दुनिया के मौजूदा गुप्त बातों में सबसे हास्यास्पद गुप्त बात यह है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में हो सकता है, और दूसरा रहस्य भी उतना ही हास्यास्पद है कि शायद पाकिस्तान में उसके हाथ आईएसआई से बंधे हुए हैं। यदि सच ही कहा जाए कि दाऊद हफ़ीज़ सईद के लश्कर के हाथ में है तो यह कहीं से भी आश्चर्यजनक बात नहीं होगी।
भारत से भागने वालो में दाऊद इब्राहिम नाम हमेशा से चर्चा में रहा है। अभी एक अफवाह फैली है कि 2019 के आम चुनाव से पहले तक वापस भारत आ सकता है। अफवाहों में यह भी कहा जा रहा है कि लगातार आतंकरोधी ऑपरेशन चलाने वाले वर्तमान केंद्र सरकार के लिए उसका आना सरकार की छवि को चमकदार करेगा। राज ठाकरे द्वारा तो यह भी दावा किया गया है कि दाऊद इब्राहिम वर्तमान केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में है और भारत लौटने पर चर्चा कर रहा है। अपने राजनैतिक संपर्क और मुंबई पुलिस से जुड़े लिंक से विचार विमर्श कर वह सुरक्षित वापसी की कोशिश कर रहा है। लेकिन हमें कोई संदेह नहीं है क़ि भारत सरकार उसे अपने शर्तों पर ही लाएगी। यह गिरफ़्तारी के तौर पर भी हो सकता है, खासकर अब जब सेना के खुफिया इंटेलिजेंस में कर्नल पुरोहित और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अजीत डोवाल बैठे हैं।
सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा (एक एनकाउंटर विशेषज्ञ जिन्हें कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने उनके खिलाफ केस कर उन्हें निलंबित कर दिया था, खैर यह दूसरी कहानी है इसपर ध्यान ना दें) द्वारा पिछले दिनों इक़बाल कास्कर की गिरफ्तारी की गई। इसी वर्ष के शुरआत में संयुक्त अरब अमीरात में दाऊद इब्राहिम की 15 हजार करोड़ की संपत्ति को जब किया गया तथा भारत सरकार के आग्रह के बाद यूनाइटेड किंगडम ने भी 42 हजार करोड़ की संपत्ति जब की। यह दाऊद के ऊपर कसा गया एक बड़ा आर्थिक शिकंजा था।
भारत और अमेरिका के ख़ुफ़िया सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि दाऊद इब्राहिम आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा को फंडिंग करता है, लेकिन उसके ऊपर कसे गए इस आर्थिक शिकंजे के बाद उसकी तरफ से होने वाली फंडिंग को जरूर झटका लगा होगा। वहीं इसके आलावा उसके भाई की गिरफ्तारी उसके परिवार के सदस्यों के ऊपर एक फंदे का काम जरूर करेगी।
दाऊद इब्राहिम द्वारा आतंकवाद के फंड के मुख्य स्त्रोत ‘हवाला कारोबार’ का नोटबंदी के बाद जो हश्र हुआ है वो उसने गहरा प्रभाव छोड़ा है। नगद राशि के प्रभाव में धीरे-धीरे ही सहीं लेकिन प्रभावित करने के स्तर तक कमी आई है। संसाधन भी लगभग ख़त्म हो रहें हैं, और यह तो प्रमाणित है कि अंडरवर्ल्ड कितना निर्दयी है। यदि आप शीर्ष पर नहीं हैं तो या तो कानून-जाँच एजेंसी या आपके ही प्रतिद्वंद्वी आपको बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। दाऊद के पास अब अपनी जान बचाने का एक ही विकल्प है कि वह औपचारिक तौर पर समर्पण कर भारतीय कानून के हिसाब से सजा स्वीकार करे। वैसे भी दाऊद के लिए देश में वकील की कोई कमी नहीं होगी, मानवाधिकार वाले लाइन लगाकर खड़े रहेंगे, लेकिन यही वर्तमान सरकार 2019 के बाद भी रहती है तो दाऊद को मृत्यदंड मिलना निश्चित है ( सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महान्यायवादी यह सुनिश्चित करेंगे)।