शत्रुघ्न सिन्हा छोड़ सकते हैं बीजेपी, बहुत ही बढ़िया निर्णय

शत्रुघ्न सिन्हा

कुछ लोग अपने उपनाम से ज्यादा मशूहर होते हैं। जैसे शत्रुघ्न सिन्हा जो अपने नाम से ज्यादा अपने उपनाम शॉटगन व जुबानी ‘शॉट्स’ के लिए जाने जातें हैं।  उनकी विचित्रता शायद उनके आत्मविश्वास में है जो अभिनेता के रूप में उनके व्यक्तित्व को काफी आकर्षक बनाती है। बिहार के इस अभिनेता ने पुणे में फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में अभिनय का अध्ययन किया था, ग्लैमर की दुनिया में जुड़ने के लिए उन्होंने किताबों का सहारा नहीं लिया। हालांकि, वह इंडस्ट्री में अपने आकर्षण की वजह से अपने प्रशंसकों से जुड़ते चले गए।

शत्रुघ्न सिन्हा की आत्मकथा का नाम भी सही रखा गया था,एनिथिंग बट खामोश, ये किताब जब वर्ष 2016 में प्रकाशित हुई थी तब खूब चर्चा में थी। खुले विचारों वाले इस विरोधाभासी अभिनेता की आत्मकथा और बेहतर हो सकती थी, अगर वह अपने विचारों को थोडा और संजीदगी से रखते। शत्रुघ्न सिन्हा हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी टिपण्णीयों की वजह से चर्चा में रहे हैं। बड़ी आश्चर्य की बात है कि सिन्हा ने बीजेपी को अभी तक नहीं छोड़ा पिछले कुछ सालों से सिन्हा अपनी ही पार्टी की लगातार आलोचना करते रहे हैं इसके बावजूद उनका पार्टी में बने रहना यही जाहिर करता है कि वो पार्टी को अपने पक्ष में करने का इन्तजार कर रहे हैं।

मोदी-शाह की जोड़ी ने उनपर ध्यान न देने के विकल्प को चुना, इसके बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा ने जब भी मौका मिला पार्टी की आलोचना की, बीजेपी ने न ही उन्हें पार्टी से निष्कासित किया और न ही इस संबंध में कोई नोटिस दिया। पार्टी ने उन्हें चुप रहकर इसका जवाब दिया और उन्हें दरकिनार कर दिया। मोदी-शाह की जोड़ी ने उन्हें बर्खास्त नहीं करके उन्हें पीड़ित और शहीद कार्ड खेलने की अनुमति नहीं दी। 2017 के अंत में, शत्रुघ्न सिन्हा को जेडी(यू) के निलंबित राज्यसभा सांसद अली अनवर अन्सारी के पुस्तक लांच के समारोह में देखा गया था। जेडी (यू) के सांसद शरद यादव और वरिष्ठ सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी की अगुवाई में सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ‘चायवाला’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए  हंसी उड़ाई थी  और ‘टीवी अभिनेत्री’ स्मृति ईरानी पर निशाना साधा था जो वर्तमान समय में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री पद को संभालती हैं। इस दौरान शॉटगन ने अरुण जेटली का भी मजाक बनाया था। ये विडंबना और दुःख की बात है कि स्वयं एक कलाकार होकर उन्होंने स्मृति ईरानी के कलाकार होने को लेकर आलोचना की थी।

शत्रुघ्न सिन्हा ने नोटबंदी, जीएसटी को लेकर सरकार पर हमला बोला था और हाल ही में नीरव मोदी भ्रष्टाचार मामले में भी सवाल खड़े किये। एक जागरूक सांसद हमेशा लोकतंत्र के लिए अच्छे कार्य करता है, हालांकि, ये सभी यही सवाल खड़े करते हैं कि वह जब बीजेपी की नीतियों से संतुष्ट नहीं है तो आखिरकार वह बीजेपी से अभी तक क्यों जुड़े हैं?

लेकिन अब एक खबर आई है जो स्वागत योग्य है। वनइंडिया की इस रिपोर्ट के मुताबिक अभिनेता व नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि वह बीजेपी को छोड़ कर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वह स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं।

टाइम्स नाऊ से बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, “मेरे पास दूसरी पार्टियों से प्रस्ताव हैं। मेरे लिए इस बात का कोई मतलब नहीं है कि मैं अपनी पार्टी, किसी और पार्टी या निर्दलीय तौर पर जनता की सेवा करूं।” बीती रात बीजेपी के सांसद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात की थी।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सिन्हा ने कहा,  “चूंकि वो मेरे लोग हैं इसलिए मैं बाहरी लोगों के सामने उनके खिलाफ नहीं बोल सकता। मेरी पार्टी को पता है कि इससे मुझे दुख होता है और ये सिर्फ आज की बात नहीं है बल्कि तब से जब से ये सरकार बनी है।”

बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा का इलाज ख़ामोशी से किया और 2019 के चुनावों में उन्हें फिर से मैदान में उतारने की सम्भावना भी कम है, सिन्हा जो कभी पर्दे पर बेहतर अभिनय के लिए प्रसिद्ध थे, खुद ही अपने बड़े बोल की वजह से बुरी तरह से धरातल पर आ गए हैं!

हमारा यही मानना है सभी बीजेपी समर्थकों को शत्रुघ्न सिन्हा के बीजेपी छोड़ने के फैसले को समर्थन देना चाहिए। यह उनकी और पार्टी दोनों के लिए अच्छा है। हो सकता है कि शत्रुघ्न जी को किसी अन्य पार्टी से पटना साहिब का टिकट फिर से मिल जाये और बीजेपी को अपनी ही पार्टी विरोधी बयानबाजीकरने वाले एक नेता से छुटकारा!

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