को अन्य लोगो को भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी। इसरायली पर्यटकों, प्रमुख भाजपा नेताओं और मुस्लिमों के खिलाफ फैसले देने वाले जजों पर हमले करने के लिए अब्दुल्ला ने नए लोगों की भर्ती की। अब्दुल्ला खुद एनआईटी से पढ़ा हुआ है और पीएफआई का सपोर्टर और कार्यकर्ता है।

ये सब स्पष्ट तथ्य है कि पीएफआई कार्यकर्ता आतंकी समूह आईएस से जुड़ रहें हैं और अन्य लोगों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित कर रहें हैं।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के जिहादियों ने कन्नूर की एक हिन्दू लड़की श्रुति के अपहरण की कोशिश भी की थी। श्रुति के माता पिता ने विश्व हिन्दू परिषद् के प्रवीण तोगड़िया द्वारा जारी किये गए ‘हिन्दू हेल्पलाइन’ (एच एच एल) में संपर्क किया जिसके बाद हिन्दू हेल्पलाइन के कार्यकर्ताओं और पुलिस में श्रुति को पीएफआई के जिहादियों से बचाया था। पीएफआई ने पुलिस को चुनौती देते हुए पोस्टर लगाया था कि वह श्रुति को अपहरण करने और आईएसआईएस को बेचने से रोक कर दिखाएं।

पोस्टर का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह से है –

प्रिय दुर्बल पुलिस, जो संघी बल के आगे झुक चुका है, हमने श्रुति को ले जाने का फैसला किया है। हम उसे सीरिया या यमन ले जाकर आईएसआईएस को उपहार के रूप में देंगे। तुम जो कर सकते हो कर लो।

हम भी देखते हैं कि तुम हमें रोक सकते हो!

– पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया

उपराष्ट्रपति के पद से हटने के पहले अपने आखिरी उद्बोधन में हामिद अंसारी ने मुस्लिम समाज में डर की भावना की बात कही थी। शायद वो पहले से ही अपने स्थान पर मुस्लिम वोटबैंक के तुष्टिकरण करने के लिए अपनी जगह तय कर चुके थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्हें कड़े शब्दों में जवाब दिया था।

शायद हामिद अंसारी सेवानिवृत्ति के बजाय ओवैसी या जिन्ना की तरह भारतीय राजनीति में मुस्लिम नेता के रूप में उभरने की इच्छा रखते हैं। हामिद अंसारी चुपचाप अपने कार्यालय से बाहर निकल सकते थे और यह भी हो सकता था कि समय के साथ साथ उनके दुर्व्यवहार को भुला भी दिया जाता। लेकिन अपने विदाई के दौरान दिए वक्तव्य में उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह देश का ही दुर्भाग्य था कि उनके जैसा व्यक्ति भारत के किसी संवैधानिक पद पर आसीन था।

हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति के रूप में पूरी तरह से कलंक थे। और उनकी एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के साथ निकटता वाकई शर्मनाक है।

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