अब तक आम आदमी पार्टी के मंत्रियों पर एक के बाद एक तमाम छोटे-बड़े घोटालों के आरोप लगते रहे है, साबित भी होते रहे है और जेल जाने की तो मानो प्रथा ही होगई है आम आदमी पार्टी की। और अगर ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा इनकी एक प्रोसेस है जिसमे हर आरोप लगने के बाद सबसे पहले उस आरोप को सब मिलके ख़ारिज करते है, बेबुनियाद बताया जाता है। चाहे वो फर्जी डिग्री मामला हो या या किसी महिला का राशन कार्ड बनानेवाला मामला हो या टैंकर घोटाले का हो डीटीसी बसों घोटालो का हो शुंगलू रिपोर्ट का हो बीवी को कुत्तों से कटवाने का हो या मोहल्ला क्लिनिक का हो। हर आरोप के बाद सब मिलकर उसे नकारने में लग जाते है, जैसे मामला तूल पकड़ता है एक-एक करके सब पल्ला झाड़ने लगते है और उससे बचने के लिए मीडिया के सामने एक नया मुद्दा उछाला जाता है जैसे ‘मोदी जी डिग्री दिखाओ’।
कपिल मिश्रा जो कभी केजरीवाल के अनन्य मित्र हुआ करते थे आज उनके सबसे बड़े विरोधी हैं, केजरीवाल की नाकाम नीतियों और भ्रस्ट आचरण को लेकर कपिल मिश्रा का उनकर हमला कोई नया नहीं है लेकिन कपिल मिश्रा ने आज जो बातें दुनिया के सामने रखी हैं वो हैरतंगेज़ हैं, अपने आप को इमानदारी की मिसाइल बताने वाले केजरीवाल कि अलमारियों में कितने कंकाल पड़े हैं, उसकी एक झलक हमें आज हमें कपिल मिश्रा जी ने दिखाई।
आइये देखते हैं कैसे कपिल मिश्रा ने किया केजरीवाल के काले कारनामों को बेनकाब:
ये सारे स्टेटमेंट्स कपिल मिश्रा जी के ट्विटर हैंडल से यथा स्वरुप लिए गए हैं
हेम प्रकाश शर्मा, कौन है हेम प्रकाश शर्मा? अगर आप हेम प्रकाश शर्मा को जान गए तो केजरीवाल ने नोटबंदी का विरोध क्यों किया, क्यों केजरीवाल के घर मे नोटबंदी वाले दिन सन्नाटा छा गया था और क्यों तीन दिन तक पार्टी में किसी को कोई भी रिएक्शन देने से मना कर दिया गया था।
वाराणसी चुनाव में केजरीवाल के नॉमिनेशन से सिर्फ एक हफ्ते पहले, आम आदमी पार्टी के खाते में 5 अप्रैल 2014 को रात 12 बजे 2 करोड़ रुपये आते हैं। ये 2 करोड़ रुपये 4 फ़र्ज़ी कंपनियो के माध्यम से भेजे गए, इन 4 फ़र्ज़ी कंपनियों में से तीन का डायरेक्टर है हेम प्रकाश शर्मा। जब नोटबंदी हुई तो ED ने दिल्ली के GK में छापे मारे जहां गद्दों में, बाथरूम में और छत तक पर नोटों की गड्डियां छिपी हुई मिली। ED को वहां से कुल 13 करोड़ रुपये की करेंसी मिली। जिस कंपनी में ED ने छापा मारा नोटबंदी के दौरान उसका डायरेक्टर भी वहीं हेम प्रकाश शर्मा।
यहां और भी गंभीर बात है ये कि अगर कॉर्पोरेट अफेयर्स के रिकॉर्ड में DIN नंबर से देखा जाए तो ये हेम प्रकाश शर्मा एक फ़र्ज़ी डायरेक्टर है जिससे शायद अरविंद केजरीवाल के अलावा आज तक कोई कभी मिला ही नहीं, नोटबंदी से केजरीवाल का सीधा नुकसान हुआ था, भारी नुकसान और उस नुकसान की भरपाई शायद आज तक नहीं हुई।
हालात कितने खराब थे इस बात से समझा जा सकता है कि नोटबंदी से पहले हुई सूरत की रैली में केजरीवाल ने घोषणा की थी AAP गुजरात मे सारी सीटों पर चुनाव लड़ेगी पर आज 11 से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पा रही। पुरानी कहावत है खजाने के ऊपर रहने वाला चूहा ऊंचा कूदता है।
वाराणसी चुनाव हो या पूरे देश मे एक साथ सभी सीटों पर लोकसभा लड़ने की घोषणा करना, गुजरात मे सारी सीट पर लड़ने का एलान करना, केजरीवाल आज इनमे से कुछ नही कर सकते, उसका केवल और केवल एक कारण है –नोटबंदी।
