मिलिए मोदी कैबिनेट के नए मंत्री हरदीप सिंह पुरी से, इनकी उपलब्धियां गिनते रह जायेंगे

हरदीप सिंह पुरी

एनडीए सरकार द्वारा लाये व्यापक कैबिनेट बदलाव निस्संदेह सबसे चर्चित और रोचक कैबिनेट बदलावों में से एक है, जिसमें नरेंद्र मोदी की एक कुशल और साहसिक नेता की छवि में इजाफा में ही हुआ है। चाहे कितना ही राजनैतिक और चुनाव संबंधी दबाव, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार उस सरकार के तौर पर उभर कर सामने आई है जो समय आने पर देश हित में कड़े फैसले लेने से बिलकुल भी नहीं हिचकती.

इनहि नए कैबिनेट चेहरों में से एक है विश्वसनीय और सफल कूटनीतिज्ञ, श्री हरदीप सिंह पुरी, जिससे ये काफी हद तक साफ हो चुका है की इस व्यापक कैबिनेट बदलाव का एक लक्ष्य यह भी था की पूर्व नौकरशाहों, जिनके रेकॉर्ड में कोई विशेष धब्बा नहीं है, को सरकार के कुशल शासन प्रशासन में सहायता कराने के लिए नियुक्त किया जाये। इस लेख में हम बतौर राजदूत और भारतीय विदेश सेवा अफसर, श्री हरदीप सिंह पुरी की कुछ अतुल्य उपलब्धियां गिनाते हैं:-

कैरियर के हाइलाइट्स:-

महज 22 वर्ष की उम्र में हरदीप सिंह पुरी ने भारतीय विदेश सेवा के कैडर में बतौर अफसर सदस्यता ग्रहण की। 4 दशक तक चले इनके लंबे और सफल कार्यकाल में, इनहोने कई कूटनीतिक पद संभाले है, जिनमें प्रमुख है ब्राज़ील के लिए भारतीय राजदूत होना, जहां उन्होने भारत ब्राज़ील दक्षिण अफ्रीका साझेदारी [आईबीएसए] को अमली जामा पहनने में एक अहम भूमिका निभाई। इसके साथ साथ इनहोने यूके, जापान और श्रीलंका में भी अहम कूटनीतिक पद संभाले। 1988 से 1991 तक ये यूएनसीटीएडी मल्टीलेटरल ट्रेड नेगोंसिएशन प्रोजेक्ट, उरुग्वे राउंड के कोओर्डिनटोर भी रह चुके हैं।

बहुपक्षीय संस्थानों में अमूल्य अनुभव:-

अपने शानदार कैरियर में ये डबल्यूटीओ संबन्धित समस्याओं पर अपनी विशेष पकड़ के लिए कूटनीतिक क्षेत्र में काफी जाने माने नाम थे। बहुपक्षीय समस्याओं का समाधान निकालने में इनकी कुशलता का कोई सानी नहीं है। इन्हे कई न्यूयॉर्क और जेनेवा के कई यूएन संस्थानों में भारत के स्थायी प्रतिनिधित्व के तौर पर नियुक्त भी किया गया।

हरदीप सिंह पुरी अपने कूटनीतिक कैरियर के शिखर पर पहुँच गए जब इन्हे यूएन के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधित्व के तौर पर 2009-2013 के लिए नियुक्त किया गया। इनहोने यूएन सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अगस्त 2011 से नवम्बर 2012 तक कमान भी संभाली।

और तो और इनहोने जनवरी 2011 से फरवरी 2013 तक यूएन सुरक्षा परिषद आतंक विरोधी समिति के अध्यक्ष का भी पद इनहोने संभाला है।

रिटायरमेंट के पश्चात कैरियर:-

रिटायरमेंट के बाद भी श्री हरदीप सिंह पुरी का जोश कम नहीं हुआ है। एक सफल कैरियर से रेटायर होने के बाद इनहोने 2013 में बतौर वरिष्ठ सलाहकार इंटरनेशनल पीस इंस्टिट्यूट की सदस्यता ग्रहण की। जनवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुये इनहोने अपने राजनैतिक कैरियर की भी शुरुआत की, जहां इनहोने पार्टी की राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के प्रति प्रतिबद्धता को जमकर सराहा। कैबिनेट रैंक पर पदोन्नति से पहले ये विकासशील देशों के रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम के अध्यक्ष के तौर पर अभी मार्च में ही नियुक्त हुये थे। ये संस्था भारत सरकार को विश्लेषणात्मक समर्थन देती है और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मसलों, विशेषकर विकासशील वर्ल्ड एंड डेव्लपमेंट कोऑपरेशन से संबन्धित पॉलिसी रिसर्च [नीति अनुसंधान] पर केन्द्रित है।

निष्कर्ष:-

हरदीप सिंह पुरी जैसे कुशल कूटनीतिज्ञ और ऐसे लोकसेवक, जिनका शानदार कैरियर उनके लिए बोलता है का कैबिनेट में आना, निस्संदेह एक स्वागत योग्य कदम है, जो चुनाव से पहले आम तौर पर एक भारतीय प्रधानमंत्री के रवैये से काफी अलग है। इससे अब साबित हो चुका है की पीएम मोदी कोई साधारण नेता नहीं है और वे किसी भी कीमत पर विकास के एजेंडे को ठंडे बस्ते में डालने के मूड में नहीं है।

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