एक महान आदमी ने एक बार कहा था , ‘व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ो से नहीं होती’। यदि आज वो जीवित होते तो उन्हें ये जानने के लिए भारत की यात्रा करने की जरूरत थी कि वो कितने गलत थे। आधुनिक भारत में लोग हर मोड़ पर व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से करते हैं। यदि किसी ने भगवा रंग पहना है तो लोग ऐसे देखते हैं जैसे उसने भगवा रंग पहन कर कोई बड़ा पाप कर दिया हो।
शायद यही कारण है कि एक शानदार वक्ता, प्रचारक और सफल प्रशासक होने के बावजूद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कभी मीडिया को पसंद नहीं आये। उनके अस्तित्व पर कीचड़ उछालने का एक भी मौका नहीं छोड़ने वाली मीडिया यूपी के सीएम की खूबियों को दरकिनार कर उनकी खामियों को दिखाने में काफी खुश होती है।
अब योगी आदित्यनाथ पर किये गये ताजा हमले में मीडिया ने इस बार उनके लिए दूसरा गोरखपुर बनाने की कोशिश की, और इसके जरिये दिखाने की कोशिश की कि योगी अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं और बड़े पैमाने पर पीड़ित किसानों को दबाने की कोशिश करते हैं। अब इस पूरे मामले की गहराई में जाने से पहले चलिए उस घटना पर एक नजर डाल लेते हैं जिसे मीडिया ने राइ का पहाड़ बना दिया।
कुशीनगर में जहां श्री गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था, उसी कुशीनगर में एक स्कूल वैन की टक्कर मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर एक ट्रेन से हो गई। वहां खड़े सुरक्षा गार्ड ने वैन को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन उसकी कोशिशें नाकाम साबित हुईं। इस घटना में 13 बच्चों की जान चली गयी जिनकी उम्र 7 -12 वर्ष के बीच थी और चार बच्चे ड्राईवर सहित घायल हो गये। फिलहाल, सभी घायलों का गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
इस घटना के तुरंत बाद योगी जी ने बिना देरी किये गोरखपुर से तुरंत दुर्घटनास्थल पर राहत बचाव कार्य के लिए मदद भेजी थी। इसके बाद मीडिया से बातचीत में तत्काल कार्रवाई करते हुए घटना को लेकर आदेश जारी किये, उन्होंने कहा:
Spoke to Railway minister. Prima facie appears to be mistake of van driver, he had earphones on & there are questions over his age too. There are rules in place, inquiry will be conducted as to why they were not followed. Strict action will be taken: CM on #Kushinagar accident pic.twitter.com/PkQLtX6riy
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 26, 2018
हालांकि, मीडिया के लिए ये काफी नहीं था जो योगी आदित्यनाथ के बयान में भी मसाला ढूंढती हैं ताकि उनपर निशाना साधने का मौका मिल जाए। अब अपने षड्यंत्रकारी सिद्धांत के तहत मीडिया ने सीएम योगी को चित्रित करने की कोशिश की जब उन्होंने ये बयान दिया-
देखिए, एक बड़े झूठ का ख़ुलासा, कुशीनगर के दर्दनाक हादसे के बाद जब योगी जी कड़ी धूप में अस्पतालों से लेकर गाँवों तक भाग रहे थे, तब कुछ लोगों ने चापलूसी में ज़िंदाबाद के नारे लगाए, इस पर योगी जी ने उनको फटकार लगाई, पर ख़बर ये बनाई गई कि योगी जी ने विरोध कर रहे पीड़ितों को डाँटा !! pic.twitter.com/sCVrDNv3Mq
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (मोदी का परिवार) (@shalabhmani) April 26, 2018
यहां तक कि एक आम आदमी भी समझता है कि सीएम योगी ने ये बयान तत्काल मिली जानकारी से दिया था जो उन्हें घटना के तुरंत बाद दी गयी थी। इसके अलावा ड्राईवर ने अगर इयरफोन लगा भी रखा था तब भी उसे मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर तेज गति से आ रही ट्रेन क्यों दिखाई नहीं दी। यहां तक इस घटना में घायल हुए एक 10 वर्षीय बच्चे ने बताया कि “हम चिल्ला रहे थे कि ड्राईवर अंकल वैन रोको लेकिन उन्होंने हमारी नहीं सुनी वो फ़ोन पर बातचीत करने में व्यस्त थे और फिर ड्राईवर अंकल ट्रेन के बहुत नजदीक चले गये। जब मैं होश में आया तो मैं भी बाकि घायलों की तरह जमीन पर पड़ा हुआ था”।
देखिए, एक बड़े झूठ का ख़ुलासा, कुशीनगर के दर्दनाक हादसे के बाद जब योगी जी कड़ी धूप में अस्पतालों से लेकर गाँवों तक भाग रहे थे, तब कुछ लोगों ने चापलूसी में ज़िंदाबाद के नारे लगाए, इस पर योगी जी ने उनको फटकार लगाई, पर ख़बर ये बनाई गई कि योगी जी ने विरोध कर रहे पीड़ितों को डाँटा !! pic.twitter.com/sCVrDNv3Mq
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (मोदी का परिवार) (@shalabhmani) April 26, 2018
मीडिया ने तब भी अपने अनुरूप तथ्यों को तोड़- मोड़ कर पेश किया। गोरखपुर हॉस्पिटल और उन्नाव मामले की तरह झूठ को बढ़ावा दिया कि सीएम योगी अपराधी को बचा रहे हैं और अपनी जिम्मेदरियों से भाग रहे हैं, इन बेतुकी और भयावह प्रतिक्रियाओं को दिखाने से पहले मीडिया एक बार भी नहीं सोचती।
यदि ये काफी नहीं है तो बता दें कि मीडिया ने एक और सफेद झूठ दिखाया था जिसके मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय प्रदर्शनकारियों को घटना के बाद ‘नौटंकी’ कहकर उपहास उड़ाया था। ये झूठ तब सामने आया जब भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पर वास्तविक वीडियो जारी किया, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने समर्थकों को चेतावनी जारी की थी कि वे ‘अपनी नौटंकी’ को जारी न रखें।
आश्चर्यजनक रूप से, रिपब्लिक टीवी के नेतृत्व में, मीडिया ने एक बार फिर बयान को घुमाने की कोशिश की, स्थानीय लोग जो योगी की झलक देखने के लिए एकत्र हुए थे उन्हें उनके समर्थकों की बजाय ‘नौटंकी’ कहकर संबोधित किया।
हालांकि ये अच्छा हुआ कि ये झूठ पहले ही सामने आ गया, मीडिया इस झूठ को और तूल नहीं दे पाई। फिर भी ये साबित करता है कि मीडिया एक ऐसे मुख्यमंत्री को गलत दिखाने पर तुली है जो उदार बुद्धिजीवियों के पथ पर नहीं चलता। यदि हम सच को ना दिखाएं तो ये मीडिया खबरों के नाम पर ऐसे झूठ परोसना जारी रखेगी और सभी लोग इतने समझदार नहीं होते कि वो खबरों कि जड़ों में जाकर सच को जान पाए और मीडिया के मंसूबों को समझ पाए।