नोट: इस लेख की सामग्री को देखते हुए ऐसा लगेगा कि एक ओपन लैटर लिखना उचित होता। परन्तु, लेखक पाकिस्तान अथवा किसी भी पाकिस्तानी को लैटर भेजने योग्य नहीं मानता।
खुद को जनता के सामने एक पड़ोसी प्रेमी और शांति का अग्रदूत की तरह पेश करना पाकिस्तानी सेलेब्स (गायक, क्रिकेटर और अभिनेता) के लिए आम बात है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई है। पाकिस्तान एक आतंकवादी राज्य है जो अपने नागरिकों की परवाह नहीं करता है और जो भी संसाधन उसके पास है, जोकि उसे दान में मिलती है उसे सैन्य कौशल और आतंकवाद पर खर्च करता है। जाहिर है कि उसके सेलेब्स भारत में अपने आपको स्थापित करने की सोचते हैं, चाहे वह भारत और उसके नागरिकों से चाहे कितनी भी नफरत क्यों ना करें। भारत से कोई आर्थिक मदद और दान न मिलने पर वे ज्यादातर कश्मीर को लेकर भारत की छवि को खराब करने के अपनी सरकार के व्यर्थ प्रयासों का समर्थन करना शुरू कर देते हैं। शाहिद अफरीदी ने भारत में रोजगार का मौका पाने के लिए भारत के तलवे चाटने वाले आम पाकिस्तानी स्वाभाव को ही प्रदर्शित किया और जब वह इस मौके को पाने में असफल हुए तो उन्होंने भारत की आलोचना शुरू कर दी और कश्मीरियों के अधिकार के बारे में पूछने लगे। जब अफरीदी ने एक भारतीय लड़की की तस्वीर लेने के अनुरोध को स्वीकारा था तब लगा था कि उनके मन में अचानक से भारत के खिलाफ प्यार की कोंपले फूट पड़ी है।
मीडिया में छपी रिपोर्टों के अनुसार, अफरीदी ने एक भारतीय लड़की के साथ फोटो क्लिक करवाते वक्त भारत के राष्ट्रीय ध्वज को सम्मानजनक तरीके से पकड़ने और उसे ठीक से खोलने के लिए कहा था। इसके बाद अफरीदी को कुछ लोगों ने शांति का अग्रदूत बताया और बताया की उनकी दरियादिली की वजह से भारत में उनके प्रशंसक बड़े पैमाने पर हैं।
मुख्यधारा की मीडिया ने मान लिया था कि जिस क्रिकेटर का भारत के प्रति नफरत मशहूर है उसने अपनी इस अदा से भारतीयों का दिल जीत लिया है। हालांकि, यह कोई “नर्म भाव” नहीं था। दरअसल, हर वो पाकिस्तानी जो भारत से आर्थिक लाभ पाना चाहता है वह भारत के प्रति इस तरह की कृतज्ञता दिखाता है। शोएब अख्तर और वसीम अकरम इस तरह के कुछ उदाहरण हैं।
दिलचस्प बात है कि, शाहिद अफरीदी कुछ महीने पहले अचानक उपजे हुए भारत के प्रति सम्मान की भावना क्षण में भूल गये। भारत के प्रति उनकी सम्मान की भावना अब खत्म हो गयी है और अब वह नफरत और दुश्मनी में बदल चुकी है। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की जो कि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से पाकिस्तान सरकार और नागरिक हमेशा से ही करते आये हैं। पाकिस्तानी क्रिकेटर ने अब कश्मीर के हालात को लेकर एक ट्वीट साझा करते हुए आरोप लगाया है कि “भारत अधिकृत कश्मीर” (ये उनके बोल हैं) में हालात भयावह और चिंताजनक हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र से इस ममाले में हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की ज़मीन से उपजे आतंकवाद से लड़ने में भारत की मदद करे और उन्हें वापस सीमापार भेजें।
कट्टरपंथी बोल बोलने वाले अफरीदी आतंकवाद पर सयुंक्त राष्ट्र के मूक दर्शक बने होने की बात पर चकित नज़र आते है, भारत खुलेआम अपने घर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, वहीं पकिस्तान न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ लड़ने से इंकार करता है बल्कि सक्रिय रूप से आतंकवाद को बढ़ावा देता है। भारत के पूर्व ओपनर बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अफरीदी द्वारा दिए गये बयान को सही ढंग से समझाया कि शायद शाहिद अफरीदी की पागलों वाले शब्दकोष में UN का अर्थ है “अंडर नाइनटीन” है और अफरीदी इसे नॉट-बॉल पर पाए गए एक विकेट के रूप में मना रहे हैं।
Appalling and worrisome situation ongoing in the Indian Occupied Kashmir.Innocents being shot down by oppressive regime to clamp voice of self determination & independence. Wonder where is the @UN & other int bodies & why aren't they making efforts to stop this bloodshed?
