जीएसटी रेट कम होने के बाद मुनाफाखोरी में लगे व्यवसाइयों के खिलाफ एनएए करेगा कार्यवाही

एनएए-जीएसटी

क्या आपने सोशल मीडिया पर वायरल वो फोटो देखी है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था कि मैकडॉनल्ड्स ने जीएसटी में १८% से ५% तक की कटौती के कारण, अपने ग्राहकों को लाभ से वंचित हुए, अपने रेगुलर लाटे की कीमत १२०.३४ रुपये से बढ़ाकर १३५.२४ रुपये कर दी थी। तकनीकी तौर पर, इसे अवैध रूप से अत्यधिक या अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए विशेष रूप की ‘मुनाफाखोरी’ कहा जाता है। जीएसटी को १ जुलाई २०१७ को लागू किया गया था, तब से इसी प्रकार की ३०० वस्तुओं पर जीएसटी की कर की गयी है। हालांकि, यह जाना बहुत ज़रूरी है कि ग्राहकों या आम लोगों में से कितने लोगों तक लाभ वास्तव में पहुंचा!

तो भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सरकार यह कैसी योजना बना रही है? हम इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं।

१६ नवम्बर २०१७ को, कैबिनेट ने उपरोक्त समस्याओं से निपटने के लिए, आवश्यक राष्ट्रीय एंटी-प्रॉफिटिंग प्राधिकरण (एनएए) को मंजूरी दी थी। प्राधिकरण का काम ग्राहकों के लिए दर में कटौती के लाभ को सुनिश्चित करना है। अब उपभोक्ताओं को किसी भी मुनाफाखोरी गतिविधि की सूचना की रिपोर्ट करने का अधिकार है। अब कोई भी व्यक्ति राहत पाने के लिए राज्य स्तरीय जाँच समिति के पास आवेदन कर सकता है। मैकडॉनल्ड्स जैसे सभी मामलों के लिए, जिनकी पूरे भारत में उप शाखाएं हैं, एक स्थायी समिति के समक्ष आवेदन किया जा सकता है। यदि ग्राहकों को लाभ नहीं दिया गया है, तो कंपनियों या व्यावसायिक इकाइयों को ब्याज के साथ लगाई गई अतिरिक्त राशि ग्राहकों को वापस करनी पड़ेगी। कुछ मामलों में, उन्हें जीएसटी पंजीकरण रद्द हो जाने जैसे मामलों का सामना भी करना पड़ सकता है।

जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, एनएए के कार्य सरल हैं, उन्हें जीएसटी दरों में होने वाले बदलावों से गैरकानूनी लाभ लेने वाले लोगों / संस्थाओं को नियंत्रित करना है।

समय अच्छा है और इरादे बहुत महान हैं, लेकिन, वे इसे लागू कैसे करने जा रहे हैं? ये एक बड़ा सवाल है, अभी तक प्राधिकरण के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों के बारे में पता नहीं है। पर एक बात हमें निश्चित रूप से पता है कि अपील सम्बन्धी एजेंसी के रूप में काम करना, एनएए के कर्तव्यों में से एक है। उपभोक्ताओं द्वारा व्यवसायिकों के खिलाफ की गईं, शिकायतों का निवारण किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा जारी निर्देश अभी केवल एक ‘मुनाफाखोर विरोधी’ प्रणाली के बनाने की उनकी मंशा को दर्शाते हैं, अधिक जानकारी अभी भी प्रतीक्षारत है।

जैसा कि आप पहले से ही इस तथ्य से अवगत हैं, कि भारत जीएसटी लागू करने वाला एकमात्र देश नहीं है। दुनिया में १०० से अधिक देश हैं जहाँ जीएसटी कुछ अलग या अन्य रूप में लागू है। कई देशों जैसे सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया द्वारा जीएसटी को अपनाने के बाद, वहाँ की खुदरा मुद्रास्फीति में अचानक वृद्धि देखी गई। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में जीएसटी के क्रियान्वयन के एक वर्ष में ही खुदरा मुद्रास्फीति १.९% से बढ़कर ५.८% हो गई। इसका कारण मुनाफाखोरी गतिविधियां और ग्राहकों तक लाभ न पहुँचने देने वाली मंशा का ही हाथ था। वास्तव में, ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भी खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ रही है, लेकिन यह तय करना जल्दबाजी होगी कि यह वृद्धि जीएसटी कटौती के कारण है या नहीं। दूसरी ओर, जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद भी सभी देशों में मुद्रास्फीति की वृद्धि नहीं देखी गई है, उदाहरण के लिए, मलेशिया एक सशक्त मुनाफाखोर-विरोधी प्रणाली के सफल कार्यान्वयन से खुदरा मुद्रास्फीति को काफी हद तक नियंत्रित करने में सक्षम रहा।

भारत, मलेशिया की तर्ज पर एनएए को लागू करने की कोशिश कर रहा है। एनएए के सफल कार्यान्वयन की सामूहिक जिम्मेदारी, राज्य के साथ-साथ नागरिकों की भी है। कोई तरीका नहीं है जिससे एनएए यह पता लगा सके कि किसी सड़क के कोने पर बैठा दुकानदार किसी एक विशेष वस्तु पर क्या कीमत वसूल रहा है। यह जानकारी उन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी आपकी / हमारी है।

एक बार जब हम प्राधिकरण में शिकायत दर्ज करवा देते हैं, तो मुनाफाखोरी के दोषी साबित हो जाने पर, एनएए को उसके खिलाफ कार्रवाई करने में तीन महीने का समय लगेगा। एनएए जैसे एक प्राधिकरण को सफल होने के लिए, लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।

मुनाफा कमाना अच्छी बात है, लेकिन आम आदमी की जेब काटकर से मुनाफा कमाना एक बुरा काम है। सरकार का यह कदम प्रभावशाली है और इसे सफल बनाने के लिए हम सभी को एक-साथ मिलकर, इसका साथ देना होगा।

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