योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा भगवान राम की विशाल प्रतिमा बनाने और उत्तरप्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ताजमहल को अपनी राजकीय पर्यटन पुस्तिका से बाहर करने के विवादास्पद निर्णय के बाद आश्चर्यजनक (उतना भी नहीं) रूप से बहस शुरू हो गई है, लेकिन शायद योगी आदित्यनाथ के सबसे महत्वपूर्ण कदम को वामपंथी झुकाव वाले मीडिया में कम या बिल्कुल नहीं के बराबर कवरेज मिली।
इसे चमत्कार से कम कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि उत्तरप्रदेश सरकार ने केंद्र के स्वच्छ भारत अभियान के तहत सिर्फ 17 दिनों में रिकॉर्ड 3.52 लाख शौचालय बनाएं।
17 दिन की अवधि 15 सितंबर से शुरु हुई और स्वच्छता सेवा अभियान के एक हिस्से के रूप में 2 अक्टूबर तक चली जिसमें भारत में रिकॉर्ड संख्या में शौचालय बनाए गए। इसी अवधि के दौरान राजस्थान 2.5 लाख शौचालय बना कर दूसरे स्थान पर रहा। उत्तरप्रदेश ने मई 2019 तक ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुख्य सचिव राजीव कुमार के अनुसार इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगभग 44,000 शौचालय राज्य में प्रतिदिन बनाने की आवश्यकता है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि अगर शौचालयों के निर्माण की मौजूदा गति को बनाए रखा जाए तो राज्य इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है जो इतने लंबे समय तक असंभव लग रहा था।
अगस्त 2017 में भारत की गुणवत्ता परिषद द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार ग्रामीण स्वच्छता में सबसे खराब प्रदर्शन था, यह भूलकर की योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बने केवल 6 महीने हुए हैं उनकी व्यापक आलोचना हुई। 30 अक्टूबर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने आलोचक जो उनकी प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठा रहे थे उन्हें अपने कार्यों से जवाब दिया है।
शौचालय निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तरप्रदेश राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कई फैसलों की पृष्ठभूमि की वजह से ही यह चमत्कारी संख्या हासिल की गई। ‘खुले में शौच से मुक्त’ बनाने का एक और अधिक यथार्थवादी लक्ष्य राज्य के विशाल आकार के कारण स्थापित किया गया। इससे पहले, शौचालयों के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें दोनों कुल मिलाकर प्रत्येक शौचालय के लिए ₹8000 देते थे। 1 सितंबर 2017 को आवास मंत्रालय और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने उत्तरप्रदेश के शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए ₹12000 अतिरिक्त देने की घोषणा की जिसके बाद प्रत्येक शौचालय के लिए सरकार द्वारा प्रदान की गई कुल राशि ₹20000 हो गई। राज्य अटल योजना के तहत 13.3 लाख शहरी परिवारों को नल के पानी का कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। मलप्रवाह की कमी (सीवेज) के सुधार के लिए सरकार ने 11000 करोड रुपए आवंटित किए हैं।
हालांकि प्रोत्साहन और धन की कमी नहीं होने की बात कहने के बावजूद कुछ गांवों में स्वच्छता की प्रगति धीमी रही। भदरसा जिले के ऐसे ही एक गांव में राज्य सरकार ने शौचालयों के निर्माण की सहायता राशि आवंटित किए जाने के बावजूद शौचालय नहीं बनने के कारण गांवों में बिजली की आपूर्ति को रोक दिया।
योगी आदित्यनाथ की सरकार की गाजर और छड़ी नीति काम कर रही है। इसका परिणाम है:
सितंबर में बिजनौर जिले के सहानपुर नगर पंचायत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था। 12 ऐसे ही नगर पंचायत और स्थानीय निकाय खुले में शौच से मुक्त घोषित होने के लिए कतार में है, जो तीसरे पक्ष के निरीक्षण का इंतजार कर रहे हैं।