कुछ साल पहले बनी पार्टी जिसके खाते में 10 – 11 लाख रुपये हो उस पार्टी के लोग 135 विदेश यात्राएं करें, अमेरिका, कनाडा, रशिया, स्विट्जरलैंड, इटली, जर्मनी, कतर, म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर, ऑस्ट्रलिया, फ़िनलैंड , यूएई। ये सब केवल काले धन और हवाला के पैसों से संभव था। दुर्गेश पाठक जैसे कई लोग तो विदेशों में एक एक महीने तक रुके। नोटबंदी ने इस पर लगाम लगा दी। संजय सिंह जैसे लोग शादी अटेंड करने के नाम पर रशिया जाते और आशुतोष को साथ ले जाते।
नोटबंदी ने केजरीवाल को कितना बौखला दिया इसका अंदाज़ा इस बात से लग सकता है कि 8 नवंबर 2016 की शाम को ही आदेश दे दिया गया था, पार्टी में कोई कुछ रिएक्शन नहीं करेगा। तीन दिन बाद रिएक्शन हुआ कि विरोध करो। बताया गया केजरीवाल देश भर में 45 जनसभाएं करेंगे। ऐसी ऐसी जगह जनसभाओं को घोषणा को गयी कि सभी हैरान थे। नोटबंदी का विरोध करने का जैसे किसी ने ठेका केजरीवाल को दिया दे था।
मेरठ में रैली की गई और भीड़ दिल्ली से ले जाई गयी। हरियाणा में बार बार मना करने के बाद जबरदस्ती रैली करवाई गई। दिल्ली की आजादपुर मंडी में ममता बनर्जी के साथ रैली की गई। जनता का रिस्पांस नहीं मिला तब देशभर में रैली करने की योजना को रोक दिया गया। नोटबंदी के दौरान, आलम यहां तक था कि एक मीटिंग में लाइन में लगे लोगो को भड़काने के लिए कार्यकर्ताओं को लाइन में लगकर बिना टोपी पहने मोदी के खिलाफ जोर जोर से बोलने तक के निर्देश दिये गए। पर माहौल खराब नहीं हुआ।
विधायको के क्षेत्रों में होने वाली हर मृत्यु को नोटबंदी से जोड़ने को कोशिश की जा रही थी। केजरीवाल जैसे किसी एक बड़ी दुर्घटना होने का इंतज़ार कर रहे थे। आजादपुर से तो केजरीवाल ने यहां तक घोषणा कर दी थी कि अगर नोटबंदी बंद नही हुई तो बगावत कर देंगे। पर जनता की ताकत के आगे सब फुस्स था।
एक IRS अधिकारी होने के नाते केजरीवाल को पता था कानून में कहां क्या गड़बड़ की जा सकती है और इस ज्ञान का भरपूर फायदा उठाया गया। आम आदमी पार्टी शायद देश की अकेली पार्टी है जिसके हर साल के रिकॉर्ड में वेबसाइट पर पब्लिक के लिए अलग अमाउंट था, बैंक खाते में अलग, इनकम टैक्स को दी बैलेंस शीट में अलग और चुनाव आयोग को दिए विवरण में अलग। और इन सभी दस्तावेजो पर हस्ताक्षर थे स्वयं अरविंद केजरीवाल के।
नोटबंदी ने केजरीवाल की कमर तोड़ दी और उनके भव्य राजनैतिक सपनों को चकनाचूर कर दिया।
नुकसान केवल आर्थिक ही नहीं हुआ, विशुद्ध राजनैतिक नुकसान भी हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस लड़ाई का प्रतीक केजरीवाल खुद को बनाना चाहते थे उसके लिए PM मोदी ने एक बड़ी लाइन खींच दी थी। यह झटका केजरीवाल के लिए कहीं बड़ा झटका साबित हुआ। निराशा का आलम ये कि अब केजरीवाल ईमानदार दिखने की नौटंकी भी नहीं करते। एक समय जिन चिदंबरम साहब को केजरीवाल भ्रष्टतम नेताओं की सूची में रखते थे, उनसे जाकर माफी मांगना यहीं बताता है कि नोटबंदी के बाद केजरीवाल को समझ आ गया कि अब वो ईमानदारी का दिखावा भी नहीं कर सकते।
राजनीति में रहने के लिए अब केजरीवाल के पास केवल एक ही रास्ता रह गया, मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करना और यहीं कारण है अमानतुल्ला को कुमार विश्वास के सामने उभारा गया। मुसीबत में इंसान की असलियत सामने आती है। नोटबंदी ने केजरीवाल का असली चेहरा बेनकाब कर दिया।
8 नवंबर को केजरीवाल कांग्रेस के साथ मिलकर काला दिन मनाएंगे। उन्हें काला दिन मनाना भी चाहिए। उनके लिए 8 नवंबर वाकई में एक काला दिन था। एक दुःस्वप्न जैसा। जिसने उनके आर्थिक और राजनैतिक सारे मंसूबो पर पानी फेर दिया।