वो नायक जो नक्सलियों के खिलाफ सफलता के लिए श्रेय का असली हकदार है

राजनाथ सिंह नक्सली

जब खुद को साबित करने की बात आती है तब केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब भी अपने अंदाज में देते हैं। वो अपना काम चुपचाप करते हैं और अपने आलोचकों को अपनी उपलब्धियों से जवाब देते हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में 50 से अधिक नक्सली महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में एक शादी समारोह में एकत्रित हुए थे। नक्सलियों को पकड़ने के लिए सेना के पास सुनहरा मौका था और इसी मौके का फायदा उठाते हुए महाराष्ट्र पुलिस के C-60 दस्ते और CRPF ने पूरी ताकत के साथ क्षेत्र पर हमला किया। पहले सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए चेतावनी दी थी लेकिन जब नक्सलियों ने फायरिंग शुरू की तब ये बड़े मुठभेड़ में तब्दील हो गया। अभी तक ये साफ़ नहीं हो पाया है कि वहां कितने नक्सली मौजूद थे लेकिन ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो चालीस से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया है जिनके शव भी बरामद कर लिए गये हैं, इस मुठभेड़ को नक्सलियों के खिलाफ सफल रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। फिर कल हुई कारवाही में ७ और नक्सालियों को मौत के घाट उतार दिया गया

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

“छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान और गढ़चिरौली में नक्सलियों के खिलाफ चले ऑपरेशन नक्सल समस्या से निपटने के लिए सरकार का एक सफल तरीका है”

हालांकि, राजनाथ सिंह के लिए ये तो बस एक ट्रेलर है जो बिल्कुल फिल्म ‘डार्क नाईट’ में ब्रूस वेन के किरदार की तरह है, जो शांत और सतर्क रक्षक हैं। भारत बंद के विरोध या ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ पर उनकी तथाकथित निष्क्रियता के लिए हमने उनकी भरपूर आलोचना की लेकिन हम भारत के मौजूदा गृह मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह की उपलब्धियों को अनदेखा नहीं कर सकते।

जब 2014 के सितम्बर महीने में जम्मू कश्मीर बाढ़ की चपेट में था। जैसा की होता आया है संबंधित मंत्री हालातों का विश्लेषण किए बिना ही कागजी कार्रवाई करते हैं और संवेदना प्रकट करते हैं लेकिन राजनाथ सिंह ने ऐसा नहीं किया। पीएम मोदी के साथ मिलकर राजनाथ सिंह ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सही कदम उठाये थे और तब सुरक्षा बल आदेशानुसार विनाशकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचे भी और बचाव कार्य भी किया। दोनों ने ही तब कुछ ऐसा किया था जो अभी तक शायद ही कभी किसी मंत्री ने किया हो। हां ये बात और है कि कश्मीर के लोगों ने कभी इस कृतज्ञता का भुगतान नहीं किया।

राजनाथ सिंह ने पूरे पुलिस प्रशासन को बड़े पैमाने  पर दुरुस्त किया और उसकी खामियों को दूर करने के लिए काम किया और पैरा सैन्य और पुलिस बलों में लिंग समानता के लिए अपराधों के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की भूमिका को सक्रिय किया। ये गृह मंत्री के साथ-साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के संयुक्त प्रयासों के कारण ही हो पाया था कि देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने महिलाओं के लिए सशस्त्र बलों के द्वार खोल दिए, खासकर सक्रिय लड़ाइयों में एक सीमित पैमाने तक।

मेघालय में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने ये वादा किया था कि यदि वो सत्ता में आती है तो राज्य से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को हटा देंगे। अपने वादे के मुताबिक राज्य में सत्ता के दो महीने बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मेघालय से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को हटा दिया और अरुणाचल प्रदेश में इसे सीमित कर दिया है।

गढ़चिरौली मुठभेड़ ने साबित कर दिया है कि नक्सल अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रहा है और वो दिन दूर नहीं जब नक्सलवाद खत्म होने की कगार पर होगा। माओवादियों का राज गिने चुने दिनों का रह गया है और यदि हमें किसी को इसके लिए शुक्रिया कहना चाहिए तो सुरक्षा बलों और सेना के जवानों के अलावा हैं गृह मंत्री राजनाथ सिंह जो नक्सलवाद के खिलाफ इस लड़ाई के लिए सम्मान के हकदार हैं।

Exit mobile version