2018 में होगा हिन्दुओं को तोड़ने का षडयंत्र, क्या आप इसे हरा सकते हैं?

भीमा कोरेगांव हिंसा

1 जनवरी को दलित संगठन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों के शौर्य दिवस को हर साल धूमधाम से मनाते हैं। नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई को 200 वर्ष पूर्ण होने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था लेकिन ये कार्यक्रम हिंसक झड़प में तब्दील हो गया जिसमें 50 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 150 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई। इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और इलाके में तनाव फैल गया । अब इस तनाव ने पूरी तरह राजनीतिक रूप ले लिया है। कुछ अराजक तत्व पुणे और महाराष्ट्र समेत पूरे देश को जातीय हिंसा की आग में झोंकने के लिए उतारू है। 200 साल तक अंग्रेजों ने इसी तरह हमें आपस में बाँट कर राज किया था लेकिन अब 70 वर्ष बाद भी अपने ही देश के भीतर छुपे गद्दार अपनी राजनीति चमकाने के खातिर देश को पहले धर्मों में बांटा और जब उसमें सफलता हासिल नहीं कर पाए तो अब जातियों में खंड-खंड बांटना चाहते है।

यह घटना को जिस तरह पेशवाई-बनाम दलित का रूप दिया जा रहा है यह हमारे समाज के लिए ही नहीं देश के लिए भी बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। अम्बेडकरवाद का झंडा उठाये जो लोग ऐसी अप्रिय घटनाओं को अंजाम दे रहे है दरअसल इन फर्जी आंबेडकरवादियों को न दलितों से कुछ लेना देना है, न ही आंबेडकर के विचारों से और न देश की एकता और अखंडता से, इन्हें अपनी राजनीति चमकानी है और इसके लिए यह लोग हर संभव प्रयास करेंगे। सोचने वाली बात यह है अगर ब्राह्मणों को इसका विरोध ही करना होता तो 200 सालों तक इसका इन्तजार करने का क्या कारण हो सकता था। ऐसा क्या हुआ की 200 वर्षों में पहली बार ब्राह्मणों ने इसका विरोध किया है और उन्हें यह अपमानित लगा हो। इस बात को जातीय हिंसा से ऊपर उठकर देखना और समझना होगा।

पहले धर्मों में बांटा, अब हिन्दुओं को जातियों में तोड़ने का है पूरा षड्यंत्र  

इस जातीय दंगे के पीछे की राजनीतिक चाल को समझने की जरूरत है। 2014 के पहले तक देखे तो देश में हिन्दू समाज बंटा हुआ था। कांग्रेस 70 वर्षों में जातिवाद का जहर घोल चुकी थी और आगे भी इसे जारी रखना चाहती थी। समाज को जातियों में बांटे रखना चाहती थी। उधर मुसलमान को तुष्टिकरण से बांध कर उन्हें एकजुट कर पूरा फायदा ले रही थी। ऐसे में हिन्दुओं में फूट होने के कारण वोट बंट जाता था यही कारण था की 18 प्रतिशत की आबादी के बावजूद सभी पार्टियाँ मुस्लिम समाज के तुष्टिकरण में पलकें बिछाए रहती थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ कांग्रेस के जातिवाद के गढ़ में सेंध लगनी शुरू हुई जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और पूर्ण बहुमत की सरकार बनायीं। इस बहुमत के पीछे का सबसे बड़ा कारण था हिन्दू एकता।

यह जानते है की अगर हिन्दू एक हुआ तो यह ताकतें 2019 में नेस्तनाबूद हो जायेगी इसीलिए 2-3 साल की एकता से ही देशविरोधी ताकतें बिलबिलाने लगी है। इनका बिलबिलाना ही है जो असहिष्णुता, अवार्ड वापसी, रोहित वेम्मुला, ऊना काण्ड, भारत तेरे टुकड़े होंगे, जाट आन्दोलन, गुजरात पटेल आन्दोलन निकलकर आ रहे है वरना आज तक देश को इसकी जरूरत नहीं लगी। यह तो शुरुआत है आगे इनके हमले और भी भयानक होंगे लेकिन ऐसे वक्त में टूटने की बजाये और मजबूती से ऐसे देशविरोधी, समाज विरोधी तत्वों का मुकाबला करना होगा।

