प्रधानमंत्री मोदी पर अनावश्यक हमला करने के लिए, एक नागरिक का मनमोहन सिंह को करारा जवाब

डॉ मनमोहन सिंह

प्रिय डॉ मनमोहन सिंह,

हमारे इस महान देश के एक ऐसे नागरिक के रुप में जो कुछ समय से भारतीय राजनीति का अवलोकन कर रहा है, मैं आपके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र को पढ़ने के बाद प्रसन्न महसूस कर रहा हूँ। ऐसा लगता है कि आखिरकार आपको कुछ दुख-दर्द का एहसास होने लगा है। ऐसा लगता है कि आपने अपने आपको देश के प्रधानमंत्री होने के समय जो बेहोशी का इंजेक्शन लगावाया हुआ था, शुक्र है अब आप उसके प्रभाव से बाहर आ गए हैं।

डॉ मनमोहन सिंह, आपका यह दुख-दर्द तब कहां गया था जब आप प्रधानमंत्री थे और आपकी नाक के नीचे घोटालों पर घोटाले हो रहे थे। २जी, कोलगेट, अगस्ता-वेस्टलैंड, कॉमनवेल्थ, नेशनल हेराल्ड…सूची अंतहीन है। साथ में यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कोलगेट घोटाला तो तब हुआ था जब आप स्वयं कोयला मंत्री थे। आपकी चुप्पी को विनोद राय ने अपनी पुस्तकों में बहुत अच्छी तरह से प्रलेखित किया है। आप उस समय हो रहे सभी गलत घटनाक्रमों के बारे में जानते होंगे लेकिन आपने तो मौन व्रत धारण किया हुआ था।

२००४ में आपको ७ प्रतिशत चली आ रही मजबूत अर्थव्यवस्था मिली लेकिन आपकी विकलांग नीतियों और घोटालों के कारण यूपीए सरकार ने इस विकास दर को ५ प्रतिशत पर पटक दिया। राजकोषीय घाटा ५ प्रतिशत के साथ उस समय के उच्चतम स्तर पर था। मुद्रास्फीति सर्वकालिक उच्चस्तर पर थी और हमारा विदेशी मुद्रा भंडार भी कम हो गया था। कांग्रेस ने बीजेपी पर पूंजी पतियों की पार्टी होने का आरोप लगाया है। लेकिन आज की जो एनपीए की समस्या है वह आपकी ही नीतियों का परिणाम है। जिसमें कुछ बैंकों पर बड़े कॉर्पोरेट घरानों को ऋण देने का दबाव डाला गया था यह जानते हुए भी कि ऋण वापस जमा नहीं हो पायेगा। खाद्य सुरक्षा विधेयक का क्या? यह जानते हुए भी कि अर्थव्यवस्था की स्थिति के हिसाब से यह ठीक कदम नहीं है, और आपने भी इस कदम का विरोध नहीं किया क्योंकि आप मैडम के खिलाफ नहीं जा सकते थे। आप एक दिखावटी डिग्री के साथ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री हैं। डॉ मनमोहन सिंह आप ये सब कैसे होने दे सकते थे? और जब यह सब हो रहा था तो क्या तब आपको कोई दुख या परेशानी नहीं हुई थी?

तब आपका दर्द कहाँ गया था और आपकी पीड़ा कहाँ गई थी डॉ मनमोहन सिंह, जब प्रधानमंत्री के अधिकारों का राहुल गांधी ने अपमान किया था और उन्होंने सार्वजनिक रुप से एक अध्यादेश फाड़ दिया था और उसे ‘बकवास’ करार दिया था? उसके बाद २०१४ चुनावों में जब आपने बेशर्मी से कहा था कि आप राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं। क्यों डॉ मनमोहन सिंह, क्यों?

