उत्तर पूर्व शायद भारत का सबसे सबसे उपेक्षित हिस्सा है। जिस छेत्र ने क्षेत्र के दीपा करमाकर, सुनील छेत्री, बाइचुंग भूटिया, एमसी मैरी कॉम, एल देवेंद्रो सिंह जैसे रत्नों को हमें दिया उसकी और कभी मुख्यधारा की मीडिया ने ध्यान नहीं दिया। यही वो मीडिया है जो मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में किसी भी दुर्घटना पर रोती हुई नजर आती है जैसे की असली भारत की पहचान मीडिया की नजरों में इन्हीं राज्यों से है। जब उनसे ये सवाल किया गया कि आखिर क्यों उत्तर पूर्व राज्यों की खबरों को कभी प्रमुखता से क्यों नहीं दिखाया तो यही मीडिया राज्य के बहुत दूर होने का बहाना बना देती थी.
पानी के निकास की उचित व्यवस्था न होने की वजह से हर साल बाढ़ इन पहाड़ी इलाकों को भारी क्षति पहुंचाती है। बंगाल्देशियों की घुसपैठ और चरम वामपंथी उग्रवाद ने उत्तर पूर्व की मुश्किलों को और बढ़ाया है, फिर भी मीडिया ने इसे अपने लिए प्रतिबंधित क्षेत्र ही माना है।
अब त्रिपुरा के नए सीएम बिप्लब देब अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में हैं। अब ध्यान देने वाली बात तो ये है कि वो मीडिया जिसने उत्तर पूर्व राज्यों की स्थिति और विकास को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई आज वही मीडिया बिप्लब देब के बयानों को उत्सुकता से 24*7 घंटे सुर्ख़ियों में दिखा रही है। यदि कोई इसकी गहराई में जाए तो उसे शायद ये समझ आएगा कि ये मीडिया के एजेंडे के अलावा कुछ भी नहीं है जो बस अपने ‘एजेंडे के लिए बिप्लब देब के बयानों को सुर्ख़ियों में प्रमुखता से दिखा रही है’(हमारा एजेंडा हमेशा उच्चा रहेगा)।
बिप्लब देव के सत्ता में आने से पहले सभी मीडिया त्रिपुरा के पूर्व सीएम माणिक सरकार के गुणगान करते नहीं थकती थी, मीडिया के अनुसार वो एक गौरवशाली नेता थे। जैसे ही 2018 के चुनावों में माणिक की हार हुई और बीजेपी ने 25 सालों बाद गैर-कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना की वैसे ही मीडिया की रूचि त्रिपुरा में बढ़ गयी।
हाल की ताजा खबरों में बिना सोचे समझे दिए गए बयानों की वजह से बिप्लब देब ने एनडीए की मुश्किलों को बढ़ा दिया और ऐसे में मीडिया इस मौके का फायदा उठाने का भरपूर प्रयास कर रही है। महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट के दावे से लेकर मिस यूनिवर्स डायना हेडन की आलोचना तक मीडिया आग में घी डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही ताकि वो इस ताजा विवाद को तोड़-मोड़ कर अपने एजेंडे के अनुरूप इस्तेमाल कर सके। यदि आपको यकीन नहीं हो रहा तो आप खुद ही देख लीजिये:-
Har ghar mein gai honi chahiye. Yahan dudh Rs 50 litre hai, toh ek gai paal le, koi graduate hai, naukri ke liye ghoomta rehta hai 10 saal se, agar 10 saal gai paal leta toh apne aap Rs 10 lakh ka bank balance tayar ho jata: Tripura CM Biplab Kumar Deb (28.04.18) pic.twitter.com/x5Gu6elttv
— ANI (@ANI) April 29, 2018
एक दूसरे मामले में, मुख्यधारा की मीडिया ने एक बार फिर से अफवाह फ़ैलाने में कोई संकोच नहीं किया। ये निम्नलिखित घटना इस बात को साबित करती है कि आखिर क्यों भारतीय मीडिया दुनिया में अपने नागरिकों के लिए दूसरी सबसे कम भरोसे लायक मीडिया है: –
उपर्युक्त खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित बयान देने वाले बिप्लब देब को समझाने के लिए बुलाया है। हालांकि, वास्तविक तथ्य तो कुछ और ही कहते हैं।
दरअसल, 2 मई को पूर्वोत्तर के सभी सीएम जो बीजेपी से हैं या एनडीए का प्रतिनिधित्व करते हैं उन्हें नई दिल्ली बुलाया गया है। यहां तक कि बिहार और बंगाल के मुख्यमंत्री, यानी नीतीश कुमार और ममता बनर्जी भी पीएम मोदी से बातचीत करेंगे। ऐसे में सवाल ये है कि यदि सिर्फ बिप्लब देब को बुलाया गया था तो अन्य मुख्यमंत्री उनके साथ क्यों आ रहे हैं? ऐसा सोचना भी हास्यास्पद है कि प्रधानमंत्री मोदी कभी मीडिया या किसी बाहरी दबाव में आकर अपने मुख्यमंत्रीयों की खिंचाई करेंगे।
दिलचस्प बात ये है कि अगर किसी ने समाचार रिपोर्टों पर गौर किया हो तो इस खबर का स्रोत केवल पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं जिनका नाम नहीं लिया जा सकता, जहाँ स्रोत वरिष्ठ नेता हों जिनका नाम नहीं लिया जा सकता, वहां ये मान कर चलिए की ये फेक न्यूज़ को ही है, देब को अपने बयानों को लेकर थोड़ा सोचने की आवश्यकता है लेकिन तब नहीं जब भारतीय मीडिया नियम निर्धारित करे।
क्यों पीएम मोदी कभी मीडिया के दबाव में नहीं आते ये तो ट्विटर की ये श्रृंखला ही बताएगी।
PM Modi follows the “Suno Sabki, Karo apni” golden rule. If a section of our media really thinks that he has summoned Tripura CM Biplab Deb for his loose remarks, then…well good luck to them.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) April 30, 2018