हिन्दुओं पर है बड़ी जिम्मेदारी, जात-पात से ऊपर उठकर एक होना होगा   

2019 में देश में आम चुनाव है उसके पहले का साल यानी 2018 देश की राजनीति में एक बहुत ही निर्णायक भूमिका निभाएगा यही वो साल है जब देश बड़े ऐतिहासिक फैसले का साक्षी होगा। राममंदिर, ट्रिपल तलाक, हर गाँव बिजली जैसे बरसों से अटके फैसले पर मुहर लगेगी देश एक नए मुकाम को हासिल करने की दिशा में कदम रखेगा। भारत एक बार विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन कुछ देशविरोधी ताकतें इस दिशा से सरकार का ध्यान भटकाने के लिए समाज को तोड़ने की पुरजोर कोशिश करेंगी। आपको अंदाजा ही नहीं है आपका पाला किन लोगों से पड़ा है। 2019 में अगर यह हारे तो नेस्तनाबूद हो जायेंगे। उस हार को रोकने के लिये यह हर चीज करेंगे। इतना नीचे गिरेंगे जिसका अंदाजा मुमकिन नहीं। देशविरोधी शक्तियां आपसे ज्यादा तैयारी से उतरी है बल्कि वह आपसे आगे चल रहे है। गुजरात में जो हुआ वो मात्र एक झांकी थी और इस परीक्षा में उन लोगों को एक उम्मीद जागी है की जातियों में बांटना ही उन लोग के पास एकमात्र विकल्प बच गया है। तो वे आने वाले दिनों में समाज पर और ज्यादा ताकत से हमला करेंगे। जातीय आन्दोलन होंगे। ब्राह्मण, दलित, राजपूत, पटेल, मराठा, जाट, गुज्जर, पिछड़ा-अगड़ा सबको एक दूसरे खिलाफ भड़काया जाएगा। हिन्दुओं को तोड़ने का बहुत बड़ा षड्यंत्र है इसे समय रहते ही समझने की आवश्यकता है और समय बहुत ही कम है।

ऐसे मौके पर देश का सबसे बड़ा समाज होने के नाते हिन्दुओं पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है की उसे देश विरोधी ताकतों के खिलाफ ऐसे मुश्किल पलों में एक होकर समाज को बांधे रखने का दायित्व है। ऐसी ताकतों को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है। आपस में लड़ने की बजाये ऐसी ताकतों से लड़ने की जरूरत है।

भीमा कोरेगांव में वो हुआ जो 200 वर्षों में नहीं हुआ था वो भी जातीय हिंसा के नाम पर तो इशारा साफ़ है।

देश को तोड़ने की इस साजिश को नाकाम करने के लिए सबसे जरूरी है की समाज को एक सूत्र में बांधे रखना और उसके लिए जरूरी है जात पात से ऊपर उठकर सोचना होगा। भले ही हमारे आपस में अनेकों मतभेद हो सकते है लेकिन जब देश की बात आती है तो राष्ट्र धर्म ही हमारा धर्म होना चाहिए। और राष्ट्र को बचाने के लिए सबको आगे आना चाहिए। जो लोग भारत के टुकड़े होने के सपने सजाये बैठे है वही लोग आज हमें आपस में लड़ा रहे है तो हमें भी अपनी एकता का परिचय देना होगा। ऐसे अराजक तत्वों को मुँहतोड़ जवाब देना होगा सभी हिन्दुओं को इसके लिए कमर कसने की आवश्यकता है की दूसरा भीमा कोरेगांव दोहराने की हिम्मत न कर सकें।

Exit mobile version