प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आलोचकों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया

प्रधानमंत्री मोदी, अर्थव्यवस्था

आईसीएसई (ICSI) के स्वर्ण जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुँचे थे। इस अवसर पर उन्होंने खुलकर अपनी बात कही। अर्थव्यवस्था में मंदी के मुद्दें पर सरकार को लगातार घेरने वाले लोगो को प्रधानमंत्री ने जवाब दिया है। गिरती अर्थव्यवस्था पर हो रही टिप्पणियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली प्रतिक्रिया थी।

प्रधानमंत्री पूरी तरह से तैयारी कर पहुँचे थे। देश में हो रही सकारात्मक चीजों को स्पष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री ने कई योजनाओं को सामने रखा और साथ ही सरकार द्वारा हो रहे विकास के आँकड़ों को बताया। विपक्ष को आंशिक रूप से अंधा बताते हुए उन्होंने कहा कि वो आगे बढ़ते हुए देश को नहीं देख पा रहें हैं। प्रधानमंत्री ने जीएसटी  और 500 एवं 1000 के नोटबंदी की भी बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोग विमुद्रीकरण के दिन (8 नवंबर) को इतिहास में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी मुहीम के रूप में याद रखेंगे।

महाभारत की अनुरूपता : 

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने भाजपा पर ही हमला करते हुए विमुद्रीकरण को ही गिरती अर्थव्यवस्था का कारण माना है। यशवंत सिन्हा ने कहा कि जीडीपी 5.7% से नीचे है और वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। इस बयान के बाद तो जैसे बिना किसी मुद्दों के विरोध करने वाले विपक्ष को संजीवनी मिल गई। पुरे विपक्ष ने यशवंत सिन्हा के बातों में लटककर सरकार की नीतियों पर हमला करना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था में कमी के आरोपो को अस्वीकार नहीं किया, बल्कि महाभारत के उदाहरणों के साथ विपक्ष को पार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने शल्य का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि कुछ लोग शल्य जैसे नकारात्मकता फैला रहें हैं।

डोकलाम विवाद के समय भी शल्य की तरह कुछ लोग नकरत्मक्ता फैलाने में लगे हुए थे, लेकिन बिना एक भी गोली चले विवाद का निपटारा होने पर उनके मुँह खुले रह गए थे। कुछ विशेष लोगो के कमाई में कमी आ चुकी है, और आगे और कम होने वाली है यह उनकी निराशा का कारण है।

संख्या और आंकड़े :

प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़े पेश कर सरकार के आलोचकों को जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने पूछा “क्या 5.7% की वृद्धि दर देश ने पहली बार देखा है ? पिछली सरकार के दौरान 6 वर्ष में 8 बार जीडीपी वृद्धि दर 5.7% या उससे कम रहा है। देश ने तो ऐसी भी वित्तीय तिमाही देखी है जब विकास दर 1.5% और 0.2% तक थे। उन्होंने कहा ऐसे भारी वित्तीय गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह होते हैं क्योंकि उन वर्षों में मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा, राजकोषीय घाटा बहुत अधिक था।

यूपीए से तुलना :

प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीए और एनडीए के तीन वर्षों की तुलना कर अपने आलोचकों को भी तुलना करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि 2012-13 और 2013-14 में औसत वृद्धि दर 6% तक थी जबकि एनडीए के शासन में देश ने 7.9% की वृद्धि दर को देखा। जब देश की अर्थव्यवस्था लगातर बढ़ रही थी तब आलोचकों ने दुष्प्रचार किया कि जीडीपी के गणना में ‘घोटाला’ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह कोई अर्थशास्त्री नहीं हैं, ना ही उन्होंने कभी ऐसा दावा किया है। लेकिन वो लोगो को इसीलिए फ्लैशबैक में ले गए थे क्योंकि लोग अचानक से राष्ट्र के लोग अर्थशास्त्र को समझने में रूचि दिखा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आलोचकों से वो समय याद करने को कहा जब भारत नाजुक 5 समूह का सदस्य बन चुका था। यह कोई G-7, G-8 या G-20 जैसा विशिष्ट समूह नहीं अपितु उन देशों का समूह था जिनकी अर्थव्यवस्था इतनी चिंताजनक थी कि यह दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरनाक था। प्रधानमंत्री ने पूछा कि “यह कैसे हुआ जब एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री (मनमोहन सिंह) उस समय सत्ता में थे ?

प्रधानमंत्री ने आम जनता में विश्वास और उनके क्रय शक्ति को आंकडो के जरिए सामने रखा। उन्होंने कहा कि पहले लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के बाद ही कार खरीदने के बारे में सोचते थे। लेकिन जून के बाद यात्री कारों की बिक्री 12% बढ़ी, कमर्शियल वाहनों की बिक्री 23% बढ़ी, दोपहिया वाहनों में 14% की वृद्धि हुई, ट्रैक्टर में 34%, घरेलू हवाई यातायात में 14%, हवाई माल में 16% बढ़ोतरी हुई। क्या यह एक गिरते अर्थव्यवस्था का संकेत है ?

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि कोयला, बिजली और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। व्यक्तिगत ऋण, आवास ऋण, म्यूचुअल फंड में वृद्धि हुई है। वित्तपोषण अब बैंकों के ऋणों तक सीमित नहीं है। सरकार पहली बार मध्यमवर्ग के परिवारों को घर बनाने के लिए राहत दे रही है। सरकार लगातार निन्म मध्यमवर्गीय और गरीबों को सशक्त करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं अपने वर्तमान के लिए देश के भविष्य से खिलवाड़ नहीं कर सकता। निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के अलावा पर्सनल सेक्टर में सरकार द्वारा जो दिया जा रहा है। जो युवा खुद कुछ करना चाहते हैं सरकार उनके मदद को पूरी तरह से तैयार है। प्रधानमंत्री ने मनी प्लानिंग, स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे योजनओं को सामने लाकर इसकी सफलता को बताया।

यह विपक्ष को एक करारा जवाब है जो कि आवश्यक भी था। इसके साथ ही देश की जनता को अर्थव्यवस्था को लेकर एक स्पष्टीकरण के तौर पर भी इसे देखा जा सकता है। उम्मीद है कि सोशल मीडिया में में बने नए अर्थशास्त्री अपने शोर को कम करेंगे और सार्थक सूचनाएं देने पर ध्यान देंगे।

सभी वक्तव्य, दावे, संख्या प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के वीडियो से लिए गए हैं, यहाँ पूर्ण वीडियो देख सकते हैं :

 

https://youtu.be/MDjfqpDTA9Q

 

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