डाटा लीक करने के आरोपों के बाद हटाया गया सिद्धारमैया एप

सिद्दारमैय्या का ऐप

कांग्रेस पार्टी घोटालों में लिप्त होने की वजह से निगरानी में है, हालांकि, अब पार्टी के रास्ते में एक नयी रुकावट ने झटका दिया है। कांग्रेस ने जनता की निजी जानकारियों के साथ समझौता किया था। फ्रेंच सिक्योरिटी रिसर्चर बेपटिस्ट रॉबर्ट के एक ट्वीट के जरिये इस बात का खुलासा हुआ था जिसमें दिखाया गया था कि कांग्रेस के एप ‘With INC’ का सर्वर सिंगापूर में स्थित है। भारत की एक राजनीतिक पार्टी के अधिकारिक एप का सर्वर सिंगापूर में होना सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढाता है। कांगेस पहले ही शर्मिंदगी झेल रही थी,  पीएम मोदी के नमो एप पर लगाये गए झूठे आरोपों के बाद कांग्रेस को गूगल प्ले स्टोर से अपने एप को हटाना पड़ा था।

हाल ही में, ब्रिटिश संसद में कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर व्हिसलब्लोअर ने कहा था कांग्रेस उनकी पूर्व क्लाइंट थी, और माना जा रहा है कि वह बड़े तौर पर निजी डाटा को साझा करती थी।

इस बार भी कांग्रेस द्वारा डाटा चोरी करने का मामला प्रकाश में आया है। ट्विटर पर तेजी से फ़ैल रही इस खबर के मुताबिक कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के एप से नागरिकों की निजी जानकारी को एक प्राइवेट कंपनी के साथ साझा किया गया है

सिद्धारमैया के एप का संचालन कर्नाटक सरकार करती थी जबकि नमो एप का संचालन भारतीय जनता पार्टी करती है। माना जाता है कि नागरिकों के साथ डिजिटल रूप से जुड़ने के लिए इस एप को पिछले साल 31 अक्टूबर को लांच किया गया था। इस एप के माध्यम से टैक्सदाताओं के पैसे से सिद्धारमैया का जमकर प्रचार हुआ। यह शर्म की बात है कि कैसे कर्नाटक सरकार द्वारा संचालित और कर्नाटक के लोगों द्वारा वित्तपोषित एप को ‘सिद्धारमैया एप’ का नाम दिया गया। यह देश की संपत्ति पर स्वामित्व का अधिकार जताने की कांग्रेस की विचारधारा को उजागर करता है। चूंकि यह सरकार का अधिकारिक एप है तो इसका नाम मुख्यमंत्री का एप रखना चाहिए था क्योंकि सिद्धारमैया की सरकार अस्थायी है और ऐसे में उनके कार्यकाल के बाद इस एप का नाम का कोई अर्थ नहीं रह जाता। हालांकि, इस एप से एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है। एक आम नागरिक के ट्वीट के मुताबिक, सिद्धारमैया  एप के यूजर्स की निजी जानकारी एक प्राइवेट कंपनी को साझा की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार डाटा को https की जगह  http के रूप में भेजा जाता था। जिस सर्वर से डाटा को साझा किया जाता था उसे अमेज़न होस्ट करता है। ये बात सामने आयी है कि यूजर्स की निजी जानकारी जैसे उनके फ़ोन, नंबर डिवाइस धारक का नाम एक प्राइवेट कंपनी की वेबसाइट  http://citizenoutreachapp।in/ को भेजी जाती थी।  इस एप की सबसे चौंकाने वाली बात जो सामने आयी है वह यह है कि इसकी कोई प्राइवेसी पॉलिसी है ही नहीं। यदि यूजर्स इसे एक्सेस करने की कोशिश भी करता था तो सिद्धारमैया एप के प्राइवेसी पॉलिसी पर क्लिक करने पर “Error 404” दिखाता था। इस मामले के सामने आने के बाद सिद्धारमैया ऐप को हटा दिया गया।

हालांकि, इस गंभीर मुद्दे पर न ही कांग्रेस ने और न ही सिद्धारमैया सफाई देने के लिए सामने आये। ये अपमानजनक है कि एक मुख्यमंत्री जो सबसे पहले जनता के पैसों का इस्तेमाल चुनाव में अपने निजी प्रचार के लिए करता है और फिर इस तरह के एप (टैक्स देने वाली जनता के पैसों से बनाई गयी और सरकार द्वारा संचालित की गयी) का इस्तेमाल नागरिकों की निजी जानकारी को साझा करने के लिए करता था। एक राज्य अपने नागरिकों के डाटा और निजता का रक्षक होता है। हालांकि, इस ममाले में खुद सरकार ही रक्षक की जगह भक्षक बन गयी। अपने गलत इरादों को पूरा करने के लिए नागरिकों के निजी डाटा के साथ समझौता किया गया।  बीते समय में कांग्रेस के भ्रष्टाचार और घोटाले उजागर हुए हैं जोकि वह अपने हर शासनकाल में करती आयी है, यहां तक कि इस दौरान देश की सुरक्षा को भी ताक पर रखा गया। हालांकि, ऐसा लगता है कि विवादित पार्टी समय के साथ तालमेल को बनाकर चल रही है और अब डिजिटल युग में नागरिकों के निजी डाटा को साझा कर राईट टू प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन कर रही है। शायद यह वह ऐसा अपने गलत इरादों से चुनाव में प्रभाव डालने या अपने दुसरे मकसद को पूरा करने के लिए कर रही है और इससे कांग्रेस की हकीकत उजागर हुई है। इस मामले के बाद से कांग्रेस-मुक्त भारत को और बढ़ावा मिला है क्योंकि कांग्रेस ने भारतीय नागरिकों को दिखा दिया है कि वह अपने फायदे के लिए किस हद तक जा सकती है।

यह तो साफ़ है कि देश के कुछ हिस्सों में अभी भी कांग्रेस का राज है जिसका मतलब है कि वह अभी भी अपने फायदे के लिए उन गलत कृत्यों में लिप्त है जो हमारे हितों को नुकसान पहुंचाता है। कांग्रेस आजादी के कई वर्षों से वही कर रही है जो देश के हित में नहीं है और अब ऐसा लगता है कि इस सूची में डाटा साझा और चोरी करने का मामला भी जुड़ गया है।

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