इन दिनों दिल्ली धुंध के एक कंबल के नीचे घिरा हुआ है। दृश्यता कम हो गई है। हवा में धुएं की एक अप्रिय गंध फैली हुई है। हवा इतनी भारी है कि आप इसे अपने चारों ओर महसूस कर सकते हैं। सब कुछ धुंधला हो गया है। पेड़ों पर, कार के शीशों पर और सूर्य (जो उगता है और बिना किसी हलचल के अस्त हो जाता है) उसके नीचे आने वाली हर वस्तु पर एक पतली धुंधली परत है। यह तृतीय विश्व युद्ध के बाद सुबह का वर्णन जैसे किसी उपन्यास के एक अंश की तरह लग सकता है, लेकिन यह वास्तविकता है। यह दिल्ली की चौंकाने वाली वास्तविकता है। सर्दियों की शुरुआत हो गई है, तापमान थोड़ा नीचे खिसक गया है पर भयवश यह शांत है। इसलिए, हर कण जो ऊपर चला जाता है, वह वहीं रहता है जब तक कि कोई उसे श्वास के माध्यम से अपने शरीर में नहीं खींच लेता।
दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण की समस्याओं को सुलझाने के प्रयासों की समस्या यह है कि यहाँ शोर ज्यादा है और काम कम। उदाहरण के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटाखों पर हालिया में लगाए गए प्रतिबंध पर विचार करें। यह प्रदूषण पर रोकथाम करने के लिए एक अच्छी परन्तु बहुत ही छोटी कोशिश थी, पटाखे निर्विवाद रूप से शहर में प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं पर क्या दिल्ली में प्रदूषण की वजह पटाखे हैं? कदापि नहीं। इस कदम को क्रांतिकारी माना गया और बहुत से नागरिकों ने या तो स्वेच्छा से या फिर अन्यथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन किया। अफसोस की बात है कि, वही हत्यारा स्मॉग एक प्रतिशोध के साथ वापस दिल्ली लौट आया है। पिछले कुछ दिनों में, हवा की गुणवत्ता इतनी खराब रही है कि उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री को, जो वैसे तो फिल्मो की आलोचना में व्यस्त रहते है, इतना प्रेरित कर दिया कि उन्होंने दिल्ली को स्मॉग का कक्ष घोषित कर दिया। क्या यह कहना काफी है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली के दौरान पटाखों की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश ‘कहीं पे निगाहें कही पे निशाना’ का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण स्तर को नीचे लाया गया था, यह दावा करने के बाद ऑड-इवन योजना को वापस लाने पर विचार किया गया है। विशेषज्ञों ने असहमति जताई। ज्यादातर विशेषज्ञों के मुताबिक, दो हफ्ते का समय (जिसके लिए वह योजना क्रियाशील थी) एक निर्णायक फैसले पर पहुँचने के लिए बहुत कम था। इसके अलावा, निजी वाहनों के कारण वायु प्रदूषण कुल वायु प्रदूषण का एक छोटा अंश है। अधिकांश वायु प्रदूषण निर्माण स्थलों और उद्योगों से उत्पन्न होता है और निश्चित रूप से, हरियाणा और पंजाब के पास फसल की ठूठियों (फसल अवशेष) को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है, जिसके लिए अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और हरियाणा दोनों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ खूब बयानबाजी की।
अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों, मनोहर लाल खट्टर और कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक पत्र भेजा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के खतरे को हल करने के लिए एक बैठक आयोजित करने के लिए उनसे आग्रह किया।
केजरीवाल ने खट्टर और कैप्टन अमरिंदर सिंह को फसल अवशेष को जलाने की समस्या को रोकने में विफल रहने के लिए और अपने राज्यों में किसानों को एक उपयुक्त और आर्थिक रूप से व्यवहार्य फसल अवशेष प्रबंधन प्रणाली प्रदान करने के कार्य में पूरी तरह से असफल रहने के लिए दोषी ठहराया।
मनोहर लाल खट्टर बहुत ही कम बोलने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन उन्होंने केजरीवाल के पत्र का जवाब बेहद शांत और कड़े तथ्यों के साथ देने का फैसला किया।
300 से कम शब्दों में, खट्टर ने निम्नलिखित 5 बिन्दु बिल्कुल स्पष्ट किए:
1.) दिल्ली में फसल के अवशेष प्रबंधन से संबंधित केजरीवाल कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
2.) खट्टर सरकार ने इस दिशा में लगातार कार्य किया है और साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त विवरण भी हैं कि सरकार सही रास्ते पर है।
3.) केजरीवाल पक्षपातपूर्ण और चुनावी राजनीति से ऊपर कभी नहीं उठ सकते हैं।
4.) हरियाणा अब केरोसिन और खुले में शौच मुक्त है, दिल्ली में एमसीडी-सरकार के टकराव पर एक तीक्ष्ण उपहास।
5.) खट्टर, केजरीवाल के साथ समस्या के मुद्दे पर आमने-सामने बहस करने, विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए तैयार है, केजरीवाल की मारो और भाग जाओ वाली राजनीति पर एक और तीक्ष्ण उपहास।
लेकिन हम उम्मीद करते हैं और ईमानदारी से विश्वास करते हैं कि मुख्यमंत्री केजरीवाल, मुख्यमंत्री खट्टर के जवाब की अभिव्यक्ति की सराहना करेंगे अब जब दोनों मुख्यमंत्रियों कि बैठक हो गयी है तो ये भी आशा कर सकते हैं कि शायद दिल्ली में स्मॉग का संकट भी जल्दी ही दूर होगा।