माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की कोशिशों के परिणाम स्वरुप भाजपा में एक बड़ा परिवर्तन आया है, जिसके कारण चुनाव के प्रति भाजपा पार्टी के दृष्टिकोण में कुछ अहम बदलाव देखने को मिले हैं। भाजपा को अब चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहने वाली पार्टी कहना गलत नहीं होगा। हालांकि भाजपा की कट्टर प्रतिद्वंदी और भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में भी परिवर्तन हुए हैं परन्तु वे भाजपा में हुए परिवर्तन के ठीक विपरीत हैं। कांग्रेस का ऐसा भी समय था जब ये कभी कोई चुनाव नहीं हारती थी लेकिन अब कुछ ऐसा है कि एक चुनाव जीतना भी मुश्किल हो रहा है। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी मात्र एक गौरवान्वित क्षेत्रीय पार्टी से ज्यादा कुछ नहीं है।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी की वर्तमान दुर्दशा के लिए राहुल गांधी के बेकार नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के विनाश के पीछे का असली कारण प्रधानमंत्री मोदी का महान व्यक्तित्व है, जो कि बड़ी ही कुशलता के साथ अपनी राजनीतिक और प्रधानमंत्री पद की भूमिकाओं को संतुलित रखते हैं और कभी भी कोई मौका नहीं छोड़ते। निश्चित रूप से, कोई भी कांग्रेस द्वारा की गई आर्थिक, सामाजिक और नैतिक स्थितियों से संबंधित गड़बड़ियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के विश्वसनीय सिपहसलार अमित शाह एक चतुर राजनीतिज्ञ हैं और उनमें जटिल चुनाव समीकरणों को जोड़ने-तोड़ने की नैसर्गिक योग्यता है।
राहुल गांधी भले ही एक अनिच्छुक राजनीतिज्ञ रहे हों, लेकिन वे एक अनिच्छुक प्रचारक बिल्कुल भी नहीं हैं। २०१२ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से राहुल गांधी कांग्रेस के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी के उत्साह की कोई सीमा नहीं है और वे अपने अभियान को सफल बनाने के लिए कुछ भी कर सकते है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक भाग्य डूबने के साथ-साथ राहुल गांधी का भाग्य भी पूरी तरह से डूब गया है। २०१७ में गुजरात चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी ने भाजपा के सिर से मुख्यमंत्री का ताज छीनने में अपनी पूरी ताकत लगा दी और प्रधानमंत्री मोदी को उन्ही के गृहराज्य में हराने की कोशिश की जहाँ हारने पर उन्हें सबसे ज्यादा तकलीफ हो। गुजरात चुनाव अभियान हाल के दिनों का सबसे कडवाहट भरा चुनाव रहा है। दोनों पार्टियाँ आक्रामक तरीके से एक दूसरे का आमना-सामना करने के लिए तैयार थीं। किसी को भी नहीं बख्शा गया। गुजरात चुनाव के दौरान मनमोहन सिंह से लेकर प्रधान मंत्री मोदी तक, हर किसी का मजाक उड़ाया गया और हर संभव तरीके से एक-दूसरे पर हमला किया गया। लेकिन भगवान का शुक्र है कि अब यह सब खत्म हो गया है।
गुजरात चुनाव का दूसरा चरण अब समाप्त हो गया है और मतदानकर्ता अपने एग्जिट पोल के साथ तैयार हैं। आइए देखें कि गुजरात के एग्जिट पोल के बारे में क्या अनुमान लगाया जा रहा है।
टाइम्स नाउ-वीएमआर एग्जिटपोल –
टाइम्स नाउ-वीएमआर के एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को १०९ सीटों पर जीत हासिल होगी और कांग्रेस ७० सीटें जीतेगी।
रिपब्लिक-सी वोटर एग्जिट पोल–
रिपब्लिक-सी वोटर के एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को १०८ सीटों पर जीत हासिल होगी और कांग्रेस को ७४ सीटों पर जीत मिलेगी।
न्यूजएक्स -सीएनएक्स एग्जिट पोल–
न्यूज एक्स सीएनएक्स के एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा ११० से १२० सीटें जीतेगी और कांग्रेस ६५ से ७५ सीटें जीतेगी।
न्यूज नेशन एग्जिट पोल–
न्यूज नेशन के एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को १२४ से १२८ सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को ५२ से ५६ सीटें मिलेंगी।
जी न्यूज का एग्जिट पोल–
जी न्यूज एक्सेस के एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा को ९९ से ११३ सीटों पर जीत हासिल होगी और कांग्रेस को ६८ से ८२ सीटों पर जीत हासिल होगी।
टूडेज चाणक्य एग्जिट पोल–
टूडेज चाणक्य एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को १२४ से १४६ सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को ३६ से ५८ सीटें मिलेंगी।
इसलिए, भाजपा का गुजरात में जीतना तो तय दिखता है, अब यहां पर एक ही प्रश्न शेष बचता है कि जीत का फासला कितना रहेगा।
अधिकांश ओपिनियन पोल्स ने बीजेपी को ४५-४९ प्रतिशत वोट शेयर दिया है और कांग्रेस को ३३-३६ प्रतिशत वोट शेयर दिया है। हम फर्स्ट-पास्ट-फर्स्ट-पोस्ट चुनावी पद्धति का पालन करते हैं, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक वोट पाने वाला व्यक्ति ही चुनाव जीतता है और वही उस क्षेत्र का विधायक भी बनता है। दो पार्टी की स्थिति में, एक पार्टी के लिए आम तौर पर स्पष्ट जनादेश होता है। २०१२ में गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ३८.९ प्रतिशत वोट शेयर के मुकाबले भाजपा का ४७.९ प्रतिशत वोट शेयर था जो क्रमानुसार ६१ और ११५ सीटों में बदला था। केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी ने (जीपीपी) ने ४ प्रतिशत वोट शेयर के साथ मामूली वोटकटवा की भूमिका निभाई थी। केशूभाई पटेल एक बार फिर भाजपा के साथ हैं। २०१२ के चुनाव में शरद पवार की एनसीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था और २ सींटों पर जीत हासिल की थी। इसबार के चुनावों में उनकी कांग्रेस से वार्ता विफल रही और एनसीपी ने ७२ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। शंकरसिंह वाघेला कांग्रेस का वोट काटेंगे, इसकी पूरी गारंटी है। इन सभी पहलुओं को देखा जाए तो तथ्य यह माना जा सकता है कि गुजरात राज्य में हर जगह भगवा ही फहराएगा।
सुनने में अटपटा लग सकता है, पर मैं इस बार भाजपा के लिए १४७±३ सीटों का अनुमान लगाता हूँ।
कांग्रेस ४० सीटों से ज्यादा का आंकड़ा पार करने में सक्षम नहीं होनी चाहिए। लेकिन गुजरात के मतदाताओं ने पहले ही अपने मत का प्रयोग कर लिया है। आइए देखें कि १८ दिसंबर की सुबह क्या खबर लाती है।