उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमेशा ही अपने राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने पर जोर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2017 में राज्य विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान भी राज्य की कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पूर्व समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार की नाकामी को भी सामने रखा था। मतदाताओं ने 10 सालों के लम्बे अन्तराल के बाद राज्य में कानून व्यवस्था की छवि सुधारने के लिए बीजेपी का स्वागत किया। चुनाव प्रचार के स्टार रहे योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने नवगठित सरकार का सीएम बनाया।
सीएम योगी ने अपने अविश्वसनीय छवि के साथ 19 मार्च 2017 को सीएम का पदभार सम्भाला था। उन्होंने जो वादे किये थे उनपर अम्ल करते हुए कई सख्त कदम उठाये और नियम भी बनाए। सीएम योगी ने राज्य के सरकारी दफ्तरों में तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने से लेकर 100 से अधिक पुलिसकर्मियों के निलंबन के साथ ही योगी ने निष्पक्ष और तेजी से न्याय देने की प्रक्रिया पर काम किया। 4 अप्रैल, 2017 को हुई अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों के ऋण को माफ करने का फैसला लिया था। उनके द्वारा लिया गया ये फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण था जिसमें किसानों के ऋण को माफ करने के लिए 360 बिलियन रूपए की सौगात दी गई थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आपराधिक तत्वों पर लगाम कसने का भी फैसला लिया जोकि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों में खुल्लेआम अपराध को बढ़ावा दे रहे थे। बढ़ते अपराध पर नकेल कसने के लिए योगी ने राज्य की पुलिस को पूर्ण स्वतंत्रता दी साथ ही अपराधियों को चेतावनी भी दी कि या तो वो आत्मसमपर्ण कर दें या राज्य छोड़ दें। उत्तर प्रदेश पुलिस ने ही ‘ऑपरेशन क्लीन’ की शुरुआत की थी और इसी के तहत पुलिस ने राज्य के सबसे वांछित अपराधियों से निपटने के लिए उनकी धड़-पकड़ शुरू कर दी थी। 20 मार्च 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच राज्य में 1200 से ज्यादा पुलिस मुठभेड़ हुए जिसमें 34 अपराधियों को मार गिराया गया व 265 से अधिक घायल हो गए और इसी का नतीजा है कि 2744 से अधिक हिस्ट्री शीटेर्स को भी गिरफ्तार किया गया।
अपराध के खिलाफ राज्य सरकार का ये सख्त रवैया होने की बाद कहीं न कहीं उन्नाव रेप मामले में मुख्य आरोपी बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई अतुल सिंह सेंगर पर बीजेपी व प्रदेश सरकार की चुपी सवाल उठती है। ये मामला सबसे पहले जून 2017 में उठाया गया था, लेकिन इस साल अप्रैल के महीने में पीड़िता के पिता की मृत्यु के बाद इस मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है। पीड़िता ने 8 अप्रैल को सीएम के आवास के बाहर आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी। ये मामला तब और गंभीर हो गया जब 9 अप्रैल को पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गयी।
बीजेपी सरकार ने उन्नाव मामले में चुपी साध रखी है हालांकि, इस मामले में दोषी पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया साथ ही मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश भी दिए गए। इस मामले में विवाद तब और बढ़ गया जब इस घटना के बाद दर्ज एफआईआर से मुख्य आरोपी बीजेपी विधायक का नाम हटा दिया गया, हालांकि, पीड़िता शुरुआत से ही इस मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह को दोषी बताती आई है, जिसकी इस पूरी घटना में सबसे अहम भूमिका रही है।
आखिरकार उत्तर प्रदेश के सीएम ने अपनी चुपी तोड़ते हुए मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है और हमें खुशी है कि आरोपी का उनकी पार्टी से संबंधित होने के बावजूद भी उन्होंने अपराध के खिलाफ अपना रुख सख्त रखा। सीएम योगी ने विधायक को पुलिस के समक्ष आत्मसमपर्ण करने की सलाह दी है, इसके साथ ही उन्होंने पुलिस को इस मामले एफआईआर दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं।
अब सीएम योगी इस मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेजेंगे। सीबीआई देश की शीर्ष जांच एजेंसी है और वो इस मामले में निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करेगी। सीबीआई न सिर्फ इस मामले की जांच करेगी बल्कि पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मृत्यु व अमित सेंगर व उनके भाई की इस मामले में सहभागिता की भी जांच करेगी।
सीबीआई उन्नाव रेप मामले की जांच के बाद सच से पर्दा उठाएगी और पीड़िता के परिवार को न्याय मिलेगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया है। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में योगी ने इस कदम से बता दिया है कि अपराध करने वाला चाहे पार्टी का सदस्य ही क्यों न हो ‘अगर अपराध करेंगे तो ठोक दिए जायेंगे’।