गुजरात चुनाव में भाजपा को मिली जीत के बारे में यह कहा गया कि भाजपा को प्राप्त परिणाम ‘बहुत अच्छे नहीं’ हैं। न केवल कांग्रेस बल्कि अधिकांश मीडिया हाउसों ने भी इन परिणामों को कांग्रेस के लिए एक बड़ी नैतिक जीत के रूप में चित्रित किया और कहा कि नरेंद्र मोदी की यह जीत उनके कवच पर एक दरार के समान है। गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अधिकांश अखबारों ने गुजरात चुनाव के नतीजों को कांग्रेस के लिए एक नैतिक विजय या नवसर्जन के रूप में चित्रित किया (“नवसर्जन गुजरात” कांग्रेस गुजरात अभियान की टैगलाइन थी)।
गुजरात चुनाव से प्राप्त परिणामों के एक दिन बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी के पास विश्वसनीयता की समस्या है और राहुल गांधी ने गुजरात चुनावों में एक नैतिक जीत प्राप्त करने का दावा भी किया। राहुल गांधी मात्र इतने पर ही नहीं रुके और उन्होंने इस बारे में ट्वीट भी किया कि “मोदीजी का जो विकास मॉडल है, उसे गुजरात के लोग नहीं मानते, वो अंदर से खोखला है। मोदीजी की विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा सवाल उठ गया है। वो जो कह रहे हैं, उनका संगठन उसे दोहरा रहा है, लेकिन देश उसको सुन नहीं रहा।”
मोदीजी का जो मॉडल है, उसे गुजरात के लोग नहीं मानते, वो अंदर से खोखला है। मोदीजी की credibility पर बहुत बड़ा सवाल उठ गया है। वो जो कह रहे हैं, उनका संगठन उसे repeat कर रहा है, लेकिन देश उसको सुन नहीं रहा। https://t.co/VcuBlIYZeM
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 19, 2017
लेकिन वास्तविक तथ्य (डेटा) राहुल गांधी के नैतिक विजय के दावे के साथ सहमत नही है, आइए इन तथ्यों की समीक्षा करें –
• भाजपा ने 2012 में 115 सीटें जीती थीं जिसमें उसने अपनी 81 सीटें बरकरार रखीं। जबकि कांग्रेस 61 सीटों में से केवल 42 सीटों को ही बरकरार रख सकी। इस प्रकार भाजपा का सीटें बरकारार रखने का प्रतिशत 70.43 प्रतिशत रहा और कांग्रेस के लिए ये प्रतिशत 68.85 प्रतिशत रहा। इस प्रकार आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में भी लोगों ने भाजपा पर वैसा ही विश्वास दिखाया जैसा उन्होंने पिछले चुनाव में दिखाया था।
• इतना ही नहीं ये 81 सीटें, जो भाजपा ने बरकरार रखीं, में से 48 सीटों पर भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। जो कि बरकरार रखी गयी सीटों का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है। मोटे तौर पर देखा जाए तो, इन 48 सीटों पर जीत का यह अंतर 11.5 लाख वोट से अधिक है (गुजरात में कुल मतदान का लगभग 3.8 प्रतिशत)। इसलिए, न केवल लोगों ने भाजपा में विश्वास दिखाया है बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि भाजपा चुनावों में शानदार अंतर के साथ विजय हासिल करे।
• 33 सीटों में से 17 सीटें जो भाजपा कांग्रेस से हार गई, उनमें भी जीत का अंतर 5000 वोटों से कम था।
• 16 में से 10 सीटें भाजपा ने कांग्रेस से छीनी हैं और 2012 के मुकाबले भाजपा को कांग्रेस से बेहतर अंतर से जीत प्राप्त हुई है।
• कांग्रेस के द्वारा जीती हुई 77 सीटों में से 11 सीटों की जीत का अंतर नोटा वोटों की संख्या से भी कम था।
• मोटे तौर पर, हर 2 गुजराती वोटर में से 1 ने भाजपा पर भरोसा किया है, जो भाजपा का वोट शेयर दर्शाता है, जो 2012 में 47.85 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 49.1 प्रतिशत हो गया।
• भाजपा के 20 उम्मीदवारों ने 50,000 से अधिक वोटों के अंतर के साथ चुनाव जीता है। जबकि कांग्रेस का केवल एक उम्मीदवार ही इस उपलब्धि को 50776 वोटों के साथ हासिल कर पाया।
इन तथ्यों (डेटा) और मतदान पैटर्न का विश्लेषण करने के बाद, कोई मूर्ख ही होगा जो इसे कांग्रेस की नैतिक जीत कहेगा।
वास्तविकता ये है कि कांग्रेस ने 2017 के गुजरात चुनाव में एक अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाबी हासिल की, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने वहाँ जातिगत खेल खेला। तथ्य यह साबित करते हैं कि गुजरात के लोगों ने भाजपा को फिर से सत्ता में लाने के लिए अधिक प्रेम और अधिक वोट दिए हैं। कांग्रेस को अपने भाग्यशाली सितारों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि वे अपने जाति के खेल में कामयाब रहे, अन्यथा कांग्रेस 2012 में जीती हुई 61 सीटों में से 30 सीटों पर ही सिमट जाती।
स्रोत: ये डेटा चुनाव आयोग की आधिकारिक परिणाम वेबसाइट http://eciresults.nic.in/ से 19-12-2017 को रात्रि 10:00 से रात्रि 10:30 के बीच संकलित किया गया है।