डिजिटल लेन देन बढाने के लिए भारत सरकार बंद कर सकती है चेक बुक सुविधा

सरकार डिजिटल लेनदेन

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8 नवम्बर 2016 यह ऐतिहासिक दिन भारत के इतिहास में एक बड़े इकोनोमिक रिफार्म के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है। इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी ने काले धन पर अंकुश लगाने के लिए अचानक से 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी की एक बड़ी घोषणा कर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया था। जहाँ देश की आम जनता को प्रधानमंत्री के इस अचानक से लिए गए फैसले से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा वही जनता इस फैसले के साथ प्रधानमंत्री के समर्थन में खड़ी भी दिखी। यही कारण था की 130 करोड़ की आबादी वाले देश में इतनी दिक्कतों के बाद भी कहीं कोई प्रदर्शन और हंगामा देखने को नहीं मिला। जिस देश में एक मूवी रिलीज़ में भी लोग बसें जलाने पर उतारू हो जाते है वही इतने तकलीफों का सामना करने के बावजूद घंटों लाइन में लगकर खड़े रहने वाला आम नागरिक शांतिप्रिय तरीके से प्रधानमंत्री के इस फैसले से खुश था। विपक्ष ने जरुर इस फैसले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया लेकिन इसका ज्यादा असर देखने को नहीं मिला उलटा सरकार ने इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज कराई।

प्रधानमंत्री के इस फैसले का देश में ही नहीं बल्कि विदेशी सरकारों और एजेंसीज ने भी दिल खोलकर स्वागत किया और इसे भारत के भविष्य के लिए एक बड़ा इकोनोमिक रिफार्म बताया। नोटबंदी से देश में न केवल काले धन पर अंकुश लगाने का काम किया जा रहा है बल्कि आने वाले समय काला धन जमा न हो पाए इसकी पूरी कोशिश की जा रही है। मोदी सरकार कड़े फैसले लेने के लिए जानी जाती रही है। सरकार के इस कदम से कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाजी में भारी गिरावट देखने को मिली है।

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था बीमारी बड़ी है तो इलाज भी बड़ा करना होगा तो जाहिर है प्रधानमंत्री आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था और विकास के लिए कुछ कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले तीन  सालो में मोदी सरकार द्वारा दो बेहद कड़े फैसले नोटबंदी और GST, लिए गए जिससे जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ी लेकिन देश के विकास में अहम योगदान देनेवाले ये फैसले में जनता का सरकार को पूरा समर्थन भी है। इन कड़े फैसलों के बाद मोदी सरकार का अगला कदम क्या होगा इसपर सबकी नजर टिकी है। इसी फैसले की अगली कड़ी होगी कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री मोदी चेक बुक से लेन देन बंद करने की घोषणा कर सकते है।

बंद हो सकती है चेक बुक सुविधा

जी हाँ ! आने वाले साल में हो सकता है कि चेक बुक के माध्यम से होने वाले सभी तरह के लेन देन बंद हो जाए। चेक के बजाए बैंक केवल डिजिटल ट्रांजेक्शन करने के लिए कह सकते हैं। इसके लिए सरकार जल्द ही एक रोड मैप ला सकती है। इससे आगे चलकर इकोनॉमी को कैशलेस बनाने का केंद्र सरकार का सपना पूरा हो सकता है। उद्योग संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार बैंक चेक बुक सुविधा को निकट भविष्य में बंद कर सकती है।

देश में 80 करोड़ एटीएम कार्ड, लेकिन इस्तेमाल 5 फीसदी

देश भर में 80 करोड़ से अधिक एटीएम कार्ड हैं, लेकिन इनमें से केवल 5 फीसदी कार्ड का इस्तेमाल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है। बाकी 95 फीसदी कार्ड कैश निकालने के लिए उपयोग किए जाते हैं। हालांकि बड़े शहरों में डेबिट कार्ड का प्रयोग डिजिटल लेनदेन में बढ़ा है, लेकिन छोटे शहरों और गांव-देहात में लोग इनका प्रयोग न के बराबर हो रहा है। सरकार को डेबिट तथा क्रेडिट कार्डों के इस्तेमाल को उत्साहित करने की जरूरत है। संभावना है कि डिजिटल लेनदेन को उत्साहित करने के लिए सरकार निकट भविष्य में ऐसा कदम उठा सकती है। मोदी सरकार अगर डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ाना चाहती है तो छोटे छोटे उद्योगों को डिजिटल पेमेंट में बढ़ावा देने की जरुरत है।

सरकार बढ़ाएगी डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, डिजिटल लेनदेन को मिलेगा बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया का सपना सच होने की दिशा में अग्रसर है। नोटबंदी के बाद देश ने जिस तरह से डिजिटल ट्रांजेक्शन्स को अपनाया है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन्स का सुपर पावर होगा। इस साल अक्तूबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शन की कीमत 1000 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी थी। यह वित्तीय वर्ष 2016-17 में हुए कुल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लगभग बराबर है। जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में औसतन 136-138 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ।

नोटों की छपाई में होते है 30 करोड़ रुपये खर्च

सरकार को प्रतिवर्ष 25000 करोड़ रुपए सिर्फ नोटों की छपाई पर खर्च करना पड़ता है और इसके साथ ही नोटों की सुरक्षा पर भी सरकार को 6,000 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ता है। ऐसे में पूरी तरह से कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने से सरकार द्वारा इस खर्च को बचाया जा सकता है। हालांकि देश को 100 फीसदी कैशलेस बनने का सपना इतना आसान नहीं होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब डिजिटल इंडिया कंसेप्ट सबके सामने रखा तो अधिकतर लोगों ने इसे असंभव बताया, लेकिन पूरा विश्व जहां डिजिटल क्रांति की तरफ बढ़ रहा है तो भारत इसमें पीछे न रह जाए इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने इसे पूरा करने की ठानी। दरअसल मोदी सरकार की मंशा है कि डिजिटल इंडिया के माध्यम से लोगों को दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इसके तहत सरकार का पहला लक्ष्य है घर-घर तक ब्रॉडबैंड हाईवे के जरिये इंटरनेट पहुंचाना। दूसरा लक्ष्य है हर हाथ को फोन देना, सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। पीसीओ के तर्ज पर पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्वाइंट पंचायतों में बनाया जाना इसका तीसरा लक्ष्य है और इसपर भी कार्य शुरू है।

डिजिटल पेमेंट

भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का कंसेप्ट सामने रखा है। डिजिटल पेमेंट को प्रचलन में लाना भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। आने वाले समय में यही फैसले एक बड़े आर्थिक रिफार्म के रूप में उभरकर सामने आयेंगे और इसके परिणाम निकट भविष्य में देखे जा सकेंगे।

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