सौर घोटाले पर हाल ही के खुलासे ने आपसी सामंजस्य वाले राजनीति की नींव को हिला कर रख दिया है, जिसका आनंद लंबे समय से केरल में वामपंथी और कांग्रेस पार्टी ले रहे थे। हालांकि, सीपीआईएम और कांग्रेस केरल के बहुलतावादी राजनीति में मुख्य पार्टियां हैं, लेकिन चुनाव उनकी विचारधारा के गुणों के आधार पर कभी नहीं लड़े गए बल्कि यह उन बड़े गठबंधनों की ताकत पर लड़ा गया जो वो शान से दिखाते थे।
केरल में दो मोर्चे यूडीएफ और एलडीएफ, जिसे क्रमशः कांग्रेस और सीपीआईएम द्वारा प्रशासित किया जाता है, को कई पक्षों का समर्थन था जिसकी कुछ विशेष क्षेत्रों प्रमुखता थी।
इन छोटे दलों ने हमेशा गठबंधन के भीतर निर्णय लेने में एक निर्णायक भूमिका निभाई, जबकि प्रत्येक विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं और सुविधाओं के अनुसार एक पक्ष से दूसरे पक्ष पर जाकर इस गठबंधन का लाभ भी उठाया। यह अस्थाई गठबंधन प्रणाली लंबे समय तक चला, यह सुनिश्चित किया गया कि राजनीतिक दलों के बीच कोई स्थाई वैचारिक विरोधी ना रहे। आपसी सामंजस्य की राजनीति में यादों पक्षों को दबाने के लिए या प्रमुख आरोपों पर समझौता करने में मदद की, जो समय समय पर उनके लिए काम आता गया। 12 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री ओमान चांडी को सोलर घोटाले के आरोप में इस्तीफा देने के लिए सचिवालय का अनिश्चितकालीन घेराबंदी करने के लिए एलडीएफ ने ऐलान किया। आंदोलन के मात्र 30 घंटे के बाद वाम मोर्चा द्वारा आंदोलन वापस ले लिया गया। वास्तव में राज्य में राजनीतिक मैच फिक्सिंग का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
केरल में भाजपा के एक प्रमुख बल के रूप में उभरने के बाद, सीपीआईएम अपने अस्तित्व को लेकर ज्यादा सतर्क है क्योंकि हिंदू परंपरागत रुप से वाममोर्चे का समर्थन करते हैं और भाजपा द्वारा कोई भी उथल-पुथल उनके हिंदू वोट बैंक को धक्का जरुर पहुंचाएगा। कांग्रेस को चोट पहुँचाने और भगवा पार्टी के बढ़ते हुए रुतबे के सामने उसे लाने और कांग्रेस की राजनीति रितु को दबाने के लिए सीपीआईएम अपने सर तलवार की धार तेज कर रही है। आरोपों के आधार पर राज्य सरकार ने ओमान चंडी सहित कांग्रेसी के कई बड़े लोगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार के मामले दर्ज किए हैं, एक महिला द्वारा यह रहस्य उजागर करने के बाद मामला दर्ज कराया गया है। वह खुद 32 धोखाधड़ी के मामले से जुड़ी है और एक मामले में उसे दोषी ठहराया गया है। न्यायिक आयोग मैं अपनी गवाही दर्ज कराने के दौरान उसने कहा कि अतीत में ओमान चांडी ने अपने आधिकारिक निवास पर उसके साथ कई बार अनैतिक कृत्य किया है।
ओमान चांडी, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, केरल में भगवा लहर के पहले शिकार बने हैं। अपराधों में शामिल लोगों के लिए छिपना अब अधिक कठिन हो चुका है। और केरल के मतदाता पहले से कहीं ज्यादा सतर्क और मुखर है।
अतीत में, टीम सोलर रिन्यूएबल एनर्जी सोल्युशन कंपनी के संस्थापक सरिता नायर और बीजू राधाकृष्णन अपने शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ संबंधों का लाभ उठाकर निवेशकों को रिझाने में सक्षम थे। उन्होंने निवेशकों को अपनी कंपनी में साझेदार बनाने की पेशकश कर उनकी आंखों में धूल झोंका। एक निवेशक द्वारा किए गए शिकायत के आधार पर बाद में केरला मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों को दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति जी शिवराजन का न्यायिक आयोग, जिसे ओमान चांडी सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए बैठाया गया था, ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
रिपोर्ट पर निष्कर्षों को देखने पर केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री विजयन ने घोषणा की थी कि आरोपियों को आरोप का सामना करना होगा और रिश्वत, यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपों की जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि ओमन चांडी के निकट सहयोगी तिरुवंचूर राधाकृष्णन (ओमान चांडी सरकार में पूर्व गृह मंत्री), अर्यादान मोहम्मद (पूर्व मंत्री), बेनी बेहनान (विधायक) और थंपनूर रवि (विधायक) की भी मुख्य आरोपी सरिता नायर और बीजू राधाकृष्णन के शामिल होने के रोल की जांच की जाएगी।
गंभीर आरोपों में पकड़े गए कई दिग्गजों के साथ राज्य में कांग्रेस का भविष्य बहुत निराशाजनक दिख रहा है। आंतरिक गुटबाजी और असंतोष ने पहले ही पार्टी को नुकसान पहुंचाया था और अब इस सेक्स और स्लेज के तूफान में पार्टी उड़ कर रह जाएगी। यह तूफानी झटका निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी को केरल राज्य में अपंग बनाने वाला है।