भारत ने लगायी वैश्विक समृद्धि सूचकांक 2017 में चार पायदानों की छलांग

वैश्विक आर्थिक समृद्धि सूचकांक भारत

एक छोटे से विराम के बाद, भारत आर्थिक विकास के मोर्चे पर कुछ प्रभावशाली आँकड़े दर्ज कर रहा है। कांग्रेस के कुशासन के एक दशक बाद नागरिक आश्वस्त हैं कि देश की अर्थव्यवस्था अब सही रास्ते पर आ गई है। कांग्रेस को जब सत्ता मिली, तब ये 8+ जीडीपी की विकासशील अर्थव्यवस्था थी जिसे उन्होंने इसे 4 के नीचे के स्तरों तक गिरा दिया। नरेंद्र मोदी की सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि लाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।

विश्व बैंक की कारोबार करने में सहजता की रैंकिंग में आसानी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सकारात्मक बयान और मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग में किए गए सुधार के बाद भारत ने इस साल एक और प्रभावशाली उपलब्धि हासिल की है। लेगाटम वैश्विक आर्थिक समृद्धि सूचकांक 2017 के अनुसार भारत 4 रैंक ऊपर पहुँच गया है।

समृद्धि के 9 मानक जो देश के की समृद्धि दर्शाते हैं, इनमें से 3 में भारत ने बड़ी वृद्धि दर्ज की है। जीएसटी और अन्य वित्तीय सुधारों के कारण शासन, आर्थिक गुणवत्ता और कारोबारी माहौल अधिक अनुकूल बन गया है। दिवालियापन कानून में परिवर्तन और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के अधिकार सम्बंधित कानूनों में सुधार ने इसे और मजबूती दी है। जैसा कि पहले उल्लेख हुआ है कि विश्व बैंक द्वारा व्यापार में सहजता की रैंकिंग में भारत ने 30 स्थानों की छलांग लगाई है, जिससे कि भारत बड़े निवेशकों को निवेश करने के लिए एक बहुत ही अनुकूल स्थान बन गया है।

प्रभावी शासन हमेशा से ही भारत की कमजोर कड़ी रहा है। भारत जैसे बड़े देश में, समाजवाद, नौकरशाही, रिश्वतखोरी जैसे मामलों को समाप्त करना कठिन मामला था। तथ्य यह है कि कांग्रेस शासन के 50 से ज्यादा वर्ष, कुशासन का पर्याय ही रहे हैं। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और ख़राब सामान्य नीतियों ने शासन को और भी अधिक कठिन बना दिया। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, कांग्रेस के घटिया शासन पर से हमला किया और प्रभावी शासन को अपने 2014 के अपने सफल चुनाव प्रचार का महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया था। 2014 के आम चुनाव में प्रचार करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने “मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस” का विचार प्रस्तुत किया था और वह अपने इस किए गए दावे को वास्तविकता में बदलने के लिए प्रयासरत रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ जैसी योजना को शुरू से भारत के अर्थतंत्र को और अधिक बल मिला है।

वैश्विक आर्थिक समृद्धि सूचकांक 2017 के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत ने कारोबारी माहौल में दूसरी सबसे बड़ी छलांग दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर भारतीय रहन-सहन के अपने स्तर और पारिवारिक आय से संतुष्ट हैं। स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मुद्रा बैंक और मेक इन इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं ने भारत की उद्यमी शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि चीन ने प्रतिस्पर्धा के कम प्रोत्साहन, व्यापार में अधिक बाधाओं और प्राथमिक शिक्षा की कमी के कारण इस क्षेत्र में गिरावट दर्ज की। चीन 90वें स्थान पर था। चीन का नुकसान, भारत का फायदा है, ये कहना बेमानी नहीं होगा!

भारत में आतंकवाद के निर्यात के लिए प्रसिद्ध पाकिस्तान, वैश्विक समृद्धि सूचकांक पर 137 वें स्थान पर रहा है क्योंकि इसने लगभग हर क्षेत्र में विशेष रूप से व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सुरक्षा और प्राकृतिक पर्यावरण में खराब प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि, “भारत ने 2012 में चीन और अपने अन्तर को एक चौथाई तक कम कर दिया है”। यह कीर्तिमान हासिल करना, उत्कृष्ट प्रशासन और जमीनी स्तर पर नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को दर्शाता है।

मोदी सरकार के दो बड़े प्रयोगों जीएसटी और विमुद्रीकरण ने अर्थव्यवस्था पर प्रतीक्षित सकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। जीएसटी ने भारत के अजीब सी कर-व्यवस्था को एकीकृत किया और राजस्व उपयोग की गुणवत्ता में सुधार किया एवं विमुद्रीकरण ने दुनिया भर में साबित कर दिया कि भारत ने काले धन को जीवनयापन का एक तरीका मानने से इनकार कर दिया है और कांग्रेस युग की यह दें अब समाप्त होने की ओर अग्रसर है।

वैश्विक समृद्धि सूचकांक रैंकिंग पूरी तरह से स्पष्ट करती है कि मोदी सरकार राष्ट्र को अच्छे दिन देने का अपना वादा पूरा करने में सक्षम हो रही है और भारत को सफलतापूर्वक अधिक ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए अग्रसर है।

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