पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान खालिस्तान और पाकिस्तानी समूहों ने रैली निकाली थी और प्रदर्शन के दौरान पार्लियामेंट स्क्वायर में लगे भारतीय झंडे को नीचे उतारकर फाड़ दिया था जिसके बाद ब्रिटेन के अधिकारीयों ने भारतीय समकक्षों से माफी मांगी है। भारत में हुए दुष्कर्म की घटनाओं और कश्मीर में हिंसा के खिलाफ खालिस्तान और पाकिस्तान के समूहों ने लंदन में प्रदर्शन किया। इस दौरान पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का मामला भी उठाया गया, गौरी लंकेश की हत्या कर्नाटक की धर्मनिरपेक्ष सरकार में हुई थी जिसकी गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है।
यूके के सिख फेडरेशन के खालिस्तान प्रदर्शनकारियों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों ने पाकिस्तानी मूल नाज़ीर अहमद के नेतृत्व में मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों किया जिसने हिंसात्मक मोड़ ले लिया।
भारतीय पत्रकार ने दावा किया है कि इस प्रदर्शन के दौरान उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया और उन्होंने वहां के अधिकारियों से बचाव के लिए गुहार भी की थी। प्रदर्शन में पाकिस्तानी और खालिस्तानी लोगों द्वारा जिस तरह से भारत के पीएम की यात्रा के दौरान हिंसा को अंजाम दिया गया और भारतीय पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया इससे उनकी भारत विरोधी मानसिकता जाहिर हुई है। हालांकि, वो अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाए और बहुत कम ही वो सफल भी हो पाते हैं। पीएम मोदी और वहां के लोगों के बीच का सर्वश्रेष्ठ जुड़ाव की वजह से लोगों का ध्यान प्रदर्शनकारियों पर ज्यादा नहीं गया।
गौर करने वाली बात है कि, अगर प्रदर्शनकारी सच में बढ़ते अपराध को लेकर चिंतित थे तो उन्हें सबसे पहले अपने देश में चल रहे हालातों पर भी ध्यान देना चाहिए। पाकिस्तानी मुस्लिम अपने गैंग को बढाने के लिए मासूम बच्चों का शिकार कर रहे हैं, कुछ तो अभी मात्र 11 वर्ष की उम्र के ही हैं और नस्लवाद को छुपाने के लिए वहां के अधिकारी इस मामले को दशकों से छुपाने की कोशिश करते आये हैं। यदि प्रदर्शनकारी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सच में चिंतित हैं तो उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बहुसंस्कृतिवाद के नाम पर सैकड़ों और हजारों लड़कियों के बलिदान के लिए न्याय की मांग करनी चाहिए। हाँ, जब प्रदर्शन दुनिया में तेजी से विकास कर रहे देश भारत को लक्षित करने के विचार से किया जा रहा हो तब ये प्रदर्शन तो जघन्य अपराध के नाम पर उनकी चाल का हिस्सा ही होगा। वास्तव में यूके के सिख फेडरेशन अक्सर ही शब्द ‘एशियन’ के इस्तेमाल के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते आये हैं जिसका इस्तेमाल उनके फेडरेशन के सदस्यों को इंगित करने के लिए किया जाता है जिसमें अधिकतर पाकिस्तानी मुस्लिम ही शामिल हैं।
भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने यूके में हुए इस प्रदर्शन की निंदा की है जिसने हिंसात्मक रूप ले लिया और उनके अपने पत्रकार सहयोगियों के साथ दुर्व्यवहार किया। हालांकि, अभी तक बहुत कम ही ऐसा हुआ जब उन्होंने पाकिस्तानी और खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों पर टिप्पणी की हो जो लंदन में मोदी विरोधी तत्वों का प्रचार करते हैं।
जस्टिन ट्रूडो की यात्रा के बाद कनाडा का खालिस्तानी तत्वों के साथ संबंध सामने आये थे, एक बार फिर से खालिस्तानी राक्षसों ने अपना सर उठाया है। हालांकि, कैनेडियन सरकार की तरह ब्रिटिश सरकार भारत विरोधी तत्वों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं रखेगी।
प्रदर्शन और हिंसा के बावजूद पीएम मोदी का यूके दौरा सफल रहा। लंदन के वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हॉल में उनकी बातचीत से जरुर ही देश में चल रहे उतार-चढ़ाव में बदलाव आएगा और बीजेपी को इससे फायदा होगा। अब आप उम्मीद कर सकते हैं कि ब्रिटिश अधिकारी भारतीय पत्रकारों द्वारा दायर की गई शिकायतों पर अम्ल करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को उनके अपराध के लिए दंडित किया जाय।