केजरीवाल करदाताओं के पैसे खर्च करने के लिए करते हैं 1 करोड़ का नाश्ता

केजरीवाल

आरटीआई ने अरविंद केजरीवाल पर खर्च होने वाले विवरण को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट मुकुंद चौधरी द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में ये बात सामने आई है। आरटीआई के जवाब में उन्हें बताया गया कि अरविंद केजरीवाल ने अकेले ही अपने नाश्ते पर एक करोड़ रुपये (1,03,04,162 रुपये सटीक) खर्च किये हैं। वर्ष 2017-18 के दौरान नाश्ते पर खर्च की गई राशि 33, 36,8 99 रुपये थी। आरटीआई के जवाब ने अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार फर्जी वादों और दावों की पोल खोल दी है।

नाश्ते पर किये गए खर्च को उनके वास्तविक कार्यालय और कैंप ऑफिस में विभाजित करने पर ये खर्च की गयी राशि वर्ष 2017-18 में 6, 92, 284 और 26,44,615 रुपये थी। आप के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने दावा किया था कि केजरीवाल बहुत कम ही कार्यालय जाते हैं और इसलिए कार्यालय में नाश्ते पर खर्च की गयी राशि अपेक्षाकृत कम थी, जोकि तब भी संतोषजनक नहीं है। कैंप ऑफिस भी एक डुप्लेक्स फ्लैट है, जिसे केजरीवाल के लिए ऑफिस में तब्दील किया गया था। वे एक ही परिसर में पांच बेडरूम वाले डुप्लेक्स फ्लैट में रहते हैं। पहले वर्ष में नाश्ते पर खर्च की गयी राशि लगभग 5.5 लाख था, दूसरे वर्ष में ये 30 लाख से अधिक और 2017-18 में 26 लाख से अधिक था।

हम 2017-18 में उनके कैंप ऑफिस में नाश्ते पर खर्च की गयी राशि का साधारण सा गणित करते हैं, केजरीवाल प्रतिदिन अपने नाश्ते पर 7,250 रूपए खर्च करते हैं। मान लेते हैं कि उन्होंने हर रोज 8 घंटे काम किया तो इसका मतलब ये है कि हर घंटे में वो  906 रूपए का नाश्ता मंगवाते हैं। ऐसे में इसका मतलब तो यही हुआ कि अगर मान लें कि हर घंटे केजरीवाल से जो लोग मिलने आये तब उन्होंने 90 समोसे मंगवाए और लगभग 114 बार चाय भी पी। हम इस संख्या तक तब पहुंचे हैं जब हमने माना कि 365 दिनों में केजरीवाल ने हर दिन 8 घंटे अपने कार्यालय पर काम किया है। अब इसे हमारी बेवकूफी ही कह लीजिये! हमने वो समय भी इसमें जोड़ दिया है जब केजरीवाल ने माफ़ी मांगी थी अब ऐसा थोड़ी है कि उन्होंने तब नाश्ता नहीं किया होगा।

अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि अन्ना हजारे के अनशन की वजह से उनके रुतबे पर नकारात्मक असर पड़ा है। केजरीवाल हमेशा ही वीआईपी संस्कृति को खत्म करने और एक आम व्यक्ति की तरह होने की बात करते हैं। केजरीवाल ने 2017 में दो कार खरीदने पर 40, 73,736 रुपये खर्च किये थे। इनकी सर्विस व एसेसरीज पर 82,610 रूपए खर्च किये गए। जो कभी खुद को आम आदमी का सेवक बताता है अब वो अपनी वही पुरानी नीली वैगन-आर में क्यों नहीं नजर आता?

केजरीवाल जो टेलीफोन का खर्च अदा करते हैं जरा उसपर भी गौर कर लेते हैं। वैसे टेलीफोन का एक सीमित मुल्यांकन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन मोबाइल पर खर्च की जाने वाली राशि चकित करती है। हालांकि, ये खर्च उनके नाश्ते पर खर्च की गई राशि से कम ही है। आरटीआई ने बताया कि 1 मार्च 2015 से फरवरी 2018 तक उनके एक मोबाइल पर 1, 08,851 रूपए जबकि दूसरे मोबाइल पर 1,47,568  रूपए खर्च हुए हैं। फिर से इसे एक साधारण सी गणित की भाषा में समझे तो इसका मतलब ये है कि एक मोबाइल पर एक महीने में खर्च होने वाली राशि 3,023 रूपए वहीं, दूसरे मोबाइल पर 4,100 रूपए है। हां, अगर केजरीवाल जियो के अनलिमिटेड और वोडाफोन के पोस्ट प्लान का इस्तेमाल करते तो शायद ये खर्च कम होता। ऐसा तो वो तब करते न जब अंबानी से जुड़ाव उनके आत्मसम्मान पर चोट नहीं करता!

ये विडंबना है कि, एक व्यक्ति जो सत्ता में “आम आदमी” की भलाई के लिए आया जो खुद को आम आदमी का सेवक बताता था वो सिर्फ अपने नाश्ते पर इतने पैसे खर्च करता है ? शायद, अब केजरीवाल का वो समय भी आ गया है जब उन्हें आम आदमी से भी माफ़ी मंगनी चहिये!

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