— Shahid Afridi (@SAfridiOfficial) April 3, 2018
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शाहिद अफरीदी ने एक गिरगिट की तरह अपना रंग बदला है। उनकी वास्तविक मानसिकता तो हमेशा से ही भारत विरोधी रही है। कोई भी यह नहीं भूल सकता कि 2011 विश्व कप की हार के बाद उन्होंने भारत के खिलाफ कैसे जहर उगला था, जब उन्होंने कहा था कि “अगर मेरी राय के मुताबिक मुझे सच बताना हो तो, उनके (भारतीयों) के पास मुस्लिम और पाकिस्तानियों जैसा दिल कभी नहीं होगा। मुझे नहीं लगता कि उनके पास एक बड़ा और साफ़ दिल होगा जो अल्लाह ने हमें दिया है। ”
इस बयान ने उनके हिंदू विरोधी और भारत के प्रति दुश्मनी के विचार को उजागर किया था। आईपीएल शुरू होने वाला है और किसी भी पेशेवर पाकिस्तानी क्रिकेटर के पास उनके देश में कोई आर्थिक अवसर नहीं है। दरअसल, इंडियन प्रीमियर लीग से पाकिस्तानियों को उनके देश के दुराचरण के कारण बाहर रखा गया और इसने जरुर ही शाहिद अफरीदी को नाराज किया हो। वे अपने अस्तित्व के लिए पूरी तरह भारत पर निर्भर हैं। कश्मीर मुद्दे पर उनके बोल ने भारत के प्रति एक आम पाकिस्तानी की कड़वाहट को उजागर किया है। इस बयान से यह मिथक भी मिट जाता है कि पाकिस्तान का सैन्य तबका और बड़े धर्मांध संगठन भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, जबकि इसके प्रतिष्ठित नागरिक और आम नागरिक भारत के साथ शांति बनाने की चाह रखते हैं। क्योंकि जब बात भारत विरोध की हो तो हर पाकिस्तानी एक तरफ ही खड़ा नज़र आता है!
कोई ग़लतफ़हमी नहीं पाले पाकिस्तान में कोई भी भारत के साथ शांति नहीं बनाना चाहता। पाकिस्तान की कोई सांस्कृतिक पहचान नहीं है; पाकिस्तान के अस्तित्व का आधार ही भारत और हिंदुओं से नफरत करना है। हालांकि, पाकिस्तान के पेशेवरों का एक प्रमुख वर्ग बहुत चतुर है और जोड़-तोड़ वाले बोल बोलने में माहिर भी हैं। ये उन कट्टरपंथी लोगों की तरह है जो तभी तक चुप रहते हैं जब तक भारत से उन्हें लाभ मिलता है लेकिन अक्सर ही संकट के समय में अपना असली रंग दिखा देते हैं।
शाहिद अफरीदी की टिप्पणी लोगों के लिए चौंकाने वाली नहीं थी। पाकिस्तान के लोग लगातार इस तरह के प्रयासों में शामिल रहे हैं। जो बात आश्चर्यचकित करती है वो है एक पाकिस्तानी क्रिकेटर का शानदार इंग्लिश का इस्तेमाल में ट्वीट करना, क्योंकि हमने आज तक बस, “इंशाल्लाह, लड़कों ने यकीनन अच्छा खेला” ही सुना है। अंग्रेजी सुधारने के लिए अफरीदी को बधाई!