कांग्रेस का मूडीज़ के भारत के रेटिंग्स अपग्रेड का बेतुका और घटिया विरोध

कांग्रेस मूडीज़

राजनैतिक ज्ञान, आर्थिक समझ और सामान्य जागरूकता के एक निराले शो में, कांग्रेस ने मूडीज़ द्वारा भारत की रेटिंग “Baa3” से “Baa2” में सुधार किये जाने  पर जो दांव खेला, वो कांग्रेस को ही उल्टा पड़ गया। कांग्रेस ने मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने मूडीज़ को खरीद लिया है इसीलिए मूडीज़ ने भारत को अच्छी क्रेडिट रेटिंग दी है।

वास्तविकता यह है कि मूडीज़, विश्व की तीन सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसियों में से एक है न कि कोई दोयम दर्जे की घटिया रेटिंग की दुकान, लेकिन ये कांग्रेस के लिए मायने नहीं रखता क्योंकि कांग्रेस का विपक्ष धर्म उन्हें यही सिखाता है कि हर एक चीज की आलोचना करो भले ही आखिर में आप खुद गधे साबित हो जाओ। हालांकि रेटिंग एजेंसियों की ख्याति वर्ष 2007 के सब-प्राइम संकट के बाद कम हुई, लेकिन उसके बावजूद भी मूडीज़ विश्व की सबसे सम्मानित रेटिंग एजेंसियों में से एक है। कांग्रेसी नेताओं के मुंह बंद कराने के लिए रेटिंग एजेंसी मूडीज़ को अपने विस्तृत रैंकिंग तंत्र और तर्कों के साथ सामने आना पड़ा और ये बताना पड़ा कि क्यों उन्होंने भारत की रेटिंग में सुधार किया? हालांकि एक और रेटिंग एजेंसी “S&P” ने भी वर्तमान रेटिंग निकाली है, उन्होंने अगले दो वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में व्यापक सकारात्मक टिप्पणी की है और यह उम्मीद की जा रही है कि वे भी रेटिंग में और सुधार करेंगे। ये एक बार की घटना नहीं है, कांग्रेस ने पहले भी भारत के लिए अनुकूल दृष्टिकोण देने पर विश्व बैंक और आई.एम.एफ. भी पर निशाना साधा है। कांग्रेस जानबूझ कर उन्ही संस्थानों पर निशाना साधती है जो भारत के बारे में अनुकूल टिप्पणी देते हैं। उदहारण के तौर पर कुछ समय पहले तक कांग्रेस के लिए विश्व बैंक की व्यापार करने में सहजता की रेटिंग मुद्दा थी और अब उनके लिए मूडीज़ द्वारा भारत की रेटिंग को बढाया जाना एक मुद्दा है।

एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते (अगर उन्हें लगता है कि वही सब कुछ हैं) उन्हें गरीबी, भ्रष्टाचार, शिक्षा, रोजगार आदि जैसे मुद्दों पर लड़ने (बहस करने) का पूरा अधिकार है, लेकिन इन सभी मामलों पर वे संतोषजनक कार्य नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा पर कभी भी ऐसे समय पर सवाल नहीं उठाये, जहाँ भाजपा को कठघरे में खड़ा किया जा सकता था। जैसे कि भाजपा पर नोटबंदी और जीएसटी जैसे मामलों पर दबाव बनाया जा सकता था, लेकिन विपक्ष की अराजकता और  नौटंकियों ने प्रधानमंत्री मोदी की छवि को और अधिक सक्षम बनाया है। कांग्रेस ये भी पूछ सकती थी कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासी अभी भी भारत में क्यों हैं? या माओवादियों के बारे में भी पूछ सकती थी, या सार्वभौमिक नागरिक संहिता को लागू करने की कोई तात्कालिक आवश्यकता क्यों नहीं है? उन्हें इन सवालों पर लोगों का समर्थन भी प्राप्त होता। लेकिन जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं, वह कांग्रेस पार्टी है, यह वह पार्टी है जो वोटों के लिए लड़ती है, राष्ट्र के लिए नहीं।  ये मुद्दे कांग्रेस पार्टी के लिए गैर जरूरी हैं। हालांकि, जब एक प्रतिष्ठित वैश्विक संस्था ने हमारे देश के बारे में कुछ अच्छा कहा है, तो कांग्रेस ने आगे आकर न सिर्फ भाजपा पर आरोप लगाए हैं बल्कि उस संस्था को भी दोषी ठहराया है।

क्या आपने यूपीए शासन और एनडीए शासन के बीच के अन्तर पर ध्यान दिया? 2009-2014 तक अपने शासनकाल के दौरान, कांग्रेस हर बार पहले से बड़े घोटाले करते हुए सुर्ख़ियों में बनी रही । कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाले से बड़ा था, 2जी घोटाला कॉमनवेल्थ से भी बड़ा था और कोलगेट का घोटाला इन सभी घोटालों में सबसे बड़ा घोटाला था। एनडीए / बीजेपी शासन के पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान एक भी घोटाला नहीं हुआ है, जो भारत के लिए अच्छी और कांग्रेस के लिए बुरी खबर है। किसी भी वास्तविक मुद्दे की अनुपस्थिति में कांग्रेस, लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि नोटबंदी व्यर्थ थी एवं जीएसटी से समाज मैं अनिश्चितता पैदा हुई है, लेकिन वे एक साधारण तथ्य को पहचानने में नाकाम रहे हैं कि ये नीतियां हैं, घोटालें नहीं।

कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसके पास पी. चिदंबरम, जयराम रमेश और डॉ. मनमोहन सिंह जैसे तीन विश्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं, फिर भी उसके द्वारा दिये गये “विश्व बैंक नकली है और मूडीज़ जालसाज (धोखेबाज) है” जैसे बयान सिर्फ हास्यास्पद ही नहीं बल्कि निराशाजनक भी हैं। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वे इस तरह की तर्कहीन बातें करके प्रधानमंत्री मोदी ही का पक्ष मजबूत कर रहे हैं।

आज कल वे लकड़ियों और पत्थरों द्वारा लड़ने का प्रयास कर रहे हैं जैसे कि आदिमानव किया करते थे। जब आप तेजी से नीचे गिर रहे होते हैं तो आप किसी भी चीज को पकड़ने की कोशिश करते हैं भले ही वह कितनी महत्वहीन हो, इस उम्मीद के साथ कि वह आपके पतन को रोक सकता है। शायद कांग्रेस भी ऐसा ही कर रही है, लेकिन यह किसी भी तरह से उनके पतन को नहीं रोक सकता, खासकर, जब राहुल गांधी जैसा व्यक्ति पार्टी की कमान सम्भालने के लिए तैयार हो। इसके अलावा, कभी-कभी मेरे जैसे साधारण और गैर-राजनीतिक समीक्षा करने वाले व्यक्ति यह सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं कि क्या वे(कांग्रेसी) केवल भाजपा के खिलाफ हैं या अपने देश के भी खिलाफ हैं?

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