पश्चिम बंगाल में ममता ने हिंदुओं का वोट पाने के लिए खेला बड़ा दाव

ममता पश्चिम बंगाल

2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही इस देश की राजनीति ने नयी करवट ले ली | दशकों से उपेक्षित  रहे हिन्दू समाज को एक रौशनी की किरण दिखी है की यह सरकार उनके साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी | कही न कही हिन्दुओं में यह विश्वास जागा है की यही वो सरकार है जो अल्पसंख्यकों को वोट बैंक बनाकर इस्तेमाल न करते हुए सभी को बराबरी में सुविधाए मुहैय्या करवाएगी और इसमे मोदी सरकार ने काफी हद तक काबू पाने में सफलता हासिल भी की है | सबसे बड़ा बदलाव जो देखने को मिला है वही पिछले 70 सालो में एक धर्म विशेष को वोट बैंक के खातिर न केवल इस्तेमाल किया गया बल्कि उसके एवज में बाकि सभी धर्मो और समाज को हाशिये पर रख दिया गया था तो 2014 के बाद से मोदी सरकार ने न केवल विकास के नाम पर चुनाव जीते है बल्कि विकास साधते हुए भंली भांति हिन्दुओं और बाकि धर्मो को उनका सम्मान और बराबरी का अधिकार देने की पहल की है | और इसमे काफी हद तक हिन्दुओं का ही नहीं बाकि अल्पसंख्यक समाज का भी साथ सरकार को बराबरी से मिल रहा है |

अगर बंगाल में ममता बनर्जी की बात करे तो जिस तरह बंगाल में ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने बंगाल के हिन्दुओं को हाशिये पर धकेल कर एक समाज के लिए सर्वस्व दांव पर लगा दिया था इससे बंगाल में ही नहीं पूरे देश में हिन्दुओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है |

जिस तरीके से आये दिन त्योहारों पर हिन्दुओं की उपेक्षा की जा रही है इसपर हिन्दुओं में असंतोष उभर कर सामने तो नहीं आया लेकिन हिन्दू स्तब्ध जरुर है | क्यूंकि यही ममता बनर्जी है जिनके राज्य में कभी ईद तो कभी मुहर्रम के खातिर दुर्गा पंडालो पर तो कभी दुर्गा विसर्जन पर पाबन्दी लगा दी जाती है | सिर्फ इसलिए दुर्गा विसर्जन को टाल दिया जाता है की चंद लोगो को मुहर्रम मनाना है | ममता बनर्जी ने अपने राज्य में हिन्दुओ के खिलाफ और मुस्लिम तृष्टिकरण के चलते अनेक तुगलकी फरमान जारी किये है और हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करती रही है |

लेकिन देर सबेर ममता बनर्जी को भी कांग्रेस की तरह यह समझ आने लगा है की इस देश में जहाँ 70 प्रतिशत से अधिक की बहुसंख्यक आबादी के साथ हिन्दुओ की उपेक्षा करके अब चुनाव जीतना मुश्किल होता जा रहा है | जैसा की पिछले अनेक चुनाव में देखा जा रहा है तो ममता बनर्जी ने देर न करते हुए उनकी विचारधारा के एकदम विपरीत फैसला कर सबको चौका दिया है | हालाँकि यह फैसला उन्होंने बंगाल में होनेवाले पंचायत चुनाव के मद्देनजर लिया है लेकिन फिर भी बंगाल के हिन्दुओं के लिए यह एक खुश खबर ही है |

ममता बनर्जी ने खेला पश्चिम बंगाल में हिन्दू कार्ड, बंगाल में घर-घर बांटेंगी गाय

पश्चिम बंगाल सरकार ग्रामीण इलाकों में गाय बांटने की तैयारी कर रही है। बंगाल में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले ममता सरकार ने हिन्दुओं के वोट पाने के लिए बड़ा सियासी दांव खेला  है। ममता बनर्जी किसानों को मुफ्त में गाय देंगी । पश्चिम बंगाल सरकार ने एलान किया है कि गांव में रहने वाले गरीब किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए सरकार सभी परिवारों को गाय बाँट रही है ।  हालाँकि पश्चिम बंगाल के पशुपालन मंत्री स्वप्न देबनाथ का दावा है कि हम दूध का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए और गरीबों की आमदनी बढ़ाने के लिए अब हमने गाय बांटने का फैसला किया है। लेकिन मुस्लिम तृष्टिकरण की एक बड़ी धुरी माने जानेवाली ममता सरकार का इतिहास उठाकर देखे तो इसपर भरोसा कर पाना मुमकिन नही है |

पश्चिम बंगाल में 2018 में पंचायत चुनाव होने है ऐसे में ममता सरकार बरसो से उपेक्षित हिन्दुओ को खुश करने उनके खिदमत में लग चुकी है और चुनाव को देर रहते ही ममता सरकार गाय बांटने का फैसला कर चुकी है । ग्रामीण इलाकों में हर परिवार को एक गाय देने की योजना है। पहले चरण में दो हजार गायें बांटी जाएंगी । बीरभूम के बाद पूरे बंगाल में गाय बांटी जाएंगी । ममता बनर्जी जानती हैं कि गाय की सियासत उन्हें पंचायत चुनाव में सफलता दिला सकती है यही वजह है कि ममता सरकार के गौप्रेम पर भाजपा हमलावर हो गई है और गाय पर एक बार फिर सियासी संग्राम शुरू हो गया है और इस बार इसके केंद्र में ममता सरकार है।

ममता सरकार के इस हिंदूवादी कार्ड पर भाजपा ने बड़ा हमला किया। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ममता के गौदान पर सवाल खड़ा कर दिया है । उन्होने कहा कि मुफ्त में दी जाने वाली गाएं कहां जाएंगी, किसानों के पास या कसाइयों के पास? वैसे ममता सरकार के इस फैसले पर सबका आश्चर्य करना लाजमी है क्यूंकि ममता बंगाल में हिदुओं की कट्टर विरोधी रही है | ऐसे में अचानक से अगर हिन्दू हित की बात करे तो यह फैसला सबको आश्चर्य होने पर मजबूर करदेने वाला है |

जो विपक्ष कांग्रेस से सुरु होकर बंगाल में ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस तक एक धर्म विशेष के लिए बाहें फैलाये खड़ा रहता था, हर बुनियादी सुविधाओं पर पहला हक़ धर्म विशेष का बतला देता था यही नहीं एक धर्म के लोगों को खुश रखने के लिए हिन्दुओं की 70 साल तक उपेक्षा करनेवाले यही विपक्षी पार्टियाँ आज 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जिस तरीके से लगातार छोटे बड़े पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में फिसड्डी साबित हो रही है, देख रही है की मोदी सरकार तमाम चुनावों में एकतरफा वोट बटोर रहे है और न सिर्फ विकास कर रही है बल्कि सभी धर्मो को बरबरी में उनके रीतिरिवाजों और सस्कारों का बखूबी पालन करते हुए उनका हक़ भी दिला रही है और इसकी बदौलत जनता का भरपूर सहयोग सरकार को मिलता नजर नजर आ रहा है | इसका जीता जागता उदहारण हम उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजे में देखा गया है |

आज यही वजह है की जो बदलाव हम देख रहे है, गुजरात चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी और तमाम क्षेत्रीय पार्टियों का रवैय्या चुनाव को साधने के लिए ही क्यूँ न हो लेकिन बदलता नजर आ रहा है | जो कांग्रेस और राहुल गाँधी कल तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को ही काल्पनिक मान रही थे, जो लोग “भगवान् श्रीराम” के राम मंदिर निर्माण में कभी मुंह तक नहीं खोल पायें थे, हिन्दुओं की आस्था गौमाता को सरेआम चौराहे पर काटकर हिन्दुओं का मजाक बनाया करते थे, आज वही लोग गुजरात में हिन्दू वोटो के लिए मंदिर मंदिर माथा टेक रहे है तो यह बदलाव देखना हिन्दुओं के लिए सुखद अनुभव है | भले ही यह तात्पुरता बदलाव हो और सिर्फ वोट साधने की कोशिश हो लेकिन हिन्दू पर इन पार्टियों का ध्यान जाना एक बड़ी बात है | ऐसे में विपक्ष अपनी भूल को सुधरने का एक प्रयास करता नजर आरहा है | सही मायनों में भाजपा को छोड़ तमाम विपक्षी पार्टियाँ अब हिन्दुओं के तरफ भी लक्ष्य केंदित कर रही है तो यह देखना भी अच्छे दिन के संकेत है | बंगाल में आनेवाले पंचायत चुनाव में गाय बांटकर चुनाव में हिन्दू वोट साधने में ममता सरकार कहा तक सफल होती है यह देखना भी मजेदार होगा |

Exit mobile version