इसमें थोड़ा संदेह है कि नमामि गंगे योजना वर्तमान में योजना के अनुसार नहीं चल रही जिसके परिणाम स्वरुप उमा भारती को इस योजना से बाहर किया गया। हालांकि यह इतना भी विनाशक नहीं दिख रहा है और नितिन गडकरी के आने के बाद योगी-गडकरी की जोड़ी के कुछ कार्यों के कारण गंगा नदी के किनारे पर बसे सभी गांव खुले में शौच मुक्त किए गए हैं। इसके अलावा जिले के विभिन्न गांवों में से 16 लोगों पर नमामि गंगे योजना के तहत सरकार से धन प्राप्त करने के बाद भी अपने घरों में शौचालय का निर्माण नहीं करने पर कथित तौर पर “सार्वजनिक धन का दुरुपयोग” करने के लिए मुकदमा किया गया है और उम्मीद है कि जो समय रेखा का पालन नहीं करेंगे उन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
सरकार द्वारा उठाए गए इस विशाल शौचालय निर्माण अभियान का एक अन्य लाभ यह भी है कि यह सीधे उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नेतृत्व करेगा। 27 मई 2014 को बदायूं के सामूहिक बलात्कार मामले में दो लड़कियों का बलात्कार किया गया और फिर उन्हें आम के पेड़ पर बांध कर फांसी पर लटका दिया। इस मामले में पूरे राष्ट्र को हिला कर रख दिया और निर्भया कांड के बाद यह सबसे बड़ा मामला था।
प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चला था कि शौचालय की अनुपस्थिति के कारण दोनों लड़कियां देर रात में खेतों में खुले में शौच में गई थी उसी दौरान यह घटना हुई। हालांकि इस मामले के कई संस्करणों की सूचना दी गई इसके बाद ही तत्कालीन सपा सरकार द्वारा अपने चेहरे को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव के कारण इस घटना को ऑनर किलिंग में बदला गया तथा यह भी कहा गया कि एक लड़की का बलात्कार नहीं किया गया था। एक कहने की जरूरत नहीं है कि सीबीआई की रिपोर्ट में कई कमियां है और प्रारंभिक निष्कर्ष व्यापक रूप से सही माना जा सकता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हर गांव खुले में शौच से मुक्त हो।
जो महिलाएं ग्रामीण या गरीब शहरी इलाकों में रहते हैं वो या तो सार्वजनिक स्नानगृह का उपयोग करते हैं, जहां पैसे लगते हैं जो हर कोई वहन नहीं कर सकता, या लंबी दूरी तय करते हैं, शौचालयों का साझा उपयोग करते हैं, क्या खुले क्षेत्र में जाते हैं। स्वच्छता की सुविधा के बिना दुनिया भर में 3 में से 1 महिला अपनी इज्जत, रोग, उत्पीड़न का शिकार होती है क्योंकि उनके पास शौचालय जाने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है।
किसी ने स्वच्छता सेवा अभियान को देखा होगा विशेषकर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के भारत दौरे के दौरान जहां इसका कई बार उल्लेख किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के नेताओं ने पीआर (पब्लिक रिलेशनशिप) अभ्यास के रूप में करार दिया और कुछ लोगों ने उन पर वास्तविक मसलों से देश के मूड को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। हालांकि 17 दिनों की अवधि में देश भर में 18,24,549 शौचालय बनाए गए। संख्याएं सामने हैं और इसी सभी देख सकते हैं।
फिर भी वामपंथ की ओर झुकाव वाला मीडिया योगी सरकार के उद्घाटन करने वाले सार्वजनिक परिवहन के बसों के रंग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है जबकि योगी आदित्यनाथ चुपचाप अपना काम कर रहे हैं और उत्तरप्रदेश को देश के विकास के पैमाने के मानचित्र पर पुनः स्थापित कर रहे हैं।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि योगी आदित्यनाथ के पहनने वाले कपड़े का रंग क्या है जब उनका प्रशासन इसी तरह के मुद्दों पर बिना रुके तेज गति से काम कर रहा हो।
एक उम्मीद है कि वर्तमान गतिविधि बरकरार रहती है तो उत्तर प्रदेश जल्द ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा जिसे बहुत पहले अवास्तविक के रुप में चिन्हित किया गया था। योगी की मुख्यमंत्री नियुक्ति पर भाजपा के अंदर और बाहर दोनों तरफ से कई तीर फेंके गए थे, लेकिन उन्हें चुनने के पीछे कारण था। अरे ऐसा लगता है कि उनपर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह द्वारा किए गए अपार विश्वास को कम करने का उनका कोई मूड नहीं है।