डॉ मनमोहन सिंह, आपकी दर्द और पीड़ा तब कहां गयी थी जब आपने सार्वजनिक रुप से कहा था कि अल्पसंख्यकों का देश के संसाधनों पर पहला अधिकार है। क्या यह आपका प्रबल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण नहीं था? मैं अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं हूँ। क्यों मेरे अपने देश में मेरे साथ एक द्वितीय वर्ग के नागरिक जैसा व्यवहार किया जाता है? आपकी पार्टी में समावेश और धर्मनिरपेक्षता की बड़ी बड़ी बातों के बावजूद आपने हमेशा जाति और धर्म के नाम पर लोगों को विभाजित किया है।

आपका दुख और दर्द तब कहां था जब आपकी पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने बेशर्मी से कहा था कि २६/११ के आतंकी हमले के पीछे आर.एस.एस की साजिश’ है और यहां तक कि २६/११आर.एस.एस की साजिश’ नाम की एक पुस्तक के विमोचन में हिस्सा भी लिया था? क्या यह आपकी पार्टी द्वारा संघ को बदनाम करके अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास नहीं था? जब राहुल गांधी विकीलिक्स पर यह कहते हुए पकड़े गए थे कि भारत के लिए हिन्दू आतंकवाद, इस्लामिक आतंकवाद की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। इसका मतलब यह हुआ कि कुछ संगठन जैसे लश्कर ए तैयबा (एलईटी), इंडियन मुजाहिदीन (सिमी), जमात उद दावा (जेईएम) से बहुत खतरा नहीं है, आप इन सभी बातों और ऐसी सभी चीजों को देखते हुए भी चुप रहे।

डॉ मनमोहन सिंह, जब आपके गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद सिद्धान्त पर अपनी सहमति व्यक्त की थी, तब इन बातों पर आपको दुख और दर्द क्यों नहीं हुआ? मालेगांव विस्फोटों में स्पष्ट रूप से सिमी और लश्कर ए तैयबा जैसे कुछ कट्टरपंथी संगठनों का हाथ था। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, आपकी पार्टी ने कहानी को ही बदल दी और हिन्दू आतंकवाद के मुद्दे को उठाया और आपने वही किया जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ थे, कि आप सब कुछ जानते हुए भी चुप रहे।

जब आप और आपकी पार्टी ने २००२ के दंगों के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा गठित की गई एसआईटी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था, कि इन दंगों में मोदी की कोई भूमिका नही थी, तब क्या आप सर्वोच्च न्यायालय जैसी संस्था का उपहास नही कर रहे थे? आपने स्वयं ही एक बयान दिया था कि मोदी ने बड़े पैमाने पर हुए मुस्लिमों के नरसंहार का नेतृत्व किया है। क्या यह प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए दिया गया गैर-जिम्मेदार और अवांछित वक्तव्य नहीं था, जिसका उद्देश्य केवल मुसलमानों के बीच मानसिक उन्माद पैदा करना था? उस समय किसी ने आपके इस अनीतिपूर्ण रवैये पर आपकी शिकायत नहीं की।

डॉ. मनमोहन सिंह आपने अपने पत्र में यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी को किसी से भी राष्ट्रवाद पर प्रवचन सुनने की जरूरत नहीं है। उपर्युक्त वर्णित घोटालों के अलावा, क्या यह राष्ट्रवाद था कि जब राहुल गांधी ने जेएनयू के अराजक तत्वों का समर्थन किया था जो ‘भारत तेरे टुकड़े होगें’ का राग अलाप रहे थे? २६/११ के मुंबई हमले के बाद, जब हमारी वायु सेना सर्जिकल स्ट्राइक के लिए तैयार थी, तब यह आपकी ही सरकार थी जिसने इस ऑपरेशन को अपनी नामंजूरी दी थी। क्या यह राष्ट्रवाद था? आप इसके बारे में क्या कहना चाहेंगे कि जब राहुल गांधी ने डोकलाम संकट के दौरान चीनी राजदूत के साथ बैठक की थी? और आप मणिशंकर अय्यर के बारे में क्या कहना चाहेंगे, जिन्होंने  सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान में कहा था कि “इनको हटाइए और हमें लाइए”? क्या यह राष्ट्रवाद था? टाइम्स नाउ और रिपब्लिक ने नियमित तौर से यूपीए सरकार से संबंधित कुछ नए खुलासे किए हैं, जैसे कि आतंकवादी सफदर नागौरी टेप मामला। तब आपने जो भी किया वह राष्ट्रवाद तो बिल्कुल भी नहीं था।

पहले यूपीए सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) की अवधारणा प्रस्तुत की थी, लेकिन यह बिल एक लम्बें समय तक संसद में सड़ता रहा और जब आखिरकार यह मामला प्रकाश में आया तो आपने सरकार द्वारा आमंत्रित किए जाने के बावजूद इसके लॉन्च में शामिल न होने का फैसला किया। लेकिन आपकी पार्टी तो लोगों के दिमाग में बीजेपी की गलत तस्वीर देने और उनके खिलाफ डर पैदा करने में व्यस्त है कि यह एक दोषपूर्ण जीएसटी या गब्बर सिंह टैक्स है, जबकि आपने तो एक एकल दर की कल्पना की थी। क्या आपको वास्तव में ऐसा लगता है कि एक हवाई चप्पल और एक ऑडी कार पर एक जैसा कर लगाया जाना चाहिए? अगर हाँ, तो हम उस मास्टर अर्थशास्त्री से सुनना चाहते हैं कि कर की दर क्या होनी चाहिए? क्या आप इस बात से सहमत होंगे कि आपकी पार्टी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक दोषपूर्ण जीएसटी की कहानी बना रही है?

अंत में, डॉ. मनमोहन सिंह – आप गुजरात में बीजेपी के लिए एक आसन्न हार के बारे में बात करते हैं। यह मुझे मणि शंकर अय्यर के बयान की याद दिलाता है ‘मोदी प्रधान मंत्री नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे’। किसी तरह, यदि भाग्य आपके पक्ष में नहीं जाता है और आप चुनाव हार जाते हैं, तो क्या आप भी अन्य कांग्रेसियों की तरह ईवीएम को दोष देंगे और राहुल गांधी को बचाने के लिए चुनाव आयोग की संस्था को बदनाम करेंगे? क्या आप प्रसिद्ध ब्लूटूथ सिद्धांत को प्रचारित करने की सीमा तक पहुंचेंगे? हम १८ दिसम्बर को इस मुद्दे पर आपके विचारों को जानना पसंद करेंगे।

डॉ मनमोहन सिंह, आप प्रधानमंत्री मोदी से उनके द्वारा दिए गये बयान के लिए माफी मांगने की उम्मीद करते हैं। क्या आप उन सभी अपराधों के लिए राष्ट्र से माफी मांगेंगे, जो आपने प्रधानमंत्री होने के दौरान किए थे?

आपने १९९१ के उदारीकरण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी (यहाँ यह भी उल्लेख करना ज़रूरी है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को उनकी मृत्यु के बाद भी मैडम द्वारा अपमानित किया गया था और आपने इस बार भी चुप रहने का ही निर्णय लिया था) और जब आप प्रधानमंत्री बने, तब पूरे देश को यह उम्मीद थी कि आपके जैसा उच्च शिक्षा प्राप्त और महान अर्थशास्त्री व्यक्ति हमारे देश का नेतृत्व करेगा तथा हमें और हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। लेकिन अफसोस कि राज परिवार के प्रति आपकी वफादारी ने आपके राजधर्म को अत्यधिक आच्छादित कर रखा था जिसकी वज़ह से यूपीए – २ भारत के इतिहास में एक काला अध्याय बन गया। अगर मुझे आपकी तुलना किसी से करनी हो, तो आप मेरे लिए महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह हैं, जिन्होंने अपने पुत्र को राजधर्म के ऊपर चुना।

इतिहास निश्चित रूप से आपके लिए दयालु नहीं होगा जैसा कि आप आशा कर रहे थे कि यह होगा। क्या आप राष्ट्र से माफी मांगेंगे, डॉ मनमोहन सिंह?

आपका अपना

इस गणराज्य का एक नागरिक, जो आपके उच्च स्तरीय कुशासन से बीमार और परेशान हो चुका था।

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