टाइम मैगजीन ने ‘नेक्स्ट जनरेशन लीडर्स 2017’ कि अपनी सूची में एक अनोखे व्यक्ति को शामिल किया है, वह है गुरमेहर कौर। लिबरल समुदाय की प्रिय गुरमेहर को “फ्री स्पीच वारियर” का टाइटल दिया गया था। जाहिर तौर पर, कोई किशोरों को एक मीम (सोशल मीडिया में मजाक का एक तरीका) बनाने के लिए मुकदमे की धमकी दे सकता है फिर भी वह फ्री स्पीच का वारियर कहला सकता है। यह ठीक उसी तरह से है जैसे हिजाब और बुर्क़ा महिला सशक्तिकरण के प्रतीक है। खैर, यह एक लिबरल दुनिया है, और इस लिबरल दुनिया में जब तक आप खुद को लिबरल कहते हैं और उन लोगों को जिनको लिबरल समर्थन करते हैं उनके प्रति दिखावटी प्रेम दर्शाते हैं तब तक आप कुछ भी कर सकते हैं।
इसमें अनुमान लगाने का पर्याप्त कारण है कि टाइम मैगजीन की सूची में गुरमेहर कौर को शामिल किए जाने के पीछे निश्चित तौर से किसी राजनीतिक दल या किसी विशिष्ट संगठन के किसी खास व्यक्ति की सिफारिश है जिसे कुछ निजी हितों के लिए किया गया है। राजनीतिक दलो और मीडिया के बीच की मिलीभगत निश्चित रुप से कोई रहस्य नहीं है। अमेरिका की मेनस्ट्रीम मीडिया और हिलेरी के अभियान के बीच मिलीभगत सभी को दिखा था। और फिर भी, यह कोई भी देख सकता था, मुख्यधारा के मीडिया ने इसे ऐसे छोड़ दिया जैसे यह कोई बड़ा मुद्दा ही नहीं था और नए सिरे से पूरी ताकत के साथ संदिग्ध कारणों पर डोनाल्ड ट्रंप को दबाव में लाने के अपने काम में लग गया।
टाइम मैगजीन द्वारा अगली पीढ़ी के नेताओं की सूची में गुरमेहर कौर को शामिल करना एक झूठ से नया विचार बनाने की एक प्रयास है।
एक समय जब भारत में लिबरल लगातार राजनीतिक रुप से पिछड़ रहे हैं, तो वह नए नायकों के लिए बेताब है। चूँकि उनके दल में ऐसा कोई भी नहीं था, तो उन्होंने अपने कलम के ताक़त से नए नेता बनाने का फैसला किया।
मुझे यह मानना मुश्किल लगता है कि सूची तैयार करने वालों को वास्तव में लगता है कि गुरमेहर कौर अगली पीढ़ी की नेता है। और यदि सूची वास्तव में उनकी राय दर्शाती है तो यह उनके विश्व को देखने में विकृति का प्रतीक है। यदि यह मामला वास्तव में है तो, गुरमेहर कौर को टाइम मैगजीन की सूची में शामिल करने से पूरे मीडिया में उस बुलबुले का पता चलता है जो पूरी बिरादरी में रहा है, और मीडिया की बनाई हुई वास्तविकता और असल वास्तविकता के बीच की खाई साफ नजर आती है। ‘द इंटेलेक्चुल येट इडियट्स’ (नसीम निकोलस तलब द्वारा गढ़ा गया एक शब्द) गुरमेहर कौर को अगली पीढ़ी का नेता कहते हैं, लेकिन अगर वह अपने पाठकों को भारतीय जनता के बीच गुरमेहर के प्रभाव की जानकारी दे तो वह खुद शर्मिंदा हो जाएंगे।
लोग यह पूछने के लिए स्वतंत्र है कि यदि गुरमेहर कौर अगली पीढ़ी की नेता है तो उसके समर्थक कहाँ है ? यदि हम किसी को अगली पीढ़ी का नेता कहते हैं तो उस व्यक्ति के अपने पीढ़ी के बीच समर्थक पर उसकी कमांड होनी चाहिए और उनके और फॉलोअर्स के बीच उसका कद बड़ा होना चाहिए और उन्हें कई लोगों के लिए प्रेरणा के रूप में काम करना चाहिए। यह कहना सही है कि ज्यादातर लोग गुरमेहर कौर का इसलिए समर्थन करते हैं क्योंकि वह बीजेपी और बीजेपी समर्थकों से नफरत करती है। वे उसे एक प्यादे से अधिक नहीं देखते ताकि वो भाजपा को मात दे सके। गुरमेहर कौर और उसका समर्थन करने वालों के बीच का रिश्ता वफादारी का नहीं बल्कि आपसी सुविधा का है। और सही बुद्धि वाला कौन व्यक्ति गुरमेहर को प्रेरणास्रोत कहेगा? सोशल मीडिया पर ट्रोल का विरोध? यह कोई बड़ी बात नहीं है, हर व्यक्ति सप्ताह के प्रत्येक दिन में यह करता है, और हम में से कोई इसके लिए मेडल की उम्मीद नहीं करता। उसकी छवि एक निश्चित प्रयोजन के लिए बनाई गई थी और जब उद्देश्य प्राप्त कर लिया जाएगा तो उसे त्याग दिया जाएगा और उसके कोई भी तथाकथित समर्थक उसे याद भी नहीं करेंगे।
वह वक्त चला गया जब मीडिया किसी को भी उठा कर नायक बना सकता था। हम अब सोशल मीडिया के दौर में हैं और उनके किसी भी मुद्दे को स्पिन करने से पहले उनके झूठ का भंडाफोड़ हो जाता है। लेकिन वास्तविक मुसीबत तब शुरू होती है जब भी लोग खुद अपने झूठ पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं और यह तेजी से स्पष्ट हो रहा है कि वह लोग वास्तविकता से संपर्क खो रहे हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ब्रेग्जिट और यूएस के राष्ट्रपति चुनाव की भविष्यवाणी पर अप्रत्याशित तरीके से विफल हो गया, और अब उन्हें अगली पीढ़ी के नेता के रूप में अप्रासंगिक तौर पर गुरमेहर कौर नजर आ रही है।
बहुत सी बेवकूफी भरी बातें हैं जो मुख्यधारा के मीडिया के इंटेलेक्चुअल येट ईडियट्स ने हाल के दिनों में प्रचार किया है। बेवकूफाना तथ्यों की सूची में ऐसी बातें शामिल है जैसे कि “लिंग (जेंडर) एक सामाजिक धारणा है”, और जैसे “एक आदमी को मासिक धर्म” और “महिलाओं का लिंग (पुरुष का लिंग) हो सकता है।
ऐसे में गुरमेहर कौर को टाइम मैगजीन की इस सूची में शामिल करना सबसे नवीन है। यदि लोग वास्तव में ऐसी असंभावनाओं पर विश्वास कर सकते हैं तो यह वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं है कि वह खुद को विश्वास दिलाएं कि गुरमेहर कौर अगली पीढ़ी की नेता है। वास्तव में गुरमेहर कौर एक और तार्किक असंभावना है: बिना किसी समर्थक का एक नेता। और लिबरल लोग किसी भी तार्किक असंभव के पीछे जोर लगाना पसंद करते